कभी ऐसे प्रधानमंत्री नहीं देखे जो ‘झूठ’ बोलते हों : सिद्धरमैया
सांगली. कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नीत केंद्र सरकार को आड़े हाथ लेते हुए रविवार को दावा किया कि उन्होंने अपने 40 साल के राजनीतिक सफर में कभी ऐसे प्रधानमंत्री नहीं देखे जो ‘झूठ’ बोलते हों. महाराष्ट्र के सांगली जिले में आयोजित एक जनसभा को संबोधित करते हुए सिद्धरमैया ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर उनके राज्य में भ्रष्टाचार में संलिप्त होने का आरोप लगाया. इस जनसभा में कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई ने उन्हें सम्मानित किया.
सिद्धरमैया ने कहा कि यह प्रत्येक कांग्रेस कार्यकर्ता की जिम्मेदारी है कि वह संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए नरेन्द्र मोदी को हराए. कांग्रेस नेता ने मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, ”मैंने अपने 40 साल के राजनीतिक करियर में ऐसे प्रधानमंत्री नहीं देखे जो झूठ बोलते हों. वर्ष 2014 में उन्होंने (मोदी ने) लोगों के खाते में 15-15 लाख रुपये जमा करने, दो करोड़ नौकरियां देने और अच्छे दिन लाने की बात की थी. क्या इनमें से कोई वादा पूरा हुआ ?” सिद्धरमैया ने कहा कि वह और उपमुख्यमंत्री एवं कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केसीपीपी) अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार राज्य के प्रत्येक हिस्से में जाएंगे और लोगों से प्रदेश की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के ‘भ्रष्टाचार’ की जानकारी देगी जो कथित तौर पर ’40 प्रतिशत कमीशन’ लेती थी.
मुख्यमंत्री ने दावा किया कि भाजपा ने कर्नाटक में पिछला चुनाव जनादेश से नहीं जीता था बल्कि ‘ऑपरेशन कमल’ से जीता था.
विपक्ष, भाजपा द्वारा विधायकों को कथित तौर पर लालच देकर अपने पाले में करने का संदर्भ ‘ऑपरेशन कमल’ से देता है. उन्होंने कहा, ”मुझे विश्वास है कि महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे-देवेंद्र फडणवीस सरकार भी भ्रष्ट है और यह प्रत्येक कांग्रेस कार्यकर्ता की जिम्मेदारी है कि वह उन्हें हराने के लिए काम करे.” उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव अगले साल प्रस्तावित है.
सिद्धरमैया ने कहा, ”हमें देश, संविधान और लोकतंत्र की रक्षा करने के लिए एक और स्वतंत्रता संग्राम करना है. (भीमराव) आंबेडकर की वजह से मैं आज मुख्यमंत्री हूं.” उन्होंने भाजपा पर लोगों को धर्म, क्षेत्र, जाति और भाषा के आधार पर बांटने का आरोप लगाया. सिद्धरमैया ने दावा किया कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के दिवंगत नेता एमएस गोलवलकर और हिंदुत्व विचारक विनायक दामोदर सावरकर ने संविधान का विरोध किया था. उन्होंने कहा कि कांग्रेस संविधान बदलने नहीं देगी और पार्टी कार्यकर्ता इसके लिए कोई भी बलिदान देने को तैयार हैं.