एलएसी के घटनाक्रम पर ‘श्वेत पत्र’ लाया जाए, संसद के मानसून सत्र में व्यापक चर्चा हो: कांग्रेस

नयी दिल्ली. कांग्रेस ने मंगलवार को केंद्र सरकार से आग्रह किया कि चीन के साथ लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव के संदर्भ में एक ‘श्वेत पत्र’ जारी किया जाए और संसद के आगामी मानसून सत्र में इस विषय पर व्यापक चर्चा कराई जाए. मुख्य विपक्षी दल ने यह आरोप भी लगाया कि चीन के मामले पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘चुप्पी’ से, बातचीत को लेकर भारत की स्थिति कमजोर हुई है.

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने ट्विटर पर प्रधानमंत्री मोदी की एक टिप्पणी से जुड़ा वीडियो साझा किया जिसमें वह यह कहते सुने जा सकते हैं कि ‘न हमारी सीमा में कोई घुस आया है न ही घुसा हुआ है….’ रमेश ने दावा किया, ”आज ही के दिन तीन साल पहले प्रधानमंत्री ने चीन को यह क्लीन चिट दी थी. उन्होंने तब जो कहा था उसे सुनिए. उनकी क्लीन चिट ने भारत को गंभीर नुकसान पहुंचाया है और इस तरह तो आगे भी नुकसान पहुंचता रहेगा.”

उन्होंने आरोप लगाया, ”चीन को क्लीन चिट देने के बाद से संसद और बाहर दोनों ही जगहों पर प्रधानमंत्री की लगातार चुप्पी ने, बातचीत में भारत की स्थिति को कमजोर किया है.” कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने संवाददाताओं से कहा, ” पांच सितंबर, 2020 को रक्षा मंत्री (राजनाथ सिंह) ने मॉस्को में एससीओ (शंघाई सहयोग संगठन) की बैठक के दौरान चीन के रक्षा मंत्री से ढाई घंटे तक चर्चा की. 11 सितंबर 2020 को मॉस्को में रूस-भारत-चीन की बैठक के दौरान विदेश मंत्री (एस जयशंकर) ने चीन के विदेश मंत्री के साथ एलएसी की परिस्थिति पर बात की. ” उनका कहना था, ”तीन साल में 18 बार सीमा वार्ता हुई, लेकिन प्रधानमंत्री कहते हैं कि कोई घुसपैठ नहीं हुई तो तीन साल से लगातार हो रही चर्चा की सच्चाई क्या है?”

तिवारी ने सवाल किया, ”क्या ये सच है कि एलएसी पर 65 पेट्रोलिंग पॉइंट्स (गश्त स्थल)में से 26 पर भारतीय सेना गश्त नहीं कर पा रही है? क्या ये सच है कि बफर जोन हमारी सीमा के भीतर बने हैं? चीन द्वारा एलएसी पर अतिक्रमण को रोकने के लिए भारत सरकार ने क्या किया? देश की संसद और रक्षा मंत्रालय की संसदीय स्थायी समिति में एक बार भी चीन पर चर्चा क्यों नहीं हुई? एलएसी से जुड़े सवालों को संसद का सचिवालय स्वीकार क्यों नहीं करता?”

उन्होंने सरकार से आग्रह किया, ”संसद के आगामी मानसून सत्र में भारत-चीन सीमा विवाद पर एक व्यापक चर्चा होनी चाहिए. एक श्वेत पत्र जारी किया जाए कि पिछले तीन साल में एलएसपी पर जो घटनाक्रम हुआ है, उसकी सच्चाई क्या है.” उल्लेखनीय है कि भारत ने पूर्वी लद्दाख में सीमा पर स्थिति सामान्य नहीं होने तक चीन के साथ संबंधों के सामान्य होने की बात को निराधार करार देते हुए हाल ही में कहा था कि सीमावर्ती क्षेत्रों में अमन और शांति होने पर ही बीजिंग के साथ संबंधों में प्रगति हो सकती है.

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दोनों देशों के बीच संबंधों में सैनिकों की ‘अग्रिम मोर्चे’ पर तैनाती को मुख्य समस्या करार दिया था.
केंद्र में नरेन्द्र मोदी सरकार के कार्यकाल के नौ वर्ष पूरे होने के अवसर पर जयशंकर ने संवाददाताओं से कहा था, ” भारत भी चीन के साथ संबंधों को बेहतर बनाना चाहता है लेकिन यह केवल तभी संभव है जब सीमावर्ती क्षेत्रों में अमन और शांति हो.”

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