प्रिया वर्गीज के पक्ष में केरल उच्च न्यायालय का फैसला राज्यपाल के लिये “झटका” : माकपा
तिरुवनंतपुरम: केरल में सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने शुक्रवार को कहा कि कन्नूर विश्वविद्यालय में नियुक्ति के संबंध में, मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के निजी सचिव की पत्नी प्रिया वर्गीज के पक्ष में केरल उच्च न्यायालय का फैसला राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के लिये एक “झटका” है।
माकपा के राज्य सचिव एम वी गोंिवदन ने कहा, “यह राज्यपाल के लिये झटका है। गौर करिए कि उन्होंने क्या कहा था। यह आपके (मीडिया) लिये भी झटका है। आप भी उस मुद्दे पर बहुत मुखर थे।” गौरतलब है कि राज्यपाल ने राज्य में विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में पिछले साल प्रिया वर्गीज की नियुक्ति पर रोक लगा दी थी और आरोप लगाया था कि कन्नूर विश्वविद्यालय द्वारा उन्हें नियुक्त करने का कदम “राजनीतिक” था।
उन्होंने कहा था, “नियुक्ति की यह प्रक्रिया… पक्षपात और भाई-भतीजावाद का मामला प्रतीत होता है। एक व्यक्ति जो प्रथम दृष्टया सहायक प्रोफेसर के पद पर नियुक्त होने का पात्र नहीं है, उन्हें इसलिये इस पद पर नियुक्त किया जा रहा है क्योंकि वह मुख्यमंत्री के सचिव की पत्नी हैं। यह राजनीतिक मामला है। इसमें कोई संदेह नहीं है।” उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा था कि वर्गीज के पास विश्वविद्यालय में मलयालम सहायक प्रोफेसर के पद के लिए आवश्यक अनुभव है और उस पद के लिए उनकी उम्मीदवारी पर तदनुसार विचार किया जाए।
यह फैसला पिछले साल नवंबर के एकल-न्यायाधीश के आदेश को चुनौती देने वाली वर्गीज की अपील पर आया, जिसमें कहा गया था कि वर्गीज के पास पद के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) विनियम 2018 के तहत निर्धारित वास्तविक शिक्षण अनुभव का अभाव है।
वर्गीज ने उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत किया और कहा कि जब से यह मामला सामने आया है, तब से अब तक उन्हें बहुत प्रताड़ना झेलनी पड़ी है। उन्होंने बृहस्पतिवार को तिरुवनंतपुरम में संवाददाताओं से कहा, “मुझे इस मामले में जानबूझकर घसीटा गया, जिसकी वजह से मुझे बहुत प्रताड़ना झेलनी पड़ी। मैं न्यायालय के फैसले से खुश हूं। मुझे न्याय मिला है।”
कन्नूर विश्वविद्यालय के कुलपति गोपीनाथ रवींद्रन ने फैसला आने के बाद कहा कि विश्वविद्यालय अदालत के फैसले में दिए गए निर्देशों के अनुसार निर्णय लेगा। उन्होंने कन्नूर में संवाददाताओं से कहा, “मैंने फैसला नहीं पढ़ा है। एक बार जब मैं इसे पढ़ लूंगा, तब उसके अनुसार निर्णय लिया जाएगा।” गौरतलब है कि पिछले वर्ष वर्गीज की प्रस्तावित नियुक्ति को लेकर बड़ा विवाद हुआ था, क्योंकि शोध में उनके सबसे कम अंक आने के बाद साक्षात्कार में सबसे ज्यादा अंक मिले थे और बाद में उन्हें चयन प्रक्रिया में प्रथम घोषित किया गया था।