गांधी शांति पुरस्कार का चयन करने वाली बैठक में मुझे नहीं बुलाया गया: अधीर रंजन

नयी दिल्ली. लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि गोरखपुर स्थित प्रसिद्ध गीता प्रेस को वर्ष 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार प्रदान करने के लिए ज्यूरी (निर्णायक मंडल) की बैठक में न तो उन्हें आमंत्रित किया गया था और न ही फैसले के बारे में सूचित किया गया.

चौधरी ने कहा, ”मुझे बैठक के बारे में भी नहीं बताया गया. यह सूचना भी नहीं दी गई कि यह पुरस्कार किसे दिया जाना है. मुझे अखबारों से पता चला कि यह पुरस्कार किसे देने का फैसला किया गया है.” गांधी शांति पुरस्कार की प्रक्रिया संहिता के अनुसार, इस पुरस्कार का निर्णय पांच सदस्यीय ज्यूरी द्वारा किया जाता है. इस निर्णायक मंडल की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं और इसमें प्रधान न्यायाधीश, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष या सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता तथा दो प्रमुख हस्तियां बतौर सदस्य शामिल होती हैं.

उल्लेखनीय है कि गोरखपुर स्थित प्रसिद्ध गीता प्रेस को वर्ष 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार प्रदान किए जाने की घोषणा की गई है.
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने रविवार को आरोप लगाया था कि गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित करने का फैसला ‘मजाक’ है और यह ‘सावरकर और गोडसे’ को पुरस्कृत करने जैसा है.

गीता प्रेस की शुरुआत वर्ष 1923 में हुई थी और यह दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक है, जिसने 14 भाषाओं में 41.7 करोड़ पुस्तकें प्रकाशित की हैं. इनमें श्रीमद्­भगवद्­गीता की 16.21 करोड़ प्रतियां शामिल हैं. गांधी शांति पुरस्कार एक वार्षिक पुरस्कार है, जिसकी शुरुआत सरकार ने 1995 में महात्मा गांधी की 125वीं जयंती के अवसर पर गांधी द्वारा प्रतिपादित आदर्शों को सम्मान देते हुए की थी.

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