म्यांमा के 150 नागरिकों को स्वदेश भेजने के कदम की मलेशियाई मानवाधिकार समूह ने निंदा की
कुआलालंपुर/बैंकॉक. मलेशिया के एक मानवाधिकार समूह ने म्यांमा के 150 नागरिकों को स्वदेश भेजने के सरकार के कदम की शुक्रवार को निंदा की. म्यांमा के इन नागरिकों में सेना छोड़ कर भागने वाले छह लोग भी शामिल हैं. सभी को उनके स्वदेश पहुंचने पर गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें मौत की सजा दी जा सकती है.
‘मलेशियन एडवाइजरी ग्रुप आॅन म्यांमा’ नामक समूह ने कहा है कि छह अक्टूबर को म्यांमा के नागरिकों को स्वदेश भेजा जाना ‘शरण चाहने वालों को जबरन वापस न भेजने’ के अंतरराष्ट्रीय सिद्धांत का उल्लंघन’ था, क्योंकि शरण की अपेक्षा रखने वालों को उनकी जान जोखिम में डालकर स्वदेश भेज दिया गया था.
समूह के अध्यक्ष एवं मलेशिया के पूर्व विदेश मंत्री सैयद हामिद अलबर ने कहा‘‘स्वदेश भेजे गये लोगों में से छह म्यांमा सेना के बागी थे. वे सभी म्यांमा पहुंचने पर गिरफ्तार किये जा चुके हैं और अब उन्हें जेल में डाल दिया गया है और उन्हें मृत्युदंड का सामना करना पड़ सकता है.’’ सैयद हामिद ने कहा कि म्यांमा के नागरिकों को स्वदेश भेजा जाना दुखद है क्योंकि मलेशिया ने म्यांमा में मानवाधिकारों की रक्षा करने में अग्रणी भूमिका निभाई है.
मलेशिया के विदेश मंत्री सैफुद्दीन अब्दुल्ला दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संघ (आसियान) के तत्वावधान में शांति योजना को लागू करने में म्यांमा की विफलता को लेकर उस वक्त मुखर रहे थे, जब सेना ने पिछले साल फरवरी में आंग सान सू ची की निर्वाचित सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया था. आसियान के सदस्य देशों ने म्यांमा के नेताओं को क्षेत्रीय समूह की प्रमुख बैठकों में भाग लेने से रोक दिया है.
म्यांमा की सेना पर हाई स्कूल शिक्षक का सिर कलम करके दरवाजे पर लटकाने का आरोप
म्यांमा की सेना पर एक गांव में स्कूली शिक्षक का सिर कलम करके उसे दरवाजे पर लटकाने का आरोप लगा है. प्रत्यक्षर्दिशयों ने बृहस्पतिवार को इस घटना के बारे में जानकारी दी. मागवे ग्रामीण क्षेत्र के तौंग ंिमत गांव में प्रत्यक्षर्दिशयों की गवाही और वहां ली गईं तस्वीरों के अनुसार 46 वर्षीय शिक्षक सॉ तुन मोए का सिरकटा शव स्कूल के दरवाजे के सामने जमीन पर पड़ा हुआ था जबकि सिर दरवाजे पर लटका था. स्कूल पिछले साल से बंद है और उसमें भी आगजनी के निशान मिले हैं.
एक ग्रामीण ने ‘द एसोसिएटेड प्रेस’ को फोन पर बताया कि वह सॉ तुन मोए समेत लगभग दो दर्जन ग्रामीणों में शामिल थी, जो रविवार को सुबह 9 बजकर 30 मिनट मूंगफली के खेत में एक झोपड़ी के पीछे छिपे हुए थे, तभी हथियारबंद लोगों के साथ 80 से अधिक सैनिकों का एक समूह वहां पहुंचा और हवा में गोलियां चलानी शुरू कर दीं. सेना आम नागरिकों को हथियार मुहैया कराकर उनसे अपने लिए काम कराती है. आम नागरिक छापेमारी के दौरान गाइड के तौर पर काम करते हैं.
महिला ने बताया कि सैनिकों ने उन्हें पकड़ लिया. उनके फोन और अन्य सामान जब्त कर लिए और एक अधिकारी के आदेश पर तीन लोगों को समूह से अलग कर दिया तथा केवल सॉ तुन मोए को अपने साथ ले गए. प्रत्यक्षदर्शी महिला ने कहा कि सॉ तुन मोए को लगभग एक किलोमीटर दूर तौंग ंिमत गांव ले जाया गया और अगले दिन वहीं पर उसकी हत्या कर दी गई. महिला ने कहा, ‘‘मुझे सोमवार सुबह पता चला कि उसकी हत्या कर दी गई है. एक अच्छे शिक्षक को खोना बहुत दुखद है, जिस पर हमारे बच्चों की शिक्षा निर्भर थी.’’ महिला के दो बच्चे शिक्षक के स्कूल में पढ़ते थे.
तौंग ंिमत गांव के एक निवासी ने कहा कि उसने सैनिकों के जाने के बाद सोमवार पूर्वाह्न करीब 11 बजे सॉ तुन मोए का शव देखा.
ग्रामीण ने कहा, ‘‘पहले, मैंने अपने दोस्तों को बुलाया, फिर मैंने शव को और करीब से देखा. मुझे तुरंत पता चल गया कि यह शिक्षक मोए है. वह पिछले कुछ महीनों से एक स्कूली शिक्षक के तौर पर हमारे गांव आया करता था, इसलिए मैंने उसका चेहरा पहचान लिया.’’ हालांकि न तो सैन्य सरकार और न ही सरकार के नियंत्रण वाली मीडिया ने शिक्षक की मौत के बारे में कोई जानकारी दी है.
म्यांमा की सेना पिछले साल आंग सान सू ची की निर्वाचित सरकार का तख्तापलट करने के बाद से हजारों लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है. इसके अलावा उसपर 2,300 से अधिक आम नागरिकों की हत्या का आरोप भी लगा है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने ट्विटर पर कहा, ‘‘हम इन खबरों से स्तब्ध हैं कि बर्मा के सैन्य शासन ने मागवे क्षेत्र में एक स्कूली शिक्षक को गिरफ्तार किया, सार्वजनिक रूप से उसकी हत्या की और उसका सिर कलम कर दिया. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को शिक्षकों के खिलाफ सैन्य शासन की क्रूरतापूर्ण ंिहसा पर कड़ी प्रतिक्रिया देनी चाहिए.’’