पाक वित्त मंत्री डार विवादों में घिरे, आईएमएफ सौदे को लेकर सवाल उठाने पर पत्रकार से उलझे
इस्लामाबाद. पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार एक पत्रकार के साथ तीखी नोकझोंक के कारण विवाद के केंद्र में हैं. पत्रकार का आरोप है कि एक रुके हुए आईएमएफ सौदे के बारे में सवाल पूछने पर राजनेता ने उन्हें थप्पड़ मारा. डॉन अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना बृहस्पतिवार को हुई जब डार नेशनल असेंबली के सत्र को संबोधित करने के बाद संसद परिसर से बाहर निकल रहे थे, तभी पत्रकार शाहिद कुरैशी ने उनसे संपर्क किया.
सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से प्रसारित हुए एक वीडियो में, रिपोर्टर को डार से पूछते हुए देखा जा सकता है कि क्या वह बात करना चाहेंगे और मंत्री ने जवाब दिया कि वह अभी अभी भाषण देकर निकले हैं. इसके बाद कुरैशी ने रुके हुए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) कार्यक्रम की प्रगति के बारे में पूछताछ की और आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टलीना जॉर्जीवा के साथ प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की हालिया बैठक का जिक्र किया.
डार (73) ने सवालों का जवाब नहीं दिया लेकिन पत्रकार ने बात जारी रखी और वाशिंगटन स्थित वैश्विक ऋणदाता से 1.1 अरब अमेरिकी डॉलर का सौदा हासिल करने में सरकार की विफलता पर सवाल उठाया. इसके बाद डार ने जवाब दिया कि सौदा नहीं हो सका “क्योंकि आप जैसे लोग सिस्टम में हैं”. पत्रकार ने अपना बचाव करते हुए कहा कि पत्रकार ‘सिस्टम’ का हिस्सा नहीं हैं बल्कि केवल सवाल पूछते हैं.
इस पर डार क्रोधित हो गए और पत्रकार से भिड़ गए. उन्होंने उससे पूछा कि वह क्या चाहता है और उसे “खुदा से डरने” के लिए कहा.
खबर में कहा गया है कि इसके बाद डार ने पत्रकार का मोबाइल फोन छीनने का प्रयास किया और सुरक्षार्किमयों को मोबाइल फोन जब्त करने और फेंकने का भी निर्देश दिया.
इसके बाद वित्त मंत्री के सुरक्षार्किमयों ने हस्तक्षेप किया और डार को पार्किंग स्थल में एक वाहन की ओर ले गए. पत्रकार ने बाद में एक और वीडियो जारी किया जिसमें उसने घटना का विस्तृत विवरण दिया और दावा किया कि डार के सुरक्षा गार्डों ने उसे पकड़ लिया था और मंत्री ने उसे थप्पड़ मारा था.
पत्रकार ने दावा किया, “उन्होंने मुझे दोनों तरफ से पकड़ लिया जिसके बाद इशाक डार ने मुझे थप्पड़ मारा.” उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने पूरी घटना रिकॉर्ड कर ली है. कुरैशी ने कहा, “जाते समय, डार ने अपने सुरक्षा अधिकारियों से कहा कि वे मेरा पीछा करें और मुझे सबक सिखाएं… उन अधिकारियों ने तब तक मेरा पीछा किया जब तक मैं संसद की दूसरी मंजिल पर नहीं पहुंच गया….”