जानें, क्यों खास है भगवान राम की माता कौशल्या का मायका

राज्य सरकार ने माता कौशल्या की जन्मभूमि चंदखुरी के वैभव को विश्व पटल पर स्थापित करने और प्रदेश की कला, संस्कृति एवं पर्यटन को बढ़ावा देने, महिला सशक्तिकरण, कार्यशील कलाकारों के संरक्षण, संवर्धन एवं कला दलों के सतत् विकास के लिए इस वर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर माता कौशल्या महोत्सव मनाने की घोषणा की थी। माता कौशल्या मंदिर पूरे देश में एक मात्र प्राचीन मंदिर है।

छत्तीसगढ़ की शस्य श्यामला भूमि में रामायण काल की अनेक घटनाएं घटित हुई हैं, जिसका प्रमाण यहां की लोक संस्कृति, लोक कला, दंत कथा और लोकोक्तियाँ हैं। विभिन्न शोधपत्रों, अभिलेखों एवं मान्यता अनुसार भगवान श्रीराम ने अपना वनवास काल छत्तीसगढ़ में विभिन्न स्थानों पर व्यतीत किया। चंदखुरी को भगवान श्रीराम का ननिहाल माना जाता है, जो दक्षिण कोसल के नाम से पूरे देश में प्रसिद्ध है।

चंदखुरी स्थित माता कौशल्या धाम, राम वनगमन पर्यटन परिपथ का अतिमहत्वपूर्ण स्थल है। यह स्थल राजधानी रायपुर से मात्र 27 कि.मी. की दूरी पर स्थित है । 126 तालाबों वाले इस गांव में जलसेन तालाब के बीच में माता कौशल्या का एतिहासिक मंदिर स्थित है, जो पूरे भारत में सिर्फ यहीं पर है। प्रभु श्रीराम को गोद में लिए हुए माता कौशल्या की अद्भुत प्रतिमा इस मंदिर को दुर्लभ बनाती है ।

राम वगनमन पर्यटन परिपथ के अंतर्गत चंदखुरी में घाट का विकास एवं पैगौड़ा, प्रशासनिक ऑफिस, पब्लिक टॉयलेट, ज्योत हॉल, ब्रिज, एप्रोच रोड एवं फैसिलिटी, तालाब, लैंड स्केपिंग एंड फैसिंग, इलेक्ट्रिफिकेशन, इंटरनल और एक्सटरनल प्लंबिंग, बड़ा प्रवेश द्वार, तालाब गहरीकरण, रिटेनिंग वॉल, दीप स्तंभ, श्रीराम स्टेच्यू एवं गेट के काम पूरे हो चुके हैं।

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