विपक्ष की बैठक के बाद आप पत्रकार वार्ता में शामिल नहीं हुई, अध्यादेश पर कांग्रेस के मौन की निंदा की
कांग्रेस ने दिल्ली सेवा अध्यादेश की सार्वजनिक तौर पर निंदा नहीं की : आम आदमी पार्टी
पटना. पटना में शुक्रवार को आयोजित विपक्षी दलों की बैठक का ‘बहिष्कार’ करने से बचते हुए आम आदमी पार्टी (आप) ने प्रेस वार्ता में हिस्सा नहीं लिया और दिल्ली सेवा से संबंधित केंद्र सरकार के अध्यादेश पर कांग्रेस की ‘चुप्पी’ की निंदा की. पार्टी के संस्थापक अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और राज्यसभा सांसद संजय सिंह और राघव चड्ढा ने बैठक में आप का प्रतिनिधित्व किया, लेकिन पत्रकार वार्ता में ये नेता अनुपस्थित रहे.
हालांकि, अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर आप ने केंद्र के उक्त अध्यादेश को एक ”काला अध्यादेश” बताते हुए उसको लेकर एक बयान जारी किया है. बयान में कहा गया है कि अध्यादेश का उद्देश्य ना केवल दिल्ली में एक निर्वाचित सरकार के लोकतांत्रिक अधिकारों को छीनना है, बल्कि यह भारत के लोकतंत्र और संवैधानिक सिद्धांतों के लिए एक खतरा है.
बयान में कहा गया है कि पटना में बैठक में भाग लेने वाले दलों में से 12 दलों का राज्यसभा में प्रतिनिधित्व है और कांग्रेस को छोड़कर अन्य सभी ने अध्यादेश के खिलाफ स्पष्ट रूप से अपना रुख व्यक्त किया है और घोषणा की है कि वे इसका राज्यसभा में विरोध करेंगे.
बयान में अफसोस जताया गया है कि कांग्रेस ने अभी तक इस ‘काले अध्यादेश’ पर अपनी स्थिति सार्वजनिक नहीं की है. बयान में कहा गया है कि कांग्रेस की दिल्ली और पंजाब इकाइयों ने घोषणा की है कि पार्टी को इस मुद्दे पर मोदी सरकार का समर्थन करना चाहिए.
आप द्वारा जारी बयान में दावा किया गया है कि पटना में शुक्रवार को बैठक के दौरान कई दलों ने कांग्रेस से सार्वजनिक रूप से ‘काले अध्यादेश’ की निंदा करने का आग्रह किया. हालांकि, कांग्रेस ने ऐसा करने से इनकार कर दिया. आप के बयान में कहा गया है कि सबसे पुरानी पार्टी की चुप्पी उसके वास्तविक इरादों पर संदेह पैदा करती है.
आप के आरोपों पर कांग्रेस की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. बैठक में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने किया. विपक्षी दलों की पत्रकार वार्ता में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जिन्होंने यह बैठक बुलाई थी, ने आप की अनुपस्थिति को कमतर करके दिखाने की कोशिश की. जदयू के शीर्ष नेता नीतीश ने कहा, ”जिन लोगों को जल्दी उड़ान पकड़नी थी, वे पत्रकार वार्ता के लिए नहीं रुक सकते थे, उनपर ध्यान नहीं केंद्रित करें, इस पर ध्यान दें कि हमारे प्रयास में कितनी पार्टियां शामिल हुई हैं.”
कांग्रेस ने दिल्ली सेवा अध्यादेश की सार्वजनिक तौर पर निंदा नहीं की : आम आदमी पार्टी
आम आदमी पार्टी (आप) ने शुक्रवार को दावा किया कि कांग्रेस ने दिल्ली की प्रशासनिक सेवाओं पर केंद्र के अध्यादेश की सार्वजनिक रूप से निंदा नहीं की है, जिसके चलते पार्टी के लिए विपक्षी दलों की भविष्य की ऐसी बैठकों में भाग लेना मुश्किल होगा, जहां कांग्रेस की मौजूदगी हो. ‘आप’ ने एक बयान में कहा कि कांग्रेस की ”चुप्पी” उसके वास्तविक इरादों पर संदेह पैदा करती है.
यह बयान ऐसे दिन आया है, जब दिल्ली के मुख्यमंत्री एवं ‘आप’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल सहित 17 विपक्षी दलों के नेताओं ने पटना में मुलाकात की और अपने मतभेदों को दूर करके ”एक साथ काम करने और 2024 का लोकसभा चुनाव एकजुट होकर लड़ने का फैसला किया.” ‘आप’ ने बृहस्पतिवार को चेतावनी दी थी कि अगर कांग्रेस ने केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ समर्थन का वादा नहीं किया तो वह विपक्षी नेताओं की बैठक में शामिल नहीं होगी.
आम आदमी पार्टी ने अपने बयान में कहा, ” कांग्रेस लगभग सभी मुद्दों पर अपना रुख स्पष्ट करने वाली एक राष्ट्रीय पार्टी है, लेकिन इसने ‘काले अध्यादेश’ पर अब तक अपना रुख सार्वजनिक नहीं किया है. हालांकि, कांग्रेस की दिल्ली और पंजाब इकाइयों ने घोषणा की है कि पार्टी को इस मुद्दे पर मोदी सरकार का समर्थन करना चाहिए.”
बयान में दावा किया गया, ”आज पटना में समान विचारधारा वाले दलों की बैठक के दौरान कई दलों ने कांग्रेस से काले अध्यादेश की सार्वजनिक रूप से निंदा करने का आग्रह किया. हालांकि, कांग्रेस ने ऐसा करने से इनकार कर दिया.” ‘आप’ ने अध्यादेश को ”असंवैधानिक” करार देते हुए कहा कि कांग्रेस इतने अहम मुद्दे पर ‘टीम भावना’ की तरह काम करने से हिचकिचा रही है, जिसके चलते भविष्य में उसका (आप) ऐसे किसी भी गठबंधन में शामिल होना मुश्किल होगा, जिसका हिस्सा कांग्रेस हो.
‘आप’ ने कहा, ”जब तक कांग्रेस सार्वजनिक रूप से काले अध्यादेश की निंदा नहीं करती और यह घोषणा नहीं करती कि राज्यसभा में उसके सभी 31 सदस्य सदन में अध्यादेश का विरोध करेंगे, आम आदमी पार्टी के लिए समान विचारधारा वाले दलों की भविष्य की ऐसी बैठकों में भाग लेना मुश्किल होगा, जहां कांग्रेस भागीदार है.” ‘आप’ ने कहा कि अब समय आ गया है कि कांग्रेस तय करे कि वह दिल्ली की जनता के साथ खड़ी है या मोदी सरकार के साथ.
इसने आरोप लगाया, ”व्यक्तिगत चर्चा में, वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने संकेत दिया है कि उनकी पार्टी अनौपचारिक या औपचारिक रूप से राज्यसभा में इस (अध्यादेश) पर मतदान से दूर रह सकती है.” आप ने दावा किया, ”कांग्रेस के इस मुद्दे पर मतदान से दूरी बनाने से भाजपा को भारतीय लोकतंत्र पर और हमले करने में मदद मिलेगी.” ‘आप’ की मुख्य प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने पीटीआई-भाषा से बातचीत में आरोप लगाया, ”हमें विश्वसनीय सूत्रों से जानकारी मिली है कि राहुल गांधी और भाजपा इस समझौते पर पहुंचे हैं कि कांग्रेस इस अवैध अध्यादेश के मुद्दे पर भाजपा के साथ खड़ी रहेगी.” उन्होंने कहा, ”कांग्रेस को स्पष्ट करना चाहिए कि वह संविधान के साथ खड़ी है या भाजपा के साथ.”