कभी भारत दूरसंचार प्रौद्योगिकी का सिर्फ उपभोक्ता था, आज बड़ा निर्यातक बनने की राह पर : मोदी
नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि 5जी के आने के छह महीने के भीतर भारत ने 6जी को लेकर जो पहल की हैं उससे देश के आत्मविश्वास का पता चलता है. मोदी ने बुधवार को 6-जी दृष्टिकोण पत्र (टीआईजी-6जी) का अनावरण करते हुए कहा कि कभी भारत दूरसंचार प्रौद्योगिकी का सिर्फ उपभोक्ता होता था, आज यह तेजी से इसका बड़ा निर्यातक बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है.
मोदी ने कहा, ‘‘5-जी प्रौद्योगिकी शुरू होने के छह महीने के भीतर हम 6-जी के बारे में बात कर रहे हैं. यह देश के विश्वास को दर्शाता है.’’ उन्होंने कहा, आज हम दृष्टिकोण पत्र लेकर आए हैं, जो 6जी प्रौद्योगिकी की शुरुआत का बड़ा आधार बनेगा. दूरसंचार विभाग की तरफ से जारी ‘दृष्टिकोण पत्र’ में कहा गया है कि 5जी प्रौद्योगिकी 40-1,100 एमबीपीएस की गति का वादा करती है और इसकी अधिकतम रफ्तार 10,000 एमबीपीएस तक जा सकती है. वहीं 6जी प्रति सेकंड एक टेराबिट की गति की पेशकश करेगी. यह 5जी की रफ्तार से 1,000 गुना अधिक है.
मोदी ने अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (आईटीयू) के नए ‘क्षेत्रीय कार्यालय और नवाचार केंद्र’ का बुधवार को उद्घाटन किया. क्षेत्रीय कार्यालय पूरी तरह से भारत द्वारा वित्तपोषित है. यह सेंटर फॉर डेवलपमेंट आॅफ टेलीमैटिक्स (सी-डॉट) भवन स्थित है.
उन्होंने कहा कि यह आईटीयू कार्यालय देश में 6जी के लिए सही परिवेश बनाने में मदद करेगा.
मोदी ने कहा, ‘‘4-जी से पहले भारत केवल दूरसंचार प्रौद्योगिकी का उपयोगकर्ता था, लेकिन अब भारत इस प्रौद्योगिकी का बड़ा निर्यातक बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है.’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में सफलतापूर्वक विकसित की गई प्रौद्योगिकी पर दुनियाभर की नजर है. उन्होंने कहा कि भारत के पास दो मुख्य शक्तियां- ‘भरोसा और पैमाना’ है.
मोदी ने कहा, ‘‘भरोसे और पैमाने के बिना हम प्रौद्योगिकी को हर नुक्कड़ और कोने तक नहीं ले जा सकते हैं. मेरा मानना है कि विश्वास वर्तमान प्रौद्योगिकी के लिए एक उपसर्ग (शुरुआत) है. सस्ते स्मार्टफोन और सस्ते डेटा ने भारत का कायापलट कर दिया है.’’ उन्होंने कहा कि भारत में डिजिटल भुगतान, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण, जनधन, आधार, ब्रॉडबैंड सेवाओं के तेजी से विस्तार के साथ आदि बड़े पैमाने पर डिजिटल समावेशन हुआ है.
मोदी ने कहा, ‘‘दूरसंचार प्रौद्योगिकी भारत में सत्ता का सिर्फ एक तरीका नहीं बल्कि यह सशक्तीकरण का एक ‘उद्देश्य’ है.” भारत की दूरसंचार सफलता की कहानी की चर्चा करते हुए मोदी ने कहा कि इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 2014 में 25 करोड़ से बढ़कर 85 करोड़ हो गई है, जिसमें अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में हैं. उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट सुविधा ने शहरी केंद्रों को पीछे छोड़ दिया है. यह दर्शाता है कि देश के कोने-कोने में डिजिटल शक्ति की पहुंच है.
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि सरकार और निजी क्षेत्र ने मिलकर 25 लाख किलोमीटर से अधिक आॅप्टिकल फाइबर बिछाया है. इसमें लगभग दो लाख ग्राम पंचायतों को जोड़ना शामिल है. उन्होंने यह भी घोषणा की कि आने वाले दिनों में भारत 100 नई 5-जी प्रयोगशालाओं की स्थापना करेगा.
उन्होंने कहा, ‘‘ये प्रयोगशालाएं भारत की अनूठी जरूरतों के अनुसार 5-जी एप्लिकेशन विकसित करने में मदद करेंगी.’’ मोदी ने कहा कि भारत सबसे तेज गति से 5जी मोबाइल प्रौद्योगिकी शुरू करने वाले देशों में से है. उन्होंने कहा कि 5-जी शुरू होने के 120 दिन के भीतर सेवाओं का विस्तार 125 शहरों में किया गया है.
इस बात पर जोर देते हुए कि भारत का दूरसंचार और डिजिटल मॉडल सुचारू, सुरक्षित, पारदर्शी और भरोसेमंद है, प्रधानमंत्री ने कहा कि यह दशक ‘‘टेकेड’’ का है. इस दौरान मोदी ने ‘6-जी अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) केंद्र’ की भी शुरुआत की. इसके अलावा उन्होंने ‘‘कॉल बिफोर यू डिग’’ ऐप की भी शुरूआत की.
आईटीयू, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) के लिए संयुक्त राष्ट्र की विशेष संस्था है. इसका मुख्यालय जिनेवा में है. यह क्षेत्रीय कार्यालयों, आंचलिक कार्यालयों और प्रदेश कार्यालयों का एक नेटवर्क है. भारत ने क्षेत्रीय कार्यालय की स्थापना के लिए आईटीयू के साथ मार्च, 2022 में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. देश में क्षेत्रीय कार्यालय में भी इसके साथ संबंधित एक नवाचार केंद्र की परिकल्पना की गई है जो इसे आईटीयू के अन्य क्षेत्रीय कार्यालयों के बीच अद्वितीय बनाता है.
बयान के अनुसार, यह भारत, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव, अफगानिस्तान और ईरान को सेवा मुहैया कराएगा, राष्ट्रों के बीच समन्वय बढ़ाएगा और क्षेत्र में पारस्परिक रूप से लाभदायक आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देगा. टीआईजी-6जी, प्रौद्योगिकी नवाचार समूह द्वारा तैयार किया गया है. इस समूह का गठन नवंबर, 2021 में विभिन्न मंत्रालयों, विभागों, अनुसंधान और विकास संस्थानों, शिक्षाविदों, मानकीकरण निकायों, दूरसंचार सेवा प्रदाताओं और उद्योग जगत के सदस्यों के साथ भारत में 6-जी सेवा के लिए कार्ययोजना और रूपरेखा विकसित करने के लिए किया गया था.