गीता प्रेस पर कांग्रेस की टिप्पणी भारत, हिन्दू धर्म और गांधी के आदर्शों की अवमानना: भाजपा

नयी दिल्ली/भोपाल. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने के संबंध में कांग्रेस की टिप्पणी को लेकर मंगलवार को उस पर फिर से हमला बोला और कहा कि यह भारत, हिंदू धर्म और महात्मा गांधी के आदर्शों के प्रति विपक्षी पार्टी की अवमानना का सबूत है.

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने रविवार को आरोप लगाया था कि गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित करने का फैसला ‘मजाक’ है और यह ‘सावरकर और गोडसे’ को पुरस्कृत करने जैसा है. भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने इसके जवाब में कहा, ”गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने को लेकर कांग्रेस पार्टी ने जिस तरह की अवांछनीय और आपत्तिजनक टिप्पणी की है, हम उसकी निंदा करते हैं.” त्रिवेदी भाजपा मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस की टिप्पणी सिर्फ गीता प्रेस के खिलाफ नहीं है, बल्कि भगवद्गीता के खिलाफ भी है. उन्होंने कहा, ”कांग्रेस द्वारा भगवद्गीता का अपमान कोई आज की बात नहीं है. 2014 में भी जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी प्रथम अमेरिका यात्रा में तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा को गीता भेंट की थी, तब भी कांग्रेस और इसी जमात ने इस पर आपत्ति जतायी थी. कांग्रेस तो अपने ही नेताओं चाहे, वो महात्मा गांधी हों या लोकमान्य तिलक.. गीता पर लिखी पुस्तकें भूल जाती है.”

उन्होंने कहा, ”कांग्रेस नेता इस देश की परंपराओं, संस्कृति, भारतीयता और हिंदू धर्म से जुड़ी किसी भी चीज के लिए अपनी अवमानना व्यक्त करने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं. यह उनकी मानसिकता है.” भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि महात्मा गांधी ने गीता प्रेस को पत्र लिखकर उसके काम की सराहना की थी और उसे कोई विज्ञापन नहीं लेने का सुझाव दिया था.

त्रिवेदी ने कहा, ”गांधी जी के सुझाव को सिद्धांत के रूप में स्वीकार करते हुए गीता प्रेस ने अब तक न तो कोई विज्ञापन लिया है और न ही किसी मुद्दे पर अपनी राय व्यक्त की है… (यह) सिर्फ साहित्य प्रकाशित हुआ है.” त्रिवेदी ने दावा किया कि गांधी ने गीता प्रेस से बाहर से कोई चंदा नहीं लेने को भी कहा था.

उन्होंने कहा कि गांधी के सिद्धांतों का पालन करते हुए गीता प्रेस ने कहा है कि उसे गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किए जाने पर गर्व है, लेकिन वह एक करोड़ रुपये की पुरस्कार राशि स्वीकार नहीं करेगा. भाजपा प्रवक्ता ने कहा, ”गीता प्रेस मामले में कांग्रेस ने जिस तरह का चरित्र दिखाया है, वह भारत, भारतीयता, भारतीय संस्कृति, हिंदू धर्म और महात्मा गांधी के विचारों के प्रति उसकी अवमानना का स्पष्ट प्रमाण है.”

गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार देने का विरोध हमारी संस्कृति एवं धर्म का अपमान: चौहान

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गोरखपुर स्थित प्रसिद्ध गीता प्रेस को वर्ष 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार प्रदान किए जाने की घोषणा की आलोचना करने को लेकर मंगलवार को कांग्रेस को आड़े हाथ लिया. उन्होंने कहा कि गीता प्रेस को मिले सम्मान का विरोध करना हमारी संस्कृति, परंपराओं, जीवन मूल्यों एवं हमारे धर्म का अपमान है.

कांग्रेस ने गीता प्रेस को पुरस्कार दिए जाने की आलोचना की थी और इसे पुरस्कार ‘उपहास’ बताया था. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने रविवार को कहा था, ”यह फैसला वास्तव में एक उपहास है तथा सावरकर एवं गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है.” रमेश हिंदुत्व विचारक विनायक दामोदर सावरकर और महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे का जिक्र कर रहे थे.

कांग्रेस की प्रतिक्रिया के बारे में पूछे जाने पर चौहान ने यहां संवाददाताओं से कहा, ”बचपन से ही मैंने गीता प्रेस द्वारा प्रकाशित आध्यात्मिक साहित्य पढ.ा है. इसने हमें आध्यात्मिकता की ओर प्रेरित किया. मैं गीता प्रेस का बहुत सम्मान करता हूं.” उन्होंने कहा, ”अगर गीता प्रेस नहीं होती तो शायद कई धर्म ग्रंथ जनता तक नहीं पहुंच पाते. गीता प्रेस को दिए गए सम्मान का विरोध करना हमारी संस्कृति, परंपराओं, जीवन मूल्यों और हमारे धर्म का अपमान है. इसको जनता सहन नहीं करेगी.”

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