शिवसेना में बगावत का एक वर्ष: एक धड़े ने ‘गद्दार दिवस’, दूसरे ने ‘आत्मसम्मान दिवस’ मनाया
मुंबई. शिवसेना में बगावत का एक साल पूरा होने पर महाराष्ट्र में मंगलवार को विरोध प्रदर्शन और आरोप-प्रत्यारोप देखने को मिले. पार्टी को हिलाकर रख देने वाली इस बगावत को लेकर दोनों प्रतिद्वंद्वी धड़ों ने अपनी-अपनी धारणा के तहत ‘गद्दार दिवस’ और ‘आत्मसम्मान दिवस’ मनाया. बगावत के बाद राज्य में उद्धव ठाकरे नीत तत्कालीन सरकार भी गिर गई थी.
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) ने ‘गद्दार दिवस’ मनाया और बागी विधायकों के खिलाफ अपना गुस्सा निकाला, जबकि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले सत्ताधारी धड़े ने ‘आत्मसम्मान दिवस’ मनाया और पार्टी के संस्थापक बाल ठाकरे की विरासत का उल्लेख किया.
शिवसेना के 57वें स्थापना दिवस समारोह के एक दिन बाद पार्टी के दोनों प्रतिद्वंद्वी धड़ों ने एक-दूसरे पर निशाना साधा. दोनों धड़ों के नेताओं- ठाकरे और शिंदे, ने मुंबई में अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए और एकदूसरे पर आरोप लगाए. बाल ठाकरे द्वारा स्थापित पार्टी में पिछले साल की बगावत के बाद विभाजन देखने को मिला था और उसके चलते महा विकास आघाडी (एमवीए) नीत सरकार को सत्ता छोड़नी पड़ी थी. एमवीए में तीन दल संयुक्त शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस शामिल थे.
शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने संयुक्त राष्ट्र को पत्र लिखकर 20 जून को ‘विश्व गद्दार दिवस’ के तौर पर घोषित करने का आग्रह किया है. 20 जून को शिंदे सहित 40 शिवसेना विधायकों ने पार्टी छोड़ दी थी और बाद में शिंदे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के समर्थन से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने थे.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस को लिखे पत्र में, राउत ने कहा कि 20 जून, 2022 को शिवसेना के 40 विधायकों का एक समूह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा “उकसाये” जाने के बाद पार्टी से अलग हो गया था. पत्र में राउत ने कहा कि कहा जाता है कि उनमें से प्रत्येक ने दल बदलने के लिए 50 करोड़ रुपये लिये. हालांकि संबंधित विधायकों ने इस दावे को खारिज किया है. उन्नीस जून की तिथि वाले पत्र को राज्यसभा सांसद ने मंगलवार को ट्वीट किया था.
पुलिस ने कहा कि शिवसेना (यूबीटी) के कार्यकर्ताओं ने सांगली, धुले, अहमदनगर, नासिक, बीड, लातूर, पुणे, कोल्हापुर और नागपुर सहित अन्य शहरों में ‘गद्दार दिवस’ प्रदर्शन किये. पार्टी कार्यकर्ताओं ने “खोके दिवस” ??के नारे लगाये और आरोप लगाया कि धन ने बगावत में भूमिका निभायी. बोलचाल की भाषा में एक खोके का मतलब एक करोड़ होता है.
पत्रकारों के एक सवाल का जवाब देते हुए, ठाकरे ने प्रतिद्वंद्वी खेमे पर निशाना साधा और कहा कि “गद्दार” हमेशा “गद्दार” रहेंगे और यह ‘ठप्पा’ कभी नहीं मिटेगा. शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने ठाकरे खेमे पर उसके “गद्दार” कटाक्ष को लेकर पलटवार किया और उस पर 2019 के विधानसभा चुनाव के जनादेश का अनादर करने का आरोप लगाया.
शिवसेना मंत्री उदय सामंत ने कहा कि जनादेश के साथ विश्वासघात करने वाले ‘गद्दार दिवस’ मना रहे हैं. उनका इशारा परोक्ष तौर पर ठाकरे के नेतृत्व वाली अविभाजित पार्टी की ओर था जिसने 2019 का विधानसभा चुनाव भाजपा के साथ मिलकर लड़ा था और बाद में कांग्रेस और राकांपा से हाथ मिला लिया था.
उन्होंने कहा, ”बालासाहेब ठाकरे ने सभी को स्वाभिमान का पाठ पढ.ाया. बालासाहेब ही थे जिन्होंने हमें सलाह दी थी कि कांग्रेस की गोद में कभी मत बैठना. हमने बालासाहेब के स्वाभिमान की रक्षा की, इसलिए यह हमारे लिए ‘स्वाभिमान दिवस’ है और जिन्होंने जनादेश के साथ विश्वासघात किया, उनके लिए यह ‘गद्दार दिवस’ है.” सामंत ने संवाददाताओं से कहा, ”हमारे स्वाभिमान की रक्षा के लिए, शिंदे साहब ने बगावत की और हम 40 विधायकों ने इसमें भाग लिया. हमें इस पर गर्व है.” शिवसेना (यूबीटी) की सहयोगी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भी शिवसेना में बगावत का एक वर्ष पूरा होने पर मुंबई और महाराष्ट्र के अन्य हिस्सों में ‘गद्दार दिवस’ मनाया.
राकांपा की कार्यकारी अध्यक्ष एवं लोकसभा सदस्य सुप्रिया सुले के नेतृत्व में मुंबई में पार्टी कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी की और इस दावे कि बागी विधायकों ने निष्ठा बदलने के लिए पैसे लिए, के समर्थन के लिए प्रतीकात्मक ”खोके” (कार्टन) लिये हुए थे. नागपुर में राकांपा कार्यकर्ताओं ने वैरायटी चौक पर प्रदर्शन किया और शिंदे नीत शिवसेना के विधायकों के खिलाफ नारेबाजी की.