हिंसा बंद करें या परिणामों का सामना करने के लिए तैयार रहें : मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह
इंफाल. मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने सोमवार को लोगों को चेतावानी देते हुए कहा कि अगर उन्होंने राज्य में हिंसा बंद नहीं की तो, उन्हें परिणाम भुगतने होंगे. उन्होंने रविवार रात पश्चिम इंफाल जिले में अज्ञात व्यक्तियों की ओर से अकारण हुई गोलीबारी में एक सैनिक के घायल होने पर प्रतिक्रिया देते हुए यह बात कही.
सिंह ने यहां पत्रकारों से कहा, “इसे (हिंसा को) बंद कीजिए. वरना, परिणाम भुगतने होंगे. मैं लोगों…हथियार थामे मेइती लोगों…से अपील करता हूं कि वे किसी पर हमला न करें और शांति बनाए रखें, ताकि हम राज्य में सामान्य हालात बहाल कर सकें.” मणिपुर के इंफाल वेस्ट जिले में रविवार देर रात 11 बज कर करीब 45 मिनट पर अज्ञात लोगों ने बिना उकसावे के गोलीबारी शुरू कर दी जिसमें सेना का एक जवान चोटिल हो गया.
एक अधिकारी ने बताया कि जवान को लीमाखोंग के सैन्य अस्पताल ले जाया गया और उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है. अधिकारी के अनुसार, घटना लीमाखोंग (चिंगमांग) के कांतो सबाल गांव में घटी. घटना के बाद सेना के जवानों ने इलाके में ग्रामीणों की उपस्थिति का ध्यान रखते हुए सीमित गोलीबारी की. अज्ञात लोगों ने चिनमांग गांव में तीन घरों में आग भी लगा दी जिसे बाद में सेना ने बुझा लिया.
अधिकारी ने बताया कि कुछ देर की शांति के बाद दोपहर दो बज कर करीब 35 मिनट पर कांतो सबाल गांव से अकारण गोलीबारी फिर से शुरू हो गयी जो तीन बजे तक चलती रही. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि पूर्वोत्तर राज्य में जारी हिंसा के दौरान अपने घरों से भागे लोगों को वापस लाने के लिए उनकी सरकार 3,000-4,000 अस्थायी घरों का निर्माण करेगी. दिन में कुछ राहत शिविरों का दौरा करने वाले सिंह ने कहा कि ये घर दो महीने में तैयार हो जाएंगे.
मुख्यमंत्री ने कहा, “लोग परेशान हैं… राज्य सरकार उन्हें (राहत शिविरों में रह रहे लोगों को) ठहराने के लिए अस्थायी घरों का निर्माण करने जा रही है. ये लोग तब तक वहां रहेंगे जब तक उन्हें उनके मूल स्थानों पर स्थानांतरित करने की स्थायी व्यवस्था नहीं की जाती है.” सिंह ने कहा, “निर्माण सामग्री 10-15 दिनों में इंफाल पहुंच जाएगी. सरकार उन घरों को स्थापित करने के लिए जगह की तलाश कर रही है.” मणिपुर में मेइती और कुकी समुदायों के बीच एक महीने से अधिक समय से चल रही जातीय हिंसा में 100 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं.
राज्य में शांति बहाल करने के लिए सेना और अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया है. सिंह ने कहा कि उन्होंने मिजोरम के अपने समकक्ष ज.ोरमथांगा से टेलीफोन पर बातचीत की. उन्होंने कहा, “मैंने उन्हें मिजोरम में रहने वाले मेइती लोगों की चिंताओं के बारे में बताया और उन्होंने मुझे उनकी सुरक्षा का आश्वासन दिया.” पिछले महीने की शुरुआत में हिंसा भड़कने के बाद से बंद स्कूल खोलने पर मुख्यमंत्री ने कहा, “हमें शिक्षा को प्राथमिकता देनी होगी, जो वर्तमान और भविष्य की पीढि.यों के लिए बहुत जरूरी है.”
इस बीच, असम स्थित मेइती संगठन ने संभवत: सिंह की अपील के बाद सोमवार को असम के सिलचर को मिजोरम की राजधानी आइजोल से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग -306 पर अपनी प्रस्तावित आर्थिक नाकेबंदी रद्द कर दी. राज्य सरकार ने 11 जिलों में कफ्र्यू लगा दिया था और अफवाहों को रोकने के लिए इंटरनेट सेवाएं प्रतिबंधित कर दी हैं.
मणिपुर में हिंसा के कारण घर छोड़ने वालों के लिए ‘प्री-फैब्रिकेटेड’ घर बनाए जाएंगे: मुख्यमंत्री
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने सोमवार को कहा कि पूर्वोत्तर राज्य में जारी हिंसा के दौरान अपने घरों को छोड़ने को मजबूर हुए लोगों को समायोजित करने के लिए उनकी सरकार 3,000-4,000 ‘प्री-फैब्रिकेटेड’ घरों का निर्माण करेगी. राहत शिविरों का दौरा करने के बाद मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से कहा कि ये ‘प्री-फैब्रिकेटेड’ घर दो महीनों में तैयार हो जाएंगे. उल्लेखनीय है कि प्री-फैब्रिकेटेड घर ऐसे तैयार ढांचे होते हैं, जो अन्य स्थल पर बनाए जाते हैं और उस जगह पर लाकर इन्हें जोड़ा जाता है, जहां घरों को स्थापित किया जाना है.
सिंह ने कहा, ”लोग परेशानी में हैं … राज्य सरकार उन्हें (राहत शिविरों में रह रहे लोगों को) अस्थायी रूप से समायोजित करने के लिए प्री-फैब्रिकेटेड घरों का निर्माण करने जा रही है, ऐसा उन्हें उनके पिछले स्थानों पर स्थानांतरित करने की स्थायी व्यवस्था नहीं होने तक के लिए किया जा रहा है.” उन्होंने कहा कि लगभग 3,000-4,000 ऐसे घर बनाए जाएंगे और इसके लिए सामग्री का ऑर्डर दिया जा चुका है.
मुख्यमंत्री ने कहा, ”सामग्री 10-15 दिन में इम्फाल पहुंच जाएगी. सरकार उन घरों को स्थापित करने के लिए जगह की तलाश कर रही है.” गौरतलब है कि मणिपुर में मेइती और कुकी समुदाय के बीच करीब एक महीने पहले भड़की जातीय हिंसा में बड़ी संख्या में घरों को जला दिया गया और 100 से अधिक लोगों की जान चली गई.