छत्तीसगढ़ी तीज त्यौहारों के आयोजन से हमारी नई पीढ़ी अपनी परंपरा और प्रकृति से जुड़ेगी : भूपेश बघेल

रायपुर. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज यहां अपने निवास कार्यालय में आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम में राज्य के गैर-अनुसूचित क्षेत्रों के लिए ’मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ी पर्व सम्मान निधि योजना’ का शुभारंभ किया. ग्रामीण क्षेत्रों के तीज-त्यौहारों, संस्कृति एवं परम्परा को संरक्षित और संवर्धित करने के उद्देश्य से यह योजना मुख्यमंत्री आदिवासी परब सम्मान निधि योजना की तर्ज पर शुरू की गई है.

’मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ी पर्व सम्मान निधि योजना’ राज्य के गैर अनुसूचित क्षेत्रों के सामुदायिक क्षेत्रों के 61 विकासखंड की 6 हजार 111 ग्राम पंचायतों में लागू होगी. इस योजना की इकाई ग्राम पंचायत होगी. तीज-त्यौहार मनाने के लिए इस योजना में भी हर ग्राम पंचायत को दो किश्तों में 10 हजार रुपए की राशि दी जाएगी.

वर्चुअल कार्यक्रम
मुख्यमंत्री ने योजना के शुभारंभ के अवसर पर योजना की पहली किश्त के रूप में सभी 6 हजार 111 ग्राम पंचायतों को 05-05 हजार रुपए के मान से कुल 03 करोड़ 05 लाख 55 हजार रुपए की राशि जारी की. मुख्यमंत्री बघेल ने इसके साथ-साथ ’मुख्यमंत्री आदिवासी परव सम्मान निधि’ के अंतर्गत अनुसूचित क्षेत्र के सरगुजा संभाग सहित अन्य अनुसूचित क्षेत्रों के शेष 14 जिलों की 03 हजार 793 ग्राम पंचायतों को आज प्रथम किश्त के रुप मेें 05-05 हजार रुपए के मान से कुल 01 करोड़ 89 लाख 65 हजार रुपए की राशि भी जारी की. इसके साथ ही यह योजना पूरे प्रदेश में लागू हो गई है. गौरतलब है कि मुख्यमंत्री बघेल ने 13 अप्रैल को बस्तर में आयोजित भरोसा सम्मेलन में ’मुख्यमंत्री आदिवासी परब सम्मान निधि योजना’ का शुभारंभ करते हुए बस्तर संभाग की 1840 ग्राम पंचायतों को योजना की पहली किश्त के रूप में 5-5 हजार रुपए के मान से अनुदान राशि जारी की थी.

मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ी पर्व सम्मान निधि योजना’ की शुरुआत की

मुख्यमंत्री बघेल ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ के विकास में यहां की संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण का काम अत्यंत महत्वपूर्ण है. इसी उद्देश्य से राज्य में तीजा, हरेली, भक्तिन महतारी कर्मा जयंती, मां शाकंभरी जयंती (छेरछेरा), छठ और विश्व आदिवासी दिवस जैसे पर्वाे पर सार्वजनिक अवकाश दिया जा रहा है. साथ ही इन पर्वों पर भव्य आयोजन भी किया जा रहा है. राज्य शासन की यह भावना है कि तीज-त्यौहारों के माध्यम से हमारी नयी पीढ़ी अपने पारंपरिक मूल्यों से जुड़कर संस्कारित हो और अपनी संस्कृति पर गौरव का अनुभव करे. राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव, युवा महोत्सव, छत्तीसगढ़िया ओलंपिक जैसे आयोजनों के पीछे भी हमारा यही उद्देश्य है. देवगुड़ियाँ और घोटुलों के विकास का काम भी किया जा रहा है.

मुख्यमंत्री ने कहा हमारे लोक पर्व और हमारी लोक संस्कृति प्रकृति से जुड़ी है. हमारे पुरखों ने अपने अनुभव के आधार पर तीज-त्योहारों को संजोया है. हमारे तीज-त्यौहार हरेली से शुरू होते हैं और फागुन में होली तक चलते हैं. सावन और भादों में ज्यादा त्यौहार मनाए जाते हैं, क्योंकि यही वह समय रहता है जब हमारे किसान और मजदूर खूब मेहनत करते हैं, शरीर में थकान रहती है और आर्थिक परेशानियां भी रहती हैं. इस समय त्यौहारों का आयोजन इसलिए महत्वपूर्ण है कि सब मिलजुल कर इकट्ठा होकर त्यौहार मनाते हैं ताकि तनाव को भूल सके.

मुख्यमंत्री ने कहा कि जब हम तीज त्यौहारों का संरक्षण और संवर्धन करेंगे तो प्रकृति से भी जुड़ेंगे. आज हमारे सामने जलवायु परिवर्तन एक बड़ी चुनौती है. ऐसे में प्रकृति का संरक्षण और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है. मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ी लोक परब सम्मान निधि के अंतर्गत हालांकि 10 हजार रूपए की राशि दी जा रही है, यह कोई बड़ी राशि नहीं है लेकिन पंचायतों के माध्यम से छत्तीसगढ़ी तीज त्यौहारों का आयोजन होने से लोग अपनी परंपरा से, हमारी नई पीढ़ी अपनी परंपरा और प्रकृति से जुड़ेगी.
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से छत्तीसगढ़ के तीज-त्यौहारों को मनाने की केवल रस्म अदायगी होती थी. लोग इन त्यौहारों से विलग होते जा रहे थे. यही कारण है कि राज्य सरकार ने तीज-त्यौहारों के संरक्षण के लिए इनका आयोजन प्रारंभ किया है. आज बालोद जिले की भेंड़िया नवागांव की सरपंच श्रीमती आर्य ने बताया कि वे हर तीज में वे मुख्यमंत्री निवास आती हैं. पहले मुख्यमंत्री निवास में छत्तीसगढ़ के तीज-त्यौहारों का आयोजन नहीं होता था.

मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ी खेलों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़िया ओलंपिक का आयोजन इस वर्ष किया गया, जिसमें विभिन्न आयु वर्ग के 26 लाख लोगों ने हिस्सा लिया. छत्तीसगढ़ी ओलंपिक के लिए बजट में 25 करोड़ रूपए का प्रावधान रखा गया है. भेंट-मुलाकात के दौरान अनेक महिलाओं ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि वे मायके में खेलों में हिस्सा लिया करती थीं, ससुराल में उनका खेलना छूट गया था. छत्तीसगढ़िया ओलंपिक में उन्हें फिर से खेलने का मौका मिला.

इस अवसर पर कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की अस्मिता, संस्कृति, खान-पान, रहन-सहन, तीज-त्यौहारों के संरक्षण के लिए मुख्यमंत्री बघेल के नेतृत्व में खूब काम किया गया है. वीडियो कॉन्फ्रेंस से जुड़े आदिम जाति विकास विभाग के मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने कहा कि अनुसूचित क्षेत्रों और गैर अनुसूचित क्षेत्रों में अपने तीज-त्यौहारों के संरक्षण के लिए मुख्यमंत्री परब निधि सम्मान योजना काफी महत्वपूर्ण साबित होगी. वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने कार्यक्रम को वर्चुअली संबोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ी तीज-त्यौहारों की परम्परा को आगामी पीढ़ी को हस्तांतरित करने और अपनी संस्कृति को उभारने की दृष्टि से यह अच्छी योजना है.

मुख्यमंत्री ने बलरामपुर जिले के वाड्रफनगर क्षेत्र की ग्राम पंचायत बसंतपुर के सरपंच रामवृक्ष जगते, रायगढ़ जिले की ग्राम सरपंच लोइंग के सरपंच सूरज पटेल और बालोद के भेड़िया नवा गांव की सरपंच श्रीमती चिदाकाश आर्य से वीडियो कांफ्रेंस से चर्चा की. सरपंचों ने योजना की सराहना करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ की संस्कृति को बढ़ावा मिला है. परब सम्मान निधि योजना प्रारंभ करने के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री के प्रति आभार प्रकट किया.

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू ने ’मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ी पर्व सम्मान निधि योजना’ की विस्तार से जानकारी दी. इस अवसर पर मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा, छत्तीसगढ़ राज्य खनिज विकास निगम के अध्यक्ष गिरीश देवांगन, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, अनुसूचित जाति विभाग के सचिव डी.डी. सिंह सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.

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