श्रीलंका के वित्त मंत्री ने IMF से मांगी त्वरित आर्थिक मदद

वाशिंगटन/ कोलंबो. श्रीलंका के वित्त मंत्री अली साबरी ने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) की प्रबंध निदेशक क्रिस्टलीना जॉर्जिवा से मुलाकात कर अभूतपूर्व आर्थिक संकट से जूझ रहे अपने देश के लिए त्वरित वित्तपोषण साधन (आरएफआई) मुहैया कराने का अनुरोध किया.

आईएमएफ के सभी सदस्य देशों के लिए वित्तीय मदद के एक साधन के तौर पर आरएफआई का विकल्प मौजूद रहता है. इसमें भुगतान संतुलन की समस्या का सामना कर रहे सदस्य देशों को एक व्यापक कार्यक्रम न रहते हुए भी त्वरित एवं कम पहुंच वाली वित्तीय मदद दी जाती है. दिवालिया होने की कगार पर पहुंच चुके श्रीलंका में इस समय अभूतपूर्व आर्थिक उथल-पुथल मची हुई है. वर्ष 1948 में ब्रिटेन से आजाद होने के बाद श्रीलंका में पैदा हुए इस सबसे गहरे आर्थिक संकट से राजनीतिक अनिश्चितता की भी आशंका हो गई है.

इस पृष्ठभूमि में श्रीलंकाई वित्त मंत्री साबरी वित्तीय मदद की आस में अमेरिका में हो रही आईएमएफ और विश्व बैंक की बैठकों में शिरकत करने के लिए आए हुए हैं. इसी क्रम में उन्होंने सोमवार को वांिशगटन स्थित आईएमएफ मुख्यालय में मुद्राकोष की प्रबंध निदेशक जॉर्जिवा से मुलाकात की.

‘न्यूज फर्स्ट श्रीलंका’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, आईएमएफ ने श्रीलंका में मौजूदा वित्तीय स्थिति में साबरी की तरफ से उठाए गए कदमों की सराहना की. इस दौरान जॉर्जिवा ने श्रीलंका को अपना पूरा समर्थन देने का आश्वासन दिया और श्रीलंका को जारी समर्थन मजबूत करने की प्रक्रिया तेज करने के भी संकेत दिए. रिपोर्ट के मुताबिक, साबरी ने आईएमएफ प्रमुख से श्रीलंका के लिए आरएफआई जारी करने का अनुरोध किया. इसपर आईएमएफ प्रमुख ने कहा कि भारत पहले ही श्रीलंका की तरफ से आरएफआई के लिए अर्जी लगा चुका है.

इस मुलाकात में आईएमएफ की तरफ से कहा गया कि आरएफआई जारी करने के लिए मानक परिस्थितियों से श्रीलंका के बाहर होने के बावजूद इस संबंध में किए गए विशेष अनुरोध पर विचार किया जाएगा. जरूरी सामान की खरीद के लिए भी पर्याप्त विदेशी मुद्रा नहीं होने से श्रीलंका में ईंधन के लिए लंबी लाइन, रसोई गैस, जरूरी सामानों की किल्लत और घंटों बिजली कटौती की स्थिति बनी हुई है. इससे परेशान लोग सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं.

ऐसी स्थिति में श्रीलंका को ईंधन आयात के लिए भारत ने 50 करोड़ डॉलर की ऋण-सुविधा दी थी. इसके अलावा भारत ने हाल ही में श्रीलंका को एक अरब डॉलर की ऋण-सुविधा देने की घोषणा की है. राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने अपनी सरकार का बचाव करते हुए कहा है कि यह संकट उनके कार्यकाल की उपज नहीं है और यह आर्थिक मंदी काफी हद तक पर्यटन राजस्व और विदेश में रहने वाले नागरिकों से प्रेषित राशि में गिरावट आने के कारण पैदा हुई है.

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