श्रीलंका में मंहगाई दर बढ़कर हुई 21.5%
'संविधान संशोधन से श्रीलंका का संकट खत्म नहीं होगा, राजनीतिक संस्कृति में बदलाव जरूरी'
कोलंबो/रामेश्वरम. कर्ज में डूबे श्रीलंका की मुद्रास्फीति मार्च 2022 में बढ़कर 21.5 प्रतिशत हो गई. शुक्रवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी गई. इस बीच, श्रीलंका के वित्त मंत्री अली साबरी ने राहत पैकेज हासिल करने के लिए वांिशगटन में आईएमएफ (अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष) अधिकारियों से मुलाकात की.
जनगणना और सांख्यिकी विभाग ने बताया कि राष्ट्रीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (एनसीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति मार्च 2022 में बढ़कर 21.5 प्रतिशत हो गई, जो फरवरी 2022 में 17.5 प्रतिशत थी. इसके साथ ही खाद्य मुद्रास्फीति फरवरी 2022 के 24.7 प्रतिशत से बढ़कर मार्च में 29.5 प्रतिशत हो गई. इस दौरान चावल, चीनी, दूध और ब्रेड जैसे खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी हुई.
श्रीलंका में आर्थिक संकट का एक प्रमुख कारण विदेशी मुद्रा की कमी है. इससे देश जरूरी सामान और ईंधन के आयात के लिये भुगतान करने की स्थिति में नहीं है. जिसके कारण ंिजसों की कमी के साथ उसके दाम बढ़ रहे हैं.
रामबुकाना हिंसा पर बैठक में शामिल नहीं होकर गलती की: महिंदा राजपक्षे
श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने शुक्रवार को स्वीकार किया कि उन्होंने दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र रामबुकाना में हुई हिंसा को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (एनएससी) की आयोजित बैठक में शामिल नहीं होकर गलती की. इस घटना में नवीनतम ईंधन मूल्य वृद्धि के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे सरकार विरोधी निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर पुलिस द्वारा की गई गोलीबारी में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी.
राजपके की यह टिप्पणी विपक्ष के नेता साजिथ प्रेमदासा की आलोचना के जवाब में आयी. प्रेमदासा ने कहा था कि रामबुकाना घटना पर चर्चा करने के लिए प्रधानमंत्री को एनएससी की बैठक में क्यों नहीं आमंत्रित किया गया था.
प्रधानमंत्री राजपक्षे ने संसद में कहा, ‘‘मुझे आमंत्रित किया गया था लेकिन मैं उसमें शामिल नहीं हुआ. यह मेरी गलती है लेकिन मुझे उस शाम प्रगति के बारे में बताया गया था.’’ देश में आर्थिक संकट से निपटने को लेकर प्रधानमंत्री के भाई राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के नेतृत्व वाली सरकार आलोचनाओं के घेरे में है. रामबुकाना में हुई हिंसा में 41 वर्षीय चांिमडा लक्षन की मौत हो गई थी.
‘संविधान संशोधन से श्रीलंका का संकट खत्म नहीं होगा, राजनीतिक संस्कृति में बदलाव जरूरी’
श्रीलंका के पूर्व सेना प्रमुख फील्ड मार्शल सरथ फोंसेका ने कहा है कि कर्ज में डूबे देश में मौजूदा संकट को खत्म करने के लिए संविधान संशोधन लाना और राष्ट्रपति शासन प्रणाली समाप्त करना काफी नहीं है. उन्होंने देश में ”राजनीतिक संस्कृति में बदलाव” की आवश्यकता को रेखांकित किया.
श्रीलंका की प्रमुख विपक्षी पार्टी, समाजी जन बालवेगया (एसजेबी) ने बृहस्पतिवार को एक संवैधानिक संशोधन विधेयक पेश किया, जिसमें देश में 1978 से चली आ रही राष्ट्रपति शासन प्रणाली को खत्म करने तथा इसके स्थान पर संवैधानिक लोकतंत्र को मजबूत करने वाली प्रणाली स्थापित करने सहित कई प्रस्ताव रखे गए हैं.
एसजेबी के सांसद फोंसेका ने बृहस्पतिवार को संसद में कहा, ”यदि किसी स्कूल में कोई ंिप्रसिपल किसी बच्चे को परेशान करने वाला काम करता है तो आपको ंिप्रसिपल का पद खत्म नहीं करना चाहिये, बल्कि उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिये. ” एसजेबी ने यह कदम देश के सबसे खराब आर्थिक संकट को लेकर राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और उनकी पार्टी श्रीलंका पोदुजाना (पेरामुना) के नेतृत्व वाली सरकार के इस्तीफे की मांग को लेकर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों की पृष्ठभूमि में उठाया है.
‘द डेली मिरर’ की खबर के अनुसार फोंसेका ने संसद में कहा, ”मुझे नहीं लगता कि संविधान संशोधन से श्रीलंका को कुछ मदद मिलेगी. हमें राजनीतिक संस्कृति में बदलाव की जरूरत है. फिलहाल संविधान संशोधन और अंतरिम सरकार के गठन से श्रीलंका को कोई मदद नहीं मिलने वाली.”
गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहे श्रीलंका के कई नागरिक भारत पहुंचे
गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहे श्रीलंका के 18 और नागरिक शुक्रवार को भारत पहुंचे. जिले के धनुषकोडी में तड़के पहुंचने वाले इन असहाय परिवारों को मंडपम शरणार्थी शिविर में ठहराया गया है. भारत पहुंचे श्रीलंका के नागरिक देश की अर्थव्यवस्था को पंगु बनाने वाले गंभीर संकट को लेकर निराश दिखे और उन्होंने बताया कि वह वहां मिल्क पाउडर भी वहन नहीं कर पा रहे थे. साथ ही उन्होंने सरकार पर नागरिकों को लेकर उदासीन रवैया अपनाने का आरोप लगाया.
इन 18 लोगों में बच्चे भी शामिल थे. यह लोग दो जत्थों में दो नावों के जरिए भारत आए. इसके बाद इन लोगों को अरिचलमुनैई ले जाया गया. देश छोड़ने वाले श्रीलंकाई लोगों के नवीनतम जत्थे में शामिल दो महिलाओं ने कहा कि उन्होंने भारत आने के दौरान रास्ते में बारिश का भी सामना किया.