प्रदेश में तीन दिनों तक बादल और बारिश के हालात, बेमौसम बरसात से फसलों को नुकसान

रायपुर: प्रदेश में पिछले दो दिनों से हो रही बारिश के कारण में मार्च में अब तक जमकर पानी गिर चुका है। पिछले 24 घंटे के दौरान भी जमकर वर्षा हुई। रविवार शाम को भी राजधानी रायपुर, भिलाई, दुर्ग और राजनांदगांव सहित पश्चिम छत्तीसगढ़ के कई हिस्सों में जमकर बारिश हुई। मौसम विज्ञानियों का कहना है कि अगले दो-तीन दिनों तक प्रदेश में बादल और बारिश के हालात रहेंगे। राज्य के कुछ हिस्सों में गरज-चमक के साथ बौछारें पड़ने और कहीं-कहीं पर हल्की से मध्यम वर्षा हो सकती है।

समुद्र से आ रही नमी के कारण राज्य में मौसम बदला हुआ है। पिछले दो-तीन दिनों से राज्य के अलग-अलग हिस्सों में बारिश हो रही है। शुक्रवार-शनिवार को बस्तर, रायपुर और सरगुजा संभाग में जमकर बारिश हुई। रविवार को दिनभर मौसम साफ रहा। कहीं-कहीं पर धूप भी खिली, लेकिन शाम से मौसम फिर बदलने लगा। शाम करीब साढ़े पांच बजे के बाद रायपुर, दुर्ग, भिलाई और राजनांदगांव में तेज गरज-चमक के साथ पानी गिरने लगा।

बादलों की गड़गड़ाहट और पानी की तेज धार से मार्च में मानसून जैसी स्थिति बन गई है। शाम से शुरू हुई बारिश रात को देर तक चलती रही। पिछले 24 घंटे के दौरान सबसे ज्यादा बस्तर संभाग में बारिश हुई है। गीदम में 67, दंतेवाड़ा में 65, कुआकोंडा में 62, बस्तर-बास्तानार-सुकमा में 58, लोहंडीगुड़ा में 48, जगदलपुर में 46, कांकेर के पखांजूर में 53, भैरमगढ़ में 38, उसूर में 35, नारायणपुर में 29 मिमी पानी बरस गया। रविवार को दिनभर मौसम हल्का खुला रहा, लेकिन शाम को रायपुर, भिलाई, राजनांदगांव और दुर्ग में कई जगहों पर तेज गर्जना के साथ भारी बारिश हुई। रात तक रुक-रुककर बारिश होती रही। सोमवार को भी कई जगहों पर हल्की से मध्यम बारिश और गरज-चमक के साथ बौछारें पड़ने की संभावना है।

नुकसान धान-गेहूं के अलावा टमाटर, गोभी व करेले को

मौसम विज्ञानी तथा इंदिरा गांधी कृषि विवि के डीन डा. जीके दास ने बताया कि असमय हो रही इस बारिश के कारण रबी की फसलों में खास तौर पर गेहूं, मसूर इत्यादि दलहन जो कटकर खेतों में रखे हुए हैं, वो खराब होंगे। ज्यादातर किसान रबी सीजन में बीज उत्पादन के लिए भी खेती करते हैं। बारिश और ओले गिरने से बीजों की गुणवत्ता पर असर पड़ेगा। इससे किसानों को उनके बीजों की सही कीमत नहीं मिल पाएगी।

टमाटर, गोभी, लौकी, करेला और भाजी सहित सभी सब्जियों को इस बारिश और ओले के खासा नुकसान पहुंचा है। राज्य में इस साल धान की जमकर खरीदी हुई है। तेज बारिश और ओले गिरने के कारण आम की पैदावार भी प्रभावित होगी। कृषि मौसम विभाग और आईएमडी ने बारिश की पूर्व सूचना दी थी। इसके बावजूद यदि कहीं पर धान खुले में रखा होगा, तो उसे नुकसान पहुंचेगा। किसानों को सलाह दी गई है कि इस समय कीटनाशक इत्यादि का छिड़काव न करें और खेतों व बाड़ियों से पानी निकासी की व्यवस्था करें।

170 फीसदी ज्यादा बारिश

मार्च में 1 से 19 तारीख तक जमकर बारिश हो हुई है। पूरे प्रदेश में औसत 17.8 मिमी पानी गिर चुका है और यह औसत (6.6 मिमी) से 170 फीसदी अधिक है। इस दौरान बस्तर संभाग में सबसे ज्यादा पानी गिरा है। सुकमा में अब तक 81.8 मिमी पानी गिर चुका है, जबकि इस दौरान की औसत बारिश 1.7 मिमी है। यानी अब तक यहां 4714 प्रतिशत ज्यादा पानी गिर चुका है। बीजापुर में 46.9 मिमी वर्षा हुई। यह औसत से 3804 प्रतिशत अधिक है। ऐसे ही नारायणपुर, कोंडागांव, धमतरी, दुर्ग, बालोद और बस्तर में भी 200 से 400 फीसदी तक ज्यादा पानी गिर चुका है।

अभी भी सक्रिय है सिस्टम

मौसम विभाग के अनुसार ऊपरी हवा का एक चक्रवात पश्चिम मध्यप्रदेश के ऊपर सक्रिय है। दूसरा पश्चिम राजस्थान उसके आसपास 1.5 किलोमीटर ऊंचाई तक है। एक द्रोणिका उत्तर छत्तीसगढ़ होते हुए उत्तर-पश्चिम बंगाल की खाड़ी तक फैली हुई है। द्रोणिका/हवा की अनियमित गति दक्षिणी कर्नाटक से पश्चिम विदर्भ तक 0.9 ऊंचाई तक विस्तारित है। प्रदेश में कल 20 मार्च को कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा होने या गरज-चमक के साथ छींटे पड़ने की संभावना है। प्रदेश में एक-दो स्थानों पर गरज-चमक के साथ अंधड़ चलने तथा वज्रपात होने की भी संभावना है।

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