बंगाल में केंद्रीय बलों की तैनाती पर उच्चतम न्यायालय का फैसला तृणमूल की नैतिक हार: भाजपा
नयी दिल्ली. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पश्चिम बंगाल में आगामी पंचायत चुनावों के लिए केंद्रीय बलों की तैनाती पर उच्चतम न्यायालय के फैसले की मंगलवार को सराहना की और इसे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार के लिए ‘सबक’ और तृणमूल कांग्रेस के लिए ‘नैतिक हार’ करार दिया.
उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिसमें राज्य चुनाव आयोग को पंचायत चुनावों के लिए पश्चिम बंगाल में केंद्रीय बलों की मांग करने और उनकी तैनाती करने का निर्देश दिया गया था.
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, ”उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार पूरी तरह बेनकाब हो गई है. वह न केवल हिंसक गतिविधियों को संरक्षण दे रही है बल्कि उसने राज्य में हिंसा रोकने के लिए किए जा रहे प्रयासों को रोकने के लिए संवैधानिक उपकरणों का इस्तेमाल करते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है.” त्रिवेदी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले को ‘राज्य चुनाव आयोग के लिए सलाह’ के तौर पर देखा जा सकता है कि उसे ‘राज्य सरकार के औजार के रूप में काम करने’ के बजाय राज्य में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष पंचायत चुनाव सुनिश्चित करने चाहिए.
उन्होंने कहा, ”भाजपा और अन्य पार्टी कार्यकर्ताओं पर हिंसा, आगजनी और जानलेवा हमलों के बाद, उच्चतम न्यायालय के फैसले को लोकतंत्र के रक्षक और पश्चिम बंगाल सरकार के लिए एक सबक के रूप में देखा जाना चाहिए.” भाजपा प्रवक्ता ने पंचायत चुनावों के लिए नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया के दौरान पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा को लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, ”उन्हें (तृणमूल कांग्रेस) अदालत में पहले ही नैतिक हार का सामना करना पड़ा है. अब चुनाव के राजनीतिक नतीजे का इंतजार है.”
राज्य में 15 जून को नामांकन दाखिल करने के अंतिम दिन हुई हिंसा में कम से कम तीन लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे. राज्य के विभिन्न हिस्सों से झड़पों की कई घटनाओं की सूचना मिली थी और इसके बाद स्थिति को नियंत्रित करने में पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी.
न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि यह सच है कि उच्च न्यायालय के आदेश का आशय राज्य में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना है क्योंकि यहां एक ही दिन में पंचायत चुनाव हो रहे हैं. उच्च न्यायालय ने 15 जून को राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया था कि पंचायत चुनाव के लिए पूरे पश्चिम बंगाल में 48 घंटे के अंदर केंद्रीय बलों की मांग की जाए और उन्हें तैनात किया जाए.
अदालत ने कहा था कि उसने चुनावी प्रक्रिया के लिए 13 जून को संवेदनशील क्षेत्रों में केंद्रीय बलों को तैनात करने का आदेश दिया था और तभी से कोई सराहनीय कदम नहीं उठाया गया है. उच्च न्यायालय ने राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया था कि राज्य के उन सभी जिलों में केंद्रीय बलों को तैनात करने की मांग की जाए जहां आठ जुलाई को होने वाले पंचायत चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने के दौरान हिंसा देखी गयी.