चीनी विदेश मंत्री से मिले ब्लिंकन, कहा: अमेरिकी संप्रभुता का उल्लंघन अस्वीकार्य

वाशिंगटन/टोरंटो. चीन के कथित जासूसी गुब्बारे को लेकर संबंधों में आई कड़वाहट के बीच अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने शनिवार को अपने चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात की और अमेरिकी संप्रभुता के ‘‘अस्वीकार्य’’ उल्लंघन का मुद्दा उठाया. उन्होंने चेतावनी दी कि यूक्रेन युद्ध में रूस को मदद पहुंचाने को लेकर चीन पर पाबंदियां लगाई जा सकती हैं. दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने शनिवार को म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन से इतर यह बातचीत की.

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा, ‘‘विदेश मंत्री ने अमेरिकी हवाई क्षेत्र में चीन के निगरानी गुब्बारे के कारण अमेरिकी संप्रभुता और अंतरराष्ट्रीय कानून के अस्वीकार्य उल्लंघन को लेकर सीधी बात की और कहा कि इस तरह की गैर-जिम्मेदाराना हरकत दोबारा नहीं होनी चाहिए.’’

उन्होंने कहा, ‘‘भेंट के दौरान ब्लिंकन ने स्पष्ट किया कि अमेरिका अपनी संप्रभुता का कोई भी उल्लंघन बर्दाश्त नहीं करेगा और चीनी गुब्बारा कार्यक्रम — जिसने पांच महाद्वीपों के 40 से अधिक देशों के हवाई क्षेत्रों में अतिक्रमण किया है– दुनिया के सामने बेनकाब हो गया है.’’ अमेरिका और चीन के रिश्तों में तब और खटास आ गई थी जब अमेरिका ने कहा कि चीन ने अमेरिकी हवाई क्षेत्र में एक जासूसी गुब्बारा छोड़ा, जिसे अमेरिकी लड़ाकू विमानों ने राष्ट्रपति जो बाइडन के आदेश पर नष्ट कर दिया.

गुब्बारा प्रकरण के बाद ब्लिंकन ने अपनी निर्धारित चीन यात्रा रद्द कर दी थी. अगर ब्लिंकन 5-6 फरवरी को चीन की यात्रा करते तो यह बीते पांच साल में किसी अमेरिकी विदेश मंत्री का पहला चीन दौरा होता. दोनों देश इस यात्रा को कड़वाहट भरे रिश्तों को बेहतर बनाने के अवसर के तौर पर देख रहे थे.

दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच इस बातचीत से पहले वांग ने शनिवार को कहा था, ‘‘ (चीनी गुब्बारे को मार गिराने की अमेरिकी) हरकत यह नहीं दर्शाता है कि अमेरिका बड़ा एवं मजबूत है बल्कि यह बिल्कुल विपरीत कहानी कहती है.’’ ब्लिंकन ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात के दौरान रूस-यूक्रेन युद्ध के मुद्दे पर भी बात की. प्राइस ने बताया, ‘‘’’यूक्रेन के खिलाफ रूस के क्रूर युद्ध को लेकर विदेश मंत्री ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर चीन रूस को भौतिक समर्थन प्रदान करता है या प्रणालीगत प्रतिबंधों से बचने में उसकी सहायता करता है, तो उसे इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे.’’

चीनी गुब्बारा प्रकरण अमेरिका-चीन तनाव के लंबे इतिहास का हिस्सा

यह आश्चर्य की बात नहीं है कि हाल में चीनी गुब्बारे की घटना ने खतरे की घंटी बजाई है. विशाल आकार वाले गुब्बारे को नष्ट करने के लिए एक साइडंिवडर मिसाइल के जरिये धीरे-धीरे और बड़ी ही सावधानी के साथ मोंटाना से दक्षिण कैरोलिना तट तक ले जाया गया.
वहीं,मीडिया में आई खबरों में कहा गया कि अलास्का, युकोन और ह्यूरोन झील के ऊपर तीन और संदिग्ध हवाई वस्तुओं को देखा गया, जिन्हें नष्ट कर दिया गया. कनाडा और अमेरिका, दोनों देशों की सरकारों ने इन वस्तुओं को अज्ञात हवाई वस्तु करार देने के लिए विज्ञान ‘फिक्शन’ की भाषा का इस्तेमाल किया.

हालांकि, पहली चीनी हवाई वस्तु को चीन द्वारा मौसम विज्ञान से जुड़ा गुब्बारा बता कर बचाव किये जाने पर अमेरिकी अधिकारियों ने संशय जताया, जो दोनों देशों के बीच तनावों के लंबे इतिहास को लेकर ंिचतित हैं. चीनी घुसपैठ पर अमेरिकी तर्क: अमेरिका ने नियमित और ऐतिहासिक रूप से चीन के व्यवहार को आक्रामक बताया है.

हाल के समय में, अमेरिकियों ने ताइवान के प्रति चीन के खतरनाक रुख, दक्षिण चीन सागर में विस्तारवादी कदमों और अत्याधुनिक सेमीकंडक्टर जैसे महत्वपूर्ण आर्थिक क्षेत्रों में वर्चस्व कायम करने की कोशिश करने की बात कही है. पिछले साल, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ंिब्लकन ने अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था पर सर्वाधिक गंभीर दीर्घकालिक चुनौती और चीन द्वारा पैदा की जा रही चुनौती पर ध्यान केंद्रित रखने का वादा किया था.

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि शुरूआती चीनी जासूसी गुब्बारे को नष्ट किये जाने के बाद उत्तरी अमेरिका के ऊपर नष्ट किये गये तीन हवाई वस्तु चीन के जासूसी गुब्बारा अभियान का हिस्सा प्रतीत नहीं होते हैं और इसके बजाय वे निजी कंपनियों से संबद्ध थे.

वास्तविक जागरूकता अंतराल:
गुब्बारे की घटना के बीच, नार्थ अमेरिकन एयरोस्पेस डिफेंस कमान के प्रमुख जनरल ग्लेन वैनहर्क से सवाल किया कि पूर्व में गुब्बारे देखे जाने पर इस तरह की ंिचता क्यों नहीं जताई गई. उन्होंने जवाब दिया कि हालिया घटनाओं ने जागरूकता अंतराल को उजागर किया है, जिसका मतलब है कि कमान को गुब्बारे जैसी वस्तुओं की अपनी निगरानी क्षमता मजबूत करने की जरूरत है. जासूसी और निगरानी के मोर्चे पर दोनों देशों के बीच सदा ही परस्पर संदेह की स्थिति रही है. कई वर्षों तक अमेरिकियों के पास आर्थिक, सैन्य और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में श्रेष्ठता रही.

वहीं,1960 में एक घटना के तहत, जब एक अमेरिकी यू-2 जासूसी विमान को सोवियत हवाई क्षेत्र में सोवियत संघ (अब विघटित हो चुका) ने मार गिराया था, तब निकिता ख्रुश्चेव पेरिस सम्मेलन से बाहर निकल गये थे, जिसकी तुलना चीनी गुब्बारे के पता चलने के बाद ंिब्लकन के बींिजग दौरा रद्द करने से की जा रही है. बीसवीं सदी में चीन ने क्रमिक रूप से अपनी क्षमताओं को विकसित किया.

अमेरिका और चीन के बीच प्रतिस्पर्धा एवं टकराव को लेकर इस्तेमाल किये जाने वाले हथकंडे जासूसी से आगे तक जाते हैं. 1940 के दशक से लेकर 1970 के दशक तक अमेरिका ने चीन को मान्यता देने से इनकार कर दिया और चीनी शासन को नियंत्रित करने की अनगिनत कोशिशें कीं. इस तरह चीनी गुब्बारे को दशकों की परस्पर जासूसी के संदर्भ में देखा जाना चाहिए.

प्रतिस्पर्धी साम्राज्यों का इतिहास: अमेरिका और चीन अतीत की कई बड़ी शक्तियों से समानताएं रखते हैं, जिनमें मिस्र फारस, मंगोल, गुप्त, माया, जुलू, ब्रिटिश, फ्रांसीसी, रूसी, जर्मन, जापानी और अन्य साम्राज्य शामिल हैं. किसी न किसी रूप में ये सभी विस्तारवादी आकांक्षा रखते थे और दूसरों की शक्तियों से ंिचतित भी रहते थे. गुब्बारे और हवाई वस्तुओं से जुड़ी हालिया घटनाओं के मकसद एवं निहितार्थ को समझने के लिए और सूचनाओं की जरूरत होगी.

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