एलओसी पर रक्षा बुनियादी ढांचा बनाने में पाकिस्तानी सेना की मदद कर रहा है चीन
नयी दिल्ली. चीन, पाकिस्तानी सेना को मानव रहित विमान और लड़ाकू विमान उपलब्ध कराने, संचार टावर स्थापित करने और नियंत्रण रेखा पर भूमिगत केबल बिछाने के अलावा रक्षा बुनियादी ढांचे के निर्माण में मदद कर रहा है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.
अधिकारियों के अनुसार, यह पाकिस्तान के सदाबहार मित्र के रूप में चीन की स्थिति को और मजबूत करने के प्रयासों का हिस्सा है, साथ ही पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) पर बढ.ते चीनी परिक्षेत्रों और क्षेत्र में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) सड़क तथा जल विद्युत परियोजनाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के बहाने भी ऐसा किया जा रहा है.
अधिकारियों ने कहा कि हाल ही में विकसित 155 मिमी ट्रक-माउंटेड (ट्रक से संचालित) हॉवित्जर तोप एसएच-15 को पिछले साल पाकिस्तान दिवस पर प्रर्दिशत किए जाने के बाद नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास कुछ स्थानों पर देखा गया है. पाकिस्तान ने 236 एसएच -15 की आपूर्ति के लिए चीनी फर्म नॉर्थ इंडस्ट्रीज ग्रुप कॉर्पोरेशन लिमिटेड (नोरिनको) के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे. इन्हें ‘शूट एंड स्कूट’ तोपखाना हथियार के रूप में जाना जाता है. लंदन स्थित जेन्स डिफेंस पत्रिका के अनुसार, पहले जत्थे की आपूर्ति जनवरी 2022 में की गई थी.
अधिकारियों ने कहा कि हालांकि अग्रिम चौकियों पर पीएलए के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी नहीं पाई गई, जैसा कि 2014 में पता चला था, लेकिन पकड़े गए कुछ संदेशों से पता चला है कि चीनी सैनिक और इंजीनियर एलओसी पर भूमिगत बंकरों के निर्माण सहित बुनियादी ढांचे की स्थापना कर रहे थे. सूत्रों ने कहा कि सेना ने आधिकारिक तौर पर इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है लेकिन खुफिया एजेंसियों को लगातार जानकारी दी जा रही है.
विशेषज्ञों के अनुसार, चीनी सेना की उपस्थिति बीजिंग के 46 अरब डॉलर के सीपीईसी के कारण है, जिसके तहत कराची में ग्वादर बंदरगाह को काराकोरम राजमार्ग के माध्यम से चीन के शिनजियांग प्रांत से जोड़ा जाएगा. काराकोरम राजमार्ग चीन के अवैध कब्जे वाला क्षेत्र है.
अधिकारियों ने संकेत दिया कि चीनी विशेषज्ञ हर मौसम में खुली रहने वाली सड़क बनाने की तैयारी के लिए पीओके में स्थित लीपा घाटी में कुछ सुरंगें खोद रहे हैं, जो काराकोरम राजमार्ग तक पहुंचने के लिए वैकल्पिक मार्ग के रूप में काम करेगी. यहां यह उल्लेख किया जा सकता है कि एक चीनी दूरसंचार कंपनी ने 2007 में पाकिस्तान की दूरसंचार कंपनी का अधिग्रहण कर लिया था और चाइना मोबाइल पाकिस्तान (सीएमपाक) का गठन किया, जो चाइना मोबाइल कम्युनिकेशंस कॉर्पोरेशन की 100 प्रतिशत स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है.
पिछले साल अगस्त में, पाकिस्तान टेलीकम्युनिकेशन अथॉरिटी (पीटीए) ने पीओके के लिए सीएमपाक (जोंग) के मोबाइल लाइसेंस को नवीनीकृत करते हुए क्षेत्र में नेक्स्ट जेनरेशन मोबाइल र्सिवसेज (एनजीएमएस) के विस्तार की अनुमति दी थी. भारत ने अतीत में गिलगित और बाल्टिस्तान क्षेत्रों में चीनियों की मौजूदगी पर कड़ी आपत्ति जताई है और अधिकारियों ने कहा कि सेना सीमा पार से किसी भी चाल को विफल करने के लिए पूरी तरह से तैयार है. भारत और पाकिस्तान 25 फरवरी, 2021 से युद्धविराम का पालन कर रहे हैं.
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में चीनी अध्ययन के प्रोफेसर और चीन के प्रति भारतीय नीति पर एक विचारक संस्था का हिस्सा रहे श्रीकांत कोंडापल्ली का मानना है कि पाकिस्तान को हथियारों का हस्तांतरण क्षेत्र में चीन के हितों को सुरक्षित करने की एक योजना का हिस्सा है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के “सदाबहार” दोस्त होने और समग्र क्षेत्रीय प्रभुत्व नीति को अपनाकर भारत को संतुलित करने के अपने अक्सर घोषित रुख के अनुरूप, बीजिंग ने पाकिस्तान को अपने हथियारों की आपूर्ति बढ.ा दी है.
उन्होंने कहा, “चीन ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में भारत की संप्रभुता संबंधी चिंताओं का उल्लंघन करते हुए 2014 में एक आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) शुरू किया था.” उन्होंने कहा, “काराकोरम राजमार्ग के विस्तार के अलावा, चीन ने अपनी जल-विद्युत परियोजनाओं और अन्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को आतंकवादी हमलों से बचाने के लिए पीओके में अनुमानित 36,000 ‘सुरक्षा गार्ड’ भेजे हैं.” कोंडापल्ली ने कहा कि चीन पीओके में “समृद्ध समाज” वाले गांवों का भी निर्माण कर रहा है.