पटना बैठक के बाद ‘आप’ के रुख पर राजा ने कहा: ‘विपक्षी दलों की एकजुटता के लिए कोई झटका नहीं’

पटना. आम आदमी पार्टी (आप) द्वारा पटना में हुई बैठक पर अलग रुख अपनाने के बाद भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के महासचिव डी. राजा ने कहा है कि यह विपक्षी दलों की एकता के लिए कोई ”झटका नहीं” है. इसके साथ ही, उन्होंने कहा कि कुछ मामलों पर स्वतंत्र राजनीतिक दलों की अलग-अलग राय हो सकती है लेकिन इसका समाधान हो जाएगा.

उन्होंने कहा कि विपक्षी खेमे के नेतृत्व को लेकर अभी कोई मुद्दा नहीं है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इन मुद्दों को उठा रही है क्योंकि वह 2024 के लोकसभा चुनावों के नतीजे से डरती है. बिहार की राजधानी पटना में हाल में हुई 15 विपक्षी दलों की महत्वपूर्ण बैठक के बाद ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ एक साक्षात्कार में राजा ने इस बात पर जोर दिया कि जो धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक दल एक साथ आए हैं, वे किसी भी मुद्दे पर ”सामूहिक रूप से” निर्णय लेने में सक्षम हैं.

राजा ने विचार-विमर्श में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता ममता बनर्जी की भागीदारी और उसके बाद खुलकर बोलने को भी ”एक सकारात्मक संकेत” बताया. यह पूछे जाने पर कि क्या विपक्षी खेमे के लिए अगला कदम सीट बंटवारे और एक साझा एजेंडे को अंतिम रूप देना होगा, राजा ने कहा कि विपक्षी दलों ने संवाददाता सम्मेलन के माध्यम से इस देश के लोगों को बताया है कि वे सभी एक साथ हैं तथा देश और संविधान को बचाने के लिए भाजपा को हराने का संकल्प रखते हैं.

उन्होंने यहां भाकपा कार्यालय में ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ”आगे के कदमों पर चर्चा की जाएगी. इस पर बाद में विचार करेंगे.” यह पूछे जाने पर कि क्या दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के बैठक में शामिल होने के बाद आम आदमी पार्टी का संवाददाता सम्मेलन में शामिल न होना विपक्षी दलों की एकता के लिए झटका है, राजा ने कहा, ”मुझे नहीं लगता कि यह कोई झटका है.”

उन्होंने कहा, ”वास्तव में, एक तरह से यह सकारात्मक भी है. किसी को इसे ऐसे ही लेना चाहिए क्योंकि हम सभी स्वतंत्र राजनीतिक दल हैं, कुछ मुद्दों पर अपनी-अपनी राय हो सकती हैं…लेकिन हम उनसे निपट रहे हैं और हम एक साथ आने के लिए सहमत हुए हैं.” राजा ने आरोप लगाया, ”हम सभी समझते हैं कि देश चुनौतियों का सामना कर रहा है और संविधान, लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता तथा देश की विविधता सभी पर हमला हो रहा है.” भाकपा नेता ने कहा कि सभी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक दल सहमत हैं और उन्होंने संकल्प व्यक्त किया है कि वे 2024 में भाजपा को चुनाव में हराने के लिए मिलकर लड़ेंगे.

‘आप’ ने बयान जारी किया था कि उसके लिए विपक्षी दलों की भविष्य की बैठकों में भाग लेना मुश्किल होगा, जहां कांग्रेस भागीदार है. इस बारे में पूछे जाने पर राजा ने कहा कि उन्होंने उनका बयान नहीं पढ.ा है और वह इस पर अटकलें नहीं लगाना चाहते हैं.
उन्होंने कहा, ”मैं जो समझता हूं वह यह है कि वे बैठक में अंत तक मौजूद थे और अपनी यात्रा प्रतिबद्धताओं के कारण वे चले गये थे.”

राजा ने कहा कि वह ”बहुत आशान्वित” हैं कि सभी गैर-भाजपा धर्मनिरपेक्ष दल 2024 में भाजपा को हराने के लिए एक साथ आएंगे.
यह पूछे जाने पर कि क्या आम आदमी पार्टी संयुक्त रूप से भाजपा से मुकाबला करने वाले खेमे का हिस्सा होगी, उन्होंने कहा कि यह फैसला ‘आप’ को करना है और वह उनके लिए फैसला नहीं कर सकते. राजा ने कहा, ”अगर लोगों और देश के प्रति हमारी प्रतिबद्धता ईमानदार है, तो हम एक आम सहमति बना लेंगे.”

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मेजबानी में यहां हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में विपक्षी दलों ने 2024 के लोकसभा चुनावों में एकजुट होकर भाजपा का मुकाबला करने का संकल्प लिया था. हालांकि इस बैठक में ‘आप’ के साथ दरारें उभरकर सामने आईं और केजरीवाल की पार्टी ने कहा कि उसके लिए भविष्य में इस तरह की किसी भी बैठक का हिस्सा बनना मुश्किल होगा जब तक कांग्रेस अध्यादेश के मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से उसका समर्थन नहीं करती.

भाजपा द्वारा विपक्षी दलों पर उनकी बैठक को लेकर निशाना साधने और उनके साथ आने को अवसरवादी बताने पर राजा ने दावा किया कि जब से कर्नाटक की जनता ने भाजपा को हराने का फैसला सुनाया तब से वह हताश हो गई है. उन्होंने कहा, ”राजनीतिक दल काफी परिपक्व हैं. हम साथ मिलकर चर्चा कर रहे हैं. हम सामूहिक रूप से चर्चा करने में सक्षम होंगे कि सरकार का नेतृत्व किसे करना चाहिए, अभी ये मुद्दे नहीं हैं. यह भाजपा की हताशा को दर्शाता है और वह आगामी चुनावों के नतीजों से डरी हुई है.”

राजा ने कहा कि सभी को भारतीय इतिहास जानना चाहिए, जब 1990 के दशक में संयुक्त मोर्चा सरकार बनी थी, तब हमने एच. डी. देवेगौड़ा और आई. के. गुजराल को कैसे चुना था. उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों के लिए संदेश बिल्कुल स्पष्ट है कि सभी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक संगठनों को भाजपा के खिलाफ मजबूती से लड़ाई लड़ने के लिए अपनी एकता को मजबूत करना होगा.

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