प्रधानमंत्री मोदी ने मिस्र के राष्ट्रपति अल-सीसी से मुलाकात की

काहिरा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी से रविवार को यहां मुलाकात की और व्यापार एवं निवेश तथा ऊर्जा संबंधों को बेहतर करने पर जोर देते हुए दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी और मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की.
अल-सीसी ने मोदी का यहां राष्ट्रपति भवन में स्वागत किया, जहां दोनों नेताओं ने बैठक की. मोदी, मिस्र की दो दिवसीय राजकीय यात्रा पर हैं. सीसी ने उन्हें मिस्र के सर्वोच्च राजकीय सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ द नाइल’ (किलादत एल निल) से भी नवाजा.

अमेरिका की यात्रा के बाद प्रधामनंत्री मोदी शनिवार दोपहर यहां पहुंचे थे. प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को मिस्र के प्रधानमंत्री मुस्तफा मैडबौली नीत ‘इंडिया यूनिट’ के सदस्यों से मुलाकात की थी. ‘इंडिया यूनिट’ दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने के लिए अल-सीसी द्वारा गठित मंत्रियों का एक समूह है.

अल-सीसी इस साल नयी दिल्ली में गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि थे. उस समय उन्होंने और प्रधानमंत्री मोदी ने द्विपक्षीय संबंधों को रणनीतिक साझेदारी के स्तर तक बढ.ाने का फैसला किया था. उल्लेखनीय है कि 26 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की मिस्र की यह पहली द्विपक्षीय यात्रा है.

प्रधानमंत्री मोदी ने मिस्र में विभिन्न क्षेत्रों के दिग्गजों से की मुलाकात
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मिस्र में प्रसिद्ध विचारक एवं पेट्रोलियम रणनीतिकार तारेक हेग्गी सहित प्रमुख हस्तियों से मुलाकात की और वैश्विक भू-राजनीति, ऊर्जा सुरक्षा, कट्टरवाद तथा विभिन्न क्षेत्रों में भारतीय कंपनियों के साथ घनिष्ठ सहयोग को बढ.ावा देने के तरीकों पर चर्चा की.

मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री मोदी दो दिवसीय राजकीय यात्रा पर मिस्र में हैं. यह 26 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की मिस्र की पहली द्विपक्षीय यात्रा है. मोदी ने शनिवार को ट्वीट किया, ” प्रसिद्ध विचारक तारेक हेग्गी के साथ बातचीत करके अच्छा लगा. उन्होंने वैश्विक मुद्दों पर अपने व्यावहारिक विचार साझा किए. मैं विभिन्न संस्कृतियों से संबंधित मुद्दों पर उनके समृद्ध ज्ञान की प्रशंसा करता हूं.” विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, दोनों के बीच वैश्विक भू-राजनीति, ऊर्जा सुरक्षा, कट्टरवाद और लैंगिक समानता से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हुई.

प्रधानमंत्री मोदी ने ‘हसन अल्लाम होल्डिंग कंपनी’ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) हसन अल्लाम से भी मुलाकात की.
उन्होंने नवीकरणीय ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन, बुनियादी ढांचे और निर्माण क्षेत्रों में भारतीय कंपनियों के साथ घनिष्ठ सहयोग बनाने की संभावनाओं पर चर्चा की.

प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, ” हसन अल्लाम होल्डिंग कंपनी के सीईओ हसन अल्लाम के साथ सार्थक बैठक की. उन्होंने अर्थव्यवस्था से संबंधित विषयों, बुनियादी ढांचे और निर्माण जैसे क्षेत्रों में घनिष्ठ सहयोग पर चर्चा की.” विदेश मंत्रालय के अनुसार हसन अल्लाम पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका क्षेत्र में काम करने वाली मिस्र की प्रमुख कंपनी है. अल्लाम ने कहा कि मोदी के साथ बैठक शिक्षाप्रद और प्रेरणादायक रही, जिसमें काफी कुछ जानने को मिला.

उन्होंने कहा, ” प्रधानमंत्री मोदी एक अविश्वसनीय व्यक्ति हैं. बुद्धिमान, विनम्र, महान दूरदर्शी. मुझे उनके साथ मुलाकात ज्ञानवर्धक, शिक्षाप्रद और प्रेरणादायक लगी.” प्रधानमंत्री मोदी ने मिस्र की दो प्रमुख युवा योग प्रशिक्षकों रीम जाबक और नाडा एडेल के साथ भी बातचीत की. उन्होंने योग को लेकर उनकी प्रतिबद्धता की प्रशंसा की और उन्हें भारत आने के लिए प्रोत्साहित किया. प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, ” नाडा एडेल और रीमा जाबक मिस्र में योग को लोकप्रिय बनाने के लिए सराहनीय काम कर रही हैं. उनके साथ काहिरा में मुलाकात बेहतरीन रही.”

प्रधानमंत्री मोदी ने काहिरा की अल हाकिम मस्जिद का दौरा किया
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को काहिरा में स्थित मिस्र की 11वीं सदी की ऐतिहासिक अल-हाकिम मस्जिद का दौरा किया. इस मस्जिद का भारत के दाऊदी बोहरा समुदाय की मदद से जीर्णोद्धार किया गया है. मिस्र की अपनी राजकीय यात्रा के दूसरे दिन मोदी मस्जिद पहुंचे जिसका जीर्णोद्धार करीब तीन महीने पहले ही पूरा किया गया है. मस्जिद में मुख्य रूप से जुमे (शुक्रवार) और दिन की सभी पांच ‘फज.र्’ नमाज होती हैं.

प्रधानमंत्री को मस्जिद की दीवारों और दरवाजों पर की गई जटिल नक्काशी की सराहना करते देखा गया. मस्जिद का निर्माण 1012 में किया गया था. अल हाकिम मस्जिद काहिरा की चौथी सबसे पुरानी मस्जिद है और शहर में दूसरी फातिमिया दौर की मस्जिद है. मस्जिद 13,560 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैली हुई है, जिसका प्रांगण 5,000 वर्ग मीटर में है.

मिस्र में भारत के राजदूत अजीत गुप्ते ने पहले कहा था कि भारत में बस गए बोहरा समुदाय का संबंध फातिमिया से है. उन्होंने कहा था कि बोहरा समुदाय 1970 के बाद से मस्जिद का रखरखाव कर रहा है. गुप्ते ने कहा था, ” प्रधानमंत्री का बोहरा समुदाय से बहुत गहरा लगाव है जो कई सालों से गुजरात में भी हैं. यह उनके लिए बोहरा समुदाय के एक बहुत ही महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल पर फिर से जाने का अवसर होगा.” ऐतिहासिक मस्जिद का नामकरण 16वीं सदी के फातिमिया खलीफा के नाम अल हाकिम बामिर अल्लाह पर किया गया था और यह दाऊदी बोहरा समुदाय के लिए अहम धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल है. मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले ही दाऊदी बोहरा समुदाय से काफी पुराने और अच्छे रिश्ते हैं.

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