स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने की क्षमता पर ‘भरोसा’ करते हुए एसईसी को नियुक्त किया : राज्यपाल

ममता ने एसईसी को हटाए जाने की खबरों को खारिज किया

कोलकाता. राज्य निर्वाचन आयुक्त (एसईसी) राजीव सिन्हा का पदभार ग्रहण करने संबंधी पत्र राज्य सरकार को लौटाने के एक दिन बाद पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने बृहस्पतिवार को कहा कि उन्होंने पूर्व नौकरशाह की स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की क्षमता पर “भरोसा” करते हुए उन्हें नियुक्त किया था. बोस ने कहा कि राज्य के कुछ हिस्सों में हिंसा की कई घटनाएं हुई हैं और एसईसी की स्पष्ट नि्क्रिरयता के कारण बंगाल के लोग “निराश” थे.

राज्यपाल ने संवाददाताओं से कहा, “मैंने एसईसी की नियुक्ति इस भरोसे के साथ की थी कि वह स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से पंचायत चुनाव कराएंगे. लेकिन मुझे लगता है कि लोग उनकी स्पष्ट नि्क्रिरयता से निराश हैं.” उन्होंने कहा, “इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता कि हिंसा हुई है.” उन्होंने कहा कि एसईसी को न केवल निष्पक्ष होना चाहिए, बल्कि उसे निष्पक्ष माना भी जाना चाहिए.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा सिन्हा को हटाने की संभावना से इनकार करने के कुछ मिनट बाद बोस की प्रतिक्रिया आई.

राज्यपाल ने इस बात पर जोर दिया कि एसईसी को निष्पक्ष होना चाहिए और आम आदमी के जीवन की रक्षा करना और यह सुनिश्चित करना उसका कर्तव्य है कि वे अपना मत डाल सकें. उन्होंने कहा, “एसईसी के पास पुलिस और मजिस्ट्रेट को निर्देश देने के अधिकार हैं. बंगाल (एसईसी से) दायित्व निर्वहन की उम्मीद करता है. एसईसी सड़कों पर बहे मानव रक्त की हर बूंद के लिए जवाबदेह हैं. लोग कार्रवाई चाहते हैं, कार्रवाई का बहाना (दिखावा) नहीं.” बंगाल के लोगों के प्रति प्रतिबद्धता जताते हुए बोस ने यह भी कहा कि “मानव रक्त को लेकर कोई सौदेबाजी नहीं हो सकती है”.

पंचायत चुनावों के लिए नामांकन दाखिल करने के दौरान हत्याओं, हिंसा और झड़पों पर स्पष्टीकरण देने के लिए बुलाए जाने के बाद पूर्व आईएएस अधिकारी उनके सामने पेश नहीं हुए, जिसके कुछ घंटों बाद राज्यपाल ने बुधवार रात को सिन्हा का पद भार संभालने का पत्र राज्य सरकार को लौटा दिया था.

ममता ने एसईसी को हटाए जाने की खबरों को खारिज किया

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य निर्वाचन आयुक्त (एसईसी) राजीव सिन्हा को हटाने की खबरों को खारिज कर दिया और कहा कि राज्य में ग्रामीण चुनाव नामांकन प्रक्रिया अभूतपूर्व रूप से शांतिपूर्ण रही. राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस हालांकि उनकी पदभार ग्रहण करने संबंधी रिपोर्ट लौटा दी थी.

बनर्जी ने बृहस्पतिवार को कहा कि एसईसी को हटाना एक “बोझिल प्रक्रिया” है और इसे महाभियोग के माध्यम से किया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा, “एसईसी को ऐसे ही नहीं हटाया जा सकता. राज्यपाल ने खुद राज्य निर्वाचन आयुक्त के तौर पर सिन्हा की नियुक्ति संबंधी फाइल पर हस्ताक्षर किये थे..” उनकी यह टिप्पणी राज्यपाल द्वारा बुधवार को सिन्हा की ‘ज्वाइनिंग रिपोर्ट’ राज्य सरकार को “लौटाने” के एक दिन बाद आई है. यह घटनाक्रम आठ जुलाई को होने वाले पंचायत चुनाव से पहले सामने आया है.

उन्होंने कहा, “महाभियोग के माध्यम से न्यायाधीशों को हटाने की तरह ही एसईसी को पद से हटाने की प्रक्रिया काफी बोझिल है.” राज्य में चुनाव संबंधी हिंसा के मुद्दे पर बोलते हुए, बनर्जी ने कहा, “बंगाल में चुनाव नामांकन प्रक्रिया इतनी शांतिपूर्ण कभी नहीं रही. मारे गए लोग हमारी पार्टी के कार्यकर्ता हैं. तीन से चार बूथ में कुछ घटनाएं हुई हैं.” राज्य में आठ जुलाई के चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने के दौरान व्यापक हिंसा में विभिन्न हिस्सों में छह लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए.

बनर्जी ने उन दावों का खंडन किया कि विपक्ष को नामांकन दाखिल करने की अनुमति नहीं दी गई थी और उन्होंने आंकड़े पेश करते हुए कहा कि चुनाव के लिए लगभग 2.3 लाख नामांकन दाखिल किए गए थे. तृणमूल अध्यक्ष ने सवाल किया, “क्या आपने कभी सुना है कि किसी अन्य राज्य में ग्रामीण चुनावों के लिए 2.31 लाख नामांकन दाखिल किए गए हों? फिर भी विपक्ष दावा कर रहा है कि वे नामांकन दाखिल नहीं कर पाए. क्या यह विडंबना नहीं है?” आक्रामक टीएमसी प्रमुख ने आश्चर्य जताया कि केंद्रीय बलों को त्रिपुरा क्यों नहीं भेजा गया, जहां भाजपा ने 96 प्रतिशत सीटें निर्विरोध जीती थीं. उन्होंने केंद्र सरकार पर केंद्रीय एजेंसियों का उपयोग करके राज्य सरकार को निशाना बनाने का आरोप लगाया.

बनर्जी ने कहा, “मेरा मानना है कि केंद्र सरकार जितना हमारे पीछे पड़ेगी, जितना बंगाल का अपमान करेगी, जितना बंगाल की प्रगति में बाधा डालने की कोशिश करेगी, जनता उन्हें करारा जवाब देगी. राजनीतिक रूप से हमसे लड़ने के बजाय, वे हमें परेशान करने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का उपयोग कर रहे हैं.” राज्य पुलिस की निष्पक्षता को लेकर विपक्ष द्वारा उठाए जा रहे सवालों के बीच बनर्जी ने उनका (पुलिस का) समर्थन करते हुए कहा, “उन्हें केंद्रीय बलों को तैनात करने दें; लोकतंत्र में अंतिम फैसला जनता का ही है.”

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