चक्रवात बिपारजॉय से निपट कर मोदी सरकार ने दुनिया को दिया सर्वश्रेष्ठ आपदा प्रबंधन मॉडल : मांडविया

नयी दिल्ली. केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा है कि चक्रवात बिपारजॉय से निपटने के लिए 1.1 लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने से लेकर पेड़ों की छंटाई और बच्चों के लिए झूलों सहित आश्रय गृहों में सभी आवश्यक सुविधाएं प्रदान करने जैसे कदमों के साथ नरेन्द्र मोदी सरकार ने पूरी दुनिया के सामने अब तक का सबसे अच्छा आपदा प्रबंधन मॉडल पेश किया है.

चक्रवात ने पिछले बृहस्पतिवार को गुजरात के कच्छ तट पर जखौ के पास दस्तक दी थी. चक्रवात के कारण बड़ी संख्या में पेड़ और बिजली के खंभे उखड़ गए तथा घरों को नुकसान पहुंचा. इसने आठ तटीय जिलों को सबसे अधिक प्रभावित किया लेकिन राज्य में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है.

गुजरात से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता मांडविया ने बड़े पैमाने पर इस क्षेत्र की यात्रा की और चक्रवात से बचने के लिए बचाव एवं राहत उपायों की निगरानी की. उन्होंने पड़ोसी राज्य राजस्थान में की गई व्यवस्थाओं पर भी कटाक्ष किया जहां चक्रवात के कमजोर होने के बावजूद कहीं अधिक प्रभाव पड़ा था.

मंत्री ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा, “चक्रवात कुछ समय बाद कमजोर पड़ जाते हैं लेकिन फिर भी गुजरात और पाकिस्तान के बाद जब यह राजस्थान पहुंचा तो वहां कई लोगों की मौत हो गई. मुझे गुजरात सरकार के प्रयासों की सराहना करनी चाहिए.” राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है.

गुजरात में की गई व्यवस्थाओं का जिक्र करते हुए मांडविया ने कहा, “जिस तरह से हम गुजरात में चक्रवात बिपारजॉय से निपटे, वह मोदी सरकार द्वारा पूरी दुनिया को दिया गया सबसे अच्छा आपदा प्रबंधन मॉडल है.” उन्होंने कहा, “दुनिया में कहीं भी चक्रवात या बवंडर आता है तो आम तौर पर यह छोटे क्षेत्र को प्रभावित करता है, लेकिन फिर भी पहले की स्थिति बहाल करने में महीनों लग जाते हैं. बिपारजॉय का प्रभाव 200 किमी की सीमा में था और यह 125 किमी प्रति घंटे की गति से कच्छ की तटीय रेखा से टकराया था.”

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि उस तटीय क्षेत्र में दो बंदरगाह हैं – मुंद्रा और कांडला – जो भारत के 40 प्रतिशत कार्गो (मालवहन) को संभालते हैं और वहां हजारों मजदूरों के साथ ही बड़े गोदामों, जहाजों, कार्गो निकासी आदि कई गतिविधियां होती हैं. उन्होंने कहा कि इन बंदरगाहों पर हर दिन 10,000-15,000 ट्रकों की आवाजाही होती है, वहां हजारों श्रमिक रहते हैं और उन सभी को आश्रय गृहों में पहुंचाना एक बड़ी चुनौती थी, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नियमित मार्गदर्शन से राज्य सरकार और अन्य एजेंसियों को सभी आवश्यक उपाय करने में मदद मिली.

मांडविया ने कहा, “शून्य से 10 किलोमीटर के दायरे में 112 गांव थे और उन गांवों से सभी को निकालकर आश्रय गृह ले जाया गया. एक लाख 10 हजार से अधिक लोगों को आश्रय गृहों में ले जाया गया. इनमें महिलाएं भी थीं जिनके लिए अलग से व्यवस्था की गई थी और स्वास्थ्य व कल्याण के उपाय किए गए थे.” उन्होंने कहा, “व्यवस्थाओं का जायजा लेने के लिए मैंने व्यक्तिगत रूप से इन केंद्रों का दौरा किया. हमने लक्ष्य रखा था कि किसी की जान न जाए और आखिर में इसे हासिल किया. यह कोई छोटी बात नहीं थी.”

उन्होंने कहा कि घरों या अन्य जगहों पर पेड़ों के गिरने से भी लोग और जानवर मरते हैं और इस संबंध में भी आवश्यक कदम उठाए गए थे. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, “दो लाख से अधिक जानवरों को ऊंचाई पर स्थानांतरित कर दिया गया और केवल 71 जानवरों की मौत हुई. रणनीति के तहत पेड़ों की छंटाई की गई ताकि पेड़ों के गिरने से कोई हताहत न हो.”

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