दिल्ली के मंडावली में मंदिर परिसर की ‘ग्रिल’ हटाने पर लोगों का विरोध प्रदर्शन, राजनीतिक विवाद शुरू
नयी दिल्ली. पूर्वी दिल्ली के मंडावली इलाके में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की ओर से चलाए जा रहे अतिक्रमण रोधी अभियान के दौरान मंदिर के हिस्से में लगी ‘ग्रिल’ को हटाने के विरोध में स्थानीय लोगों के एक बड़े समूह ने बृहस्पतिवार को प्रदर्शन किया. पुलिस ने यह जानकारी दी. इस बात की अफवाह थी कि प्रशासन की ओर से मंदिर को ढहाने की कार्रवाई की जा रही है. पुलिस ने बताया कि बड़ी संख्या में पुलिसर्किमयों की मौजूदगी में शांतिपूर्वक ‘ग्रिल’ को हटा दिया गया.
प्रशासन की ओर से जब यह कार्रवाई की जा रही थी, तभी प्रदर्शन कर रहे कुछ लोग सड़क पर लेट गए और इस कार्रवाई के खिलाफ नारेबाजी भी की. उन्होंने बताया कि बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन के कारण क्षेत्र में जाम भी लग गया, हालांकि बाद में स्थिति को नियंत्रित किया गया. इस घटना के कारण आम आदमी पार्टी (आप) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है. इलाके में बड़ी संख्या में अर्धसैनिक बल के जवानों और पुलिसर्किमयों को तैनात किया गया है.
पुलिस उपायुक्त (पूर्व) अमृता गुगुलोथ ने बताया कि पीडब्ल्यूडी को बृहस्पतिवार को अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलाना था.
उन्होंने कहा, ”हमें कल (बुधवार) पीडब्ल्यूडी द्वारा अतिक्रमण रोधी अभियान के बारे में सूचित किया गया. मंदिर के पास लगी ‘ग्रिल’ के जरिए फुटपाथ पर अतिक्रमण किया गया था और इसे शांतिपूर्वक हटा दिया गया. हमने पीडब्ल्यूडी अधिकारियों को सहायता प्रदान की. कानून-व्यवस्था की स्थिति सामान्य है.” पुलिस ने बताया कि मंदिर परिसर के पास एकत्र हुए स्थानीय लोगों ने अब विरोध-प्रदर्शन बंद कर दिया है, लेकिन वे अब भी सड़क के एक तरफ खड़े हैं. अतिक्रमण रोधी अभियान पूरा होने के बाद उन्होंने नारेबाजी की और मंदिर में प्रार्थना में हिस्सा लिया.
उन्होंने बताया कि यातायात की स्थिति नियंत्रण में है और वाहनों की आवाजाही फिर से शुरू हो गई है. पूर्वी दिल्ली जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने कहा कि मंदिर को कोई नुकसान नहीं हुआ है. अधिकारी ने कहा, ” मंदिर से सटे फुटपाथ पर कुछ माह पहले कुछ लोगों ने ‘ग्रिल’ लगा दिया था. इससे फुटपाथ तक पहुंच प्रभावित हो रही थी. सड़क निर्माण एजेंसी पीडब्ल्यूडी ने ‘ग्रिल’ हटाने का अनुरोध किया था. मंदिर या उसके किसी हिस्से को छूने का कोई प्रस्ताव नहीं था.
हालांकि, स्थानीय लोगों को यह विश्वास दिलाकर गुमराह किया गया कि मंदिर को ध्वस्त किया जा रहा है, जिसके कारण विरोध प्रदर्शन हुआ. ” यह अतिक्रमण रोधी अभियान करीब डेढ. घंटे तक चलाया गया. इस बीच, आम आदमी पार्टी (आप) ने इस मुद्दे पर दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना पर निशाना साधा, जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ‘हिंदू विरोधी’ बताया.
इस बीच, पीडब्ल्यूडी मंत्री आतिशी ने कहा कि तत्कालीन पीडब्ल्यूडी मंत्री मनीष सिसोदिया के विरोध के बावजूद दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने अतिक्रमण रोधी अभियान की अनुमति दी थी. दिल्ली आबकारी नीति मामले में कथित संलिप्तता के लिए सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद आतिशी ने पीडब्ल्यूडी मंत्री का पद संभाला है.
आतिशी ने संवाददाताओं से कहा, ”मंडावली में दिल्ली के उपराज्यपाल के आदेश पर मंदिर तोड़ा जा रहा है. जब इस मामले से जुड़ी फाइल तत्कालीन गृह मंत्री मनीष सिसोदिया के पास भेजी गई तो उन्होंने इसका विरोध किया था.” उन्होंने कहा, ”उपराज्यपाल साहब ने मनीष सिसोदिया के फैसले को पलट दिया. सिर्फ मंडावली में ही नहीं, उन्होंने दिल्ली में 10 अन्य मंदिरों को भी तोड़ने का फैसला किया है.” मंत्री ने कहा कि दिल्ली के उपराज्यपाल ने कहा है कि मंदिरों को तोड़ने की फाइल सीधे उन्हें भेजी जाएंगी, चुनी हुई सरकार को नहीं.
उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) अतिक्रमण रोधी अभियान का विरोध करती है और इसीलिए पार्टी के कार्यकर्ता बुधवार शाम से ही मंडावली में मौके पर मौजूद हैं. भाजपा की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने पीटीआई-भाषा से कहा, ”न केवल भाजपा कार्यकर्ता मंदिर के हिस्से को हटाने का विरोध कर रहे थे, बल्कि इस दौरान दो भाजपा पार्षदों सहित उनमें से कुछ घायल भी हो गए. यह कार्रवाई दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के हिंदू विरोधी चेहरे को उजागर करती है.”