बंजर इलाकों में होगी हरियाली, 11.9 प्रतिशत जमीन के लिए ISRO और नीति आयोग का ये है प्लान

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने नीति आयोग के साथ मिलकर देश के बंजर इलाकों में हरियाली की योजना बनाई है. सैटेलाइट डाटा और कृषि वानिकी के जरिये देश में वन क्षेत्र में सुधार किया जाएगा.

योजना के तहत इसरो के जियोपोर्टल भुवन पर उपलब्ध सैटेलाइट डाटा के जरिये कृषि वानिकी उपयुक्तता सूचकांक (एएसआई) स्थापित करने के लिए बंजर भूमि, भूमि उपयोग भूमि कवर, जल निकाय, मृदा कार्बनिक कार्बन और ढलान जैसे विषयगत भू-स्थानिक आंकड़ों को एकीकृत किया जा रहा है.

शुरुआती आकलनों में राजस्थान, मध्य प्रदेश और तेलंगाना कृषि वानिकी उपयुक्तता के लिए सबसे बड़े राज्यों के रूप में उभरे हैं. जानकारी के मुताबिक, नीति आयोग ने 12 फरवरी को भुवन-आधारित ग्रो पोर्टल लॉन्च किया है. ग्रीनिंग एंड रेस्टोरेशन ऑफ वेस्टलैंड विद एग्रोफॉरेस्ट्री (ग्र्रो) कहे जाने वाले इस पोर्टल के जरिये देश में कृषि वानिकी के साथ बंजर भूमि को हरा-भरा करना और उसका पुनरुद्धार की संभावनाओं को तलाशा जा रहा है.

इस पोर्टल के जरिये राज्य और जिला-स्तरीय कृषि-वानिकी डाटा सभी के लिए उपलब्ध है. यह डाटा कृषि व्यवसायियों, गैर-सरकारी संस्थाओं, स्टार्ट-अप और शोधकर्ताओं को भी इस क्षेत्र में पहलों के लिए आमंत्रित करता है.

इसरो ने कहा, ”एक विश्लेषण से पता चला कि भारत की लगभग 6.18% और 4.91% भूमि क्रमशः कृषि वानिकी के लिए अत्यधिक और मध्यम रूप से उपयुक्त है. राजस्थान, मध्य प्रदेश और तेलंगाना कृषि वानिकी उपयुक्तता के लिए शीर्ष बड़े आकार के राज्यों के रूप में उभरे, जबकि जम्मू और कश्मीर, मणिपुर और नागालैंड मध्यम आकार के राज्यों में सर्वोच्च स्थान पर रहे.”

नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद के अनुसार, कृषि वानिकी भारत को लकड़ी के उत्पादों के आयात को कम करने, कार्बन पृथक्करण के माध्यम से जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने और इष्टतम भूमि उपयोग को बढ़ावा देने में मदद कर सकती है. कृषि वानिकी के माध्यम से परती और बंजर भूमि का रूपांतरण करके उन्हें उत्पादक बनाया जा सकता है.

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