विपक्ष के ‘स्वार्थी’ गठबंधन के निशाने पर मोदी नहीं, भारत की तिजोरी: भाजपा

भाजपा ने विपक्षी दलों की बैठक को 'फोटो सेशन' बताया, 2024 में मोदी की जीत का किया दावा

नयी दिल्ली. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने विपक्षी दलों की एकजुटता को ‘स्वार्थ का गठबंधन’ करार दिया और दावा किया कि उनका मकसद आगामी लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को हराना नहीं है, बल्कि उनके निशाने पर ‘भारत की तिजोरी’ है.
बिहार की राजधानी पटना में विपक्षी दलों की ओर से साल 2024 के लोकसभा चुनाव में साथ मिलकर लड़ने की घोषणा के तत्काल बाद यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता स्मृति ईरानी ने यह आरोप भी लगाया कि जो राजनीतिक दल कभी एक दूसरे को आंखों नहीं सुहाते थे, वे भारत को आर्थिक प्रगति से वंचित करने के संकल्प से एकत्रित हुए हैं.

उन्होंने कहा, ”यह गठबंधन स्वार्थ का है. हम कतई भ्रमित ना हों कि निशाने पर मोदी हैं, बल्कि भारत की तिजोरी है.” उन्होंने कहा, ”जब भी ये एक साथ आए, भ्रष्टाचार लाए, परिवारवाद लाए और राष्ट्र की आर्थिक प्रगति को संकुचित करने का आरोप अपने संग लेकर आए.” ज्ञात हो कि विपक्ष के 15 राजनीतिक दलों के नेताओं ने वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए साझा रणनीति तय करने के लिए शुक्रवार को पटना में मैराथन बैठक की, जिसमें यह फैसला किया गया कि वे प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर लड़ेंगे. विपक्षी दलों की अगली बैठक अगले महीने शिमला में होगी.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की मेजबानी में यह बैठक मुख्यमंत्री के आवास ‘1 अणे मार्ग’ पर हुई, जिसमें करीब 30 विपक्षी नेताओं ने भाग लिया. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे एवं पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव, शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने बैठक में भाग लिया.

द्रमुक नेता और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की नेता महबूबा मुफ्ती, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के महासचिव डी राजा, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी और कुछ अन्य नेता इस बैठक में शामिल हुए.

इस कड़ी में उन्होंने सत्ता में रहते हुए पश्चिम बंगाल की तत्कालीन वामपंथी सरकार द्वारा वर्तमान मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी का किए गए ‘अपमान’ का उल्लेख किया और कहा कि उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने कभी नहीं सोचा होगा कि कि वह उन्हीं वामपंथी दलों के साथ गठबंध करेंगी. ईरानी ने विपक्षी गठबंधन में शामिल दलों के नेताओं की पूर्व से जुड़ी आपसी लड़ाई का उल्लेख करते हुए कहा कि ‘स्वार्थ का ये गठबंधन’ बहुमुखी है और संवाद अलग-अलग शैली में करता है.

उन्होंने कहा, ”पश्चिम बंगाल के कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने कभी कल्पना नहीं की होगी कि जिस ममता बंदोपाध्याय के हाथ कांग्रेस कार्यकर्ताओं के खून से सने हैं, वही हाथ एक दिन राहुल गांधी के सर पर दिखाई देंगे.” ईरानी ने कहा कि तमिलनाडु की जनता ने कभी यह कल्पना नहीं की होगी कि जिस कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या में सहयोग देने का आरोप द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) पर लगाया था, एक दिन उसी के साथ गांधी खानदान के रिश्ते और मधुर होंगे.

उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी का शुरुआत में ही गठबंधन को राजनीतिक रूप से ब्लैकमेल करना इस बात का संकेत है कि इस अपवित्र राजनीतिक गठबंधन के साथ क्या अनहोनी होने वाली है. विपक्षी दलों की बैठक को राजनीतिक नवजागरण का गवाह बताने के लिए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जिनका जागरण उत्तर प्रदेश में न हुआ हो, वह बिहार में जाकर पुनर्जागरण की बात करें, तो ‘हास्यास्पद’ है.

भाजपा ने विपक्षी दलों की बैठक को ‘फोटो सेशन’ बताया, 2024 में मोदी की जीत का किया दावा

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बिहार की राजधानी पटना में विपक्षी दलों की एकजुटता की कवायद को शुक्रवार को ‘फोटो सेशन’ और ‘तमाशा’ करार दिया और आपातकाल का हवाला देते हुए इसकी मेजबानी कर रहे दलों के शीर्ष नेताओं को याद दिलाया कि कांग्रेस की नेता व पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ही उन्हें मीसाबंदी बनाकर जेल में डाला था.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दावा किया कि विपक्षी दल कितने भी एकजुट हो जाएं लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी का प्रधानमंत्री बनना तय है, वहीं भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने कहा कि जिन नेताओं ने हमेशा कांग्रेस के विरोध की राजनीति की वे आज पटना में एक-दूसरे से गलबहियां कर रहे हैं.

जम्मू में एक जनसभा को संबोधित करते हुए शाह ने कहा, ”आज पटना में एक फोटो सेशन चल रहा है. सारे विपक्ष के नेता एक मंच पर इकट्ठा हो रहे हैं और संदेश देना चाहते हैं कि हम भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी को चुनौती देंगे.” उन्होंने कहा, ”मैं सारे विपक्ष के नेताओं को यह कहना चाहता हूं कि कितने भी हाथ मिला लो, आपकी एकता कभी संभव नहीं है. और हो भी गई…कितने भी इकट्ठा हो जाइए और जनता के सामने आ जाइए…2024 में 300 से ज्यादा सीटों के साथ नरेन्द्र मोदी का प्रधानमंत्री बनना तय है.” शाह ने प्रधानमंत्री मोदी के अमेरिकी दौरे के बीच बैठक का आयोजन करने के लिए विपक्षी दलों पर निशाना साधा.

उन्होंने कहा, ”इन लोगों ने ये तमाशा तारीख देखकर किया है. तीन दिन से प्रधानमंत्री अमेरिका के दौरे पर हैं. बहुत समय बाद भारत के प्रधानमंत्री की राजकीय यात्रा हो रही है. जिस प्रकार का सम्मान उन्हें अमेरिका में मिला है वह न तो पूर्व में कभी हुआ है और ना ही भविष्य में कभी होगा.” विपक्ष के करीब 15 प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं की एक बैठक पटना में हो रही है. इसमें वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को कड़ी चुनौती देने के मकसद से एक मजबूत मोर्चा बनाने की रणनीति पर मंथन हो रहा है.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव इस बैठक की मेजबानी कर रहे हैं. यह बैठक मुख्यमंत्री आवास ‘1 अणे मार्ग’ पर हो रही है. उधर, ओडिशा के कालाहांडी जिले के भवानीपटना में एक रैली को संबोधित करते हुए नड्डा ने कहा कि आज जब सभी विपक्षी दल पटना में गलबहियां कर रहे हैं तो उन्हें आश्चर्य होता है कि कांग्रेस विरोध के साथ अपनी राजनीति को आगे बढ़ाने वाले नेताओं की स्थिति क्या से क्या हो गई है.

उन्होंने कहा, ”यही लालू प्रसाद यादव पूरे 22 महीने जेल में रहे. कांग्रेस की इंदिरा… राहुल की दादी ने उन्हें जेल में डाला था. यही नीतीश कुमार पूरे 20 महीने जेल की सलाखों के पीछे रहे… कांग्रेस की इंदिरा गांधी ने उन्हें जेल में डाला था….” महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए नड्डा ने कहा कि हिन्दुओं की बात करने वाले उनके पिता बालासाहेब ठाकरे कहा करते थे कि वह शिवसेना को कभी कांग्रेस नहीं बनने देंगे और जिस दिन कांग्रेस से हाथ मिलाना पड़े तो वह अपनी दुकान बंद कर देंगे.

नड्डा ने कहा, ”आज बालासाहेब ठाकरे सोचते होंगे किसी और ने नहीं, बल्कि उनके बेटे ने ही उनकी दुकान बंद कर दी है.” उन्होंने कहा, ”ये परिस्थिति आज हो गई है. ये कैसी राजनीति…आज पटना की धरती में राहुल गांधी (पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष) का आदर सहित स्वागत करते हुए मैं जब इनकी तस्वीरें देख रहा हूं तो मुझे याद आता है कि राजनीति में क्या से क्या हो गया? कहां से चले थे कहां पहुंच गए?”

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे एवं पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव, शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार और विपक्ष के कई अन्य नेता इस बैठक में भाग ले रहे हैं.
नड्डा ने इस अवसर पर परिवारवाद और वोटबैंक की राजनीति का आरोप लगाया और दावा किया कि प्रधानमंत्री मोदी ने देश में विकासवाद और रिपोर्ट कार्ड की राजनीति की एक नई संस्कृति आरंभ की है.

विपक्षी नेताओं की ओर से प्रधानमंत्री को निशाना बनाए जाने पर भाजपा अध्यक्ष ने कहा, ”जब दुनिया में प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा होती है, तो यहां कांग्रेसी नेताओं के पेट में मरोड़ उठते हैं. उनको पसंद नहीं आता कि दुनिया में मोदी की प्रशंसा हो रही है.” राजधानी दिल्ली में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने भी विपक्षी दलों पर निशाना साधा और कहा कि इससे यह साबित हो गया है कि कांग्रेस अकेले मोदी को नहीं हरा सकती, इसलिए उसे दूसरों का सहारा चाहिए.

भाजपा मुख्यालय में जनता दल (यूनाइटेड) और अन्य विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए ईरानी ने कहा कि यह ‘विडंबना’ है कि आपातकाल के दौरान ‘लोकतंत्र की हत्या’ के गवाह रहे कुछ नेता पटना में कांग्रेस की छत्रछाया में एकत्र हुए हैं. उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, ”मैं विशेष रूप से कांग्रेस का आभार व्यक्त करना चाहती हूं जिसने सार्वजनिक तौर पर घोषित कर दिया है कि वह अकेले मोदी को हराने में नाकाम है. इसलिए उसे सहारे की जरूरत है.”

उन्होंने कहा, ”सत्ता महलों से निकलकर लोगों के पास चली गई है. यही कारण है कि जो लोग अपनी राजनीतिक विरासत पर घमंड करते हैं, उन्हें अब उन लोगों के पास जाना पड़ रहा है जिनको उन्होंने आपातकाल के दौरान सलाखों के पीछे डाल दिया था.” उल्लेखनीय है कि 25 जून 1975 को देश में आपातकाल घोषित किया गया था जो 21 मार्च 1977 तक 21 महीने की लंबी अवधि तक रहा. इस कालखंड में विरोधियों को ‘मेनटेनेंस ऑफ इंटरनल सिक्योरिटी एक्ट’ (मीसा) के तहत जेल में डाल दिया गया था. नीतीश और लालू भी उन नेताओं में शुमार हैं जिन्होंने आपातकाल के खिलाफ आवाज उठाई थी. इसके बाद आगे चलकर दोनों ही बिहार की राजनीति में प्रमुख नेता बनकर उभरे थे.

कांग्रेस अकेले मोदी को नहीं हरा सकती, इसलिए दूसरों का समर्थन मांग रही है: भाजपा
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने खिलाफ मोर्चा बनाने के विपक्षी दलों के प्रयासों की शुक्रवार को आलोचना की और कहा कि कांग्रेस दूसरे दलों का समर्थन इसलिए मांग रही है क्योंकि वह 2024 के लोकसभा चुनाव में ‘अकेले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को हराने में असमर्थ’ है.

भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने यहां भाजपा मुख्यालय में जनता दल (यूनाइटेड) और अन्य विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि यह ‘विडंबना’ है कि आपातकाल के दौरान ‘लोकतंत्र की हत्या’ के गवाह रहे कुछ नेता पटना में कांग्रेस की छत्रछाया में एकत्र हुए हैं. ईरानी ने दावा किया कि विपक्षी दलों की बैठक का संदेश है कि वे अपने दम पर मोदी का मुकाबला करने में असमर्थ हैं.

उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, ”मैं विशेष रूप से कांग्रेस का आभार व्यक्त करना चाहती हूं जिसने सार्वजनिक तौर पर घोषित कर दिया है कि वह अकेले मोदी को हराने में नाकाम है. इसलिए उसे सहारे की जरूरत है.” उन्होंने कहा, ”सत्ता महलों से निकलकर लोगों के पास चली गई है. यही कारण है कि जो लोग अपनी राजनीतिक विरासत पर घमंड करते हैं, उन्हें अब उन लोगों के पास जाना पड़ रहा है जिनको उन्होंने आपातकाल के दौरान सलाखों के पीछे डाल दिया था.”

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