वित्त मंत्री के स्वस्थ होते ही चर्चा को तैयार, राहुल विधायी कामकाज पर अंकुश का प्रयास न करें: भाजपा
नयी दिल्ली. संसद के दोनों सदनों में कामकाज बाधित करने का आरोप लगाते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बुधवार को कहा कि कोरोना वायरस से संक्रमित वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के स्वस्थ हो जाने के बाद सरकार महंगाई तथा कुछ आवश्यक वस्तुओं पर माल और सेवा कर (जीएसटी) लगाए जाने जैसे मुद्दों पर चर्चा करने को तैयार है. पार्टी ने राहुल गांधी पर भी निशाना साधा और कहा कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ‘‘राजनीतिक रूप से अनुपयोगी’’ हो सकते हैं लेकिन उन्हें विधायिका के कामकाज पर अंकुश लगाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए.
उल्लेखनीय है कि बुधवार को लगातार तीसरे दिन महंगाई सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी दलों के हंगामे के कारण संसद के दोनों सदनों में कामकाज नहीं हो सका और कार्यवाही बाधित होने के बाद यह दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई. केंद्र सरकार ने आक्रामक रुख अख्तियार करते हुए बुधवार को विपक्षी दलों के हमलों का जवाब देने के लिए अपने तीन केंद्रीय मंत्रियों-पीयूष गोयल, प्रल्हाद जोशी और स्मृति ईरानी को सामने किया तथा इन सभी ने संसद में हंगामे व व्यवधान के लिए कांग्रेस को आड़े हाथों लिया.
गोयल और जोशी ने कहा कि महंगाई के मुद्दे पर किसी भी चर्चा का जवाब सीतारमण देंगी लेकिन वह अभी कोविड-19 से संक्रमित हैं. उन्होंने कहा कि सरकार महंगाई तथा कुछ आवश्यक वस्तुओं पर माल और सेवा कर (जीएसटी) लगाए जाने जैसे मुद्दों पर चर्चा को तैयार है. दोनों नेताओं ने विपक्ष के इन आरोपों को सिरे से खारिज किया कि सरकार इन मुद्दों पर चर्चा से भाग रही है.
उन्होंने कहा कि कोविड-19 से संक्रमित वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के स्वस्थ होने के बाद इन मुद्दों पर चर्चा की जा सकती है.
राज्यसभा में सदन के नेता गोयल ने संसद भवन परिसर में पत्रकारों से बातचीत में कहा, ‘‘लोकतंत्र के प्रति कांग्रेस का रवैया विध्वंसात्मक है. यह (कांग्रेस नेता) जयराम रमेश के उस ट्वीट से भी साबित होता है, जिसमें उन्होंने कहा है कि कांग्रेस संसद में कामकाज नहीं होने देने में सफल रही है.’’
रमेश ने इससे पहले एक ट्वीट में कहा था, ‘‘आज सुबह राज्यसभा में कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष ने मूल्य वृद्धि और खाद्य पदार्थों पर लगाए गए जीएसटी पर तत्काल बहस की मांग की. सरकार ने इससे इनकार कर दिया. सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई. मोदी सरकार की जिद जारी है. संसद में कामकाज नहीं हो पा रहा है.’’ गोयल ने आरोप लगाया कि विपक्षी दलों में प्रतिस्पर्धा चल रही है कि कौन संसद की कार्यवाही अधिक बाधित करेगा.
जीएसटी परिषद के फैसले लागू होने के बाद सोमवार से कई खाद्य वस्तुएं महंगी हो गई हैं. इनमें पहले से पैक और लेबल वाले खाद्य पदार्थ जैसे आटा, पनीर और दही शामिल हैं, जिन पर पांच प्रतिशत जीएसटी देना होगा. विपक्षी दल पांच प्रतिशत जीएसटी वापस लेने की मांग कर रहे हैं.
गोयल ने कहा कि जिस जीएसटी परिषद की बैठक में यह फैसला हुआ था उसमें कांग्रेस शासित राज्यों के मंत्री भी शामिल थे.
मध्य प्रदेश और कुछ अन्य राज्यों के स्थानीय निकाय के चुनाव परिणामों का उल्लेख करते हुए गोयल ने कहा कि जनता ने बता दिया है कि वे किसके साथ हैं. जोशी ने कहा कि कांग्रेस रचनात्मक बहस को तैयार नहीं है बल्कि वह ‘‘विध्वंसक नुकसान’’ चाहती है. उन्होंने कहा कि चर्चा के लिए विपक्ष को नियम व प्रक्रियाओं का अनुसरण करना चाहिए. उन्होंने कहा कि राज्यसभा के सभापति और लोकसभा अध्यक्ष भी चर्चा कराने के पक्ष में हैं.
ईरानी ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ‘‘राजनीतिक रूप से अनुपयोगी’’ हो सकते हैं लेकिन उन्हें विधायिका के कामकाज पर अंकुश लगाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि अपने राजनीतिक जीवन में गांधी पूर्व में भी संसदीय कार्यवाहियों और परंपरा के प्रति असम्मान दिखा चुके हैं और अब वह लोकसभा कामकाज पर भी अंकुश लगाने पर अड़े हैं.
ईरानी ने कहा कि वर्ष 2004 से 2019 के बीच अमेठी के सांसद के तौर पर राहुल गांधी ने संसद में एक भी प्रश्न नहीं उठाया और जब उन्होंने संसदीय क्षेत्र को ‘‘छोड़’’ दिया तथा वायनाड के सांसद बन गए तब लोकसभा में 2019 में शीतकालीन सत्र में उनकी उपस्थिति 40 प्रतिशत से भी कम थी. वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में अमेठी से राहुल गांधी को हरा चुकीं ईरानी ने आरोप लगाया कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने सदन में कभी कोई निजी विधेयक भी पेश नहीं किया.
ईरानी ने गांधी की विदेश यात्राओं पर भी कटाक्ष किया और कहा कि यह उनकी अपनी ही पार्टी में ंिचता का विषय बन गया है.
उन्होंने कहा ‘‘अपने राजनीतिक जीवन में गांधी पूर्व में भी संसदीय कार्यवाहियों और परंपरा के प्रति असम्मान दिखा चुके हैं और अब वह यह सुनिचित करने के लिए स्वयं को सर्मिपत कर चुके हें कि न तो संसदीय कार्यवाही हो और न ही कोई बहस हो.’’
ईरानी ने कहा ‘‘वह राजनीतिक तौर पर अनुपयोगी हो सकते हैं, लेकिन उनसे मैं कहना चाहती हूं कि वो संसद की उत्पादकता पर अंकुश लगाने की कोशिश निरंतर न करें.’’ उन्होंने कहा कि भारत की संसद, भारत की अपेक्षाओं, आकांक्षाओं का प्रतीक है और देश की जनता ये चाहती है कि संसद में उन विषयों पर चर्चा हो, जो देश के हर नागरिक के लिए महत्वपूर्ण हैं.