कर्मचारी को प्रमोशन देने हाईकोर्ट ने दिए निर्देश, 10 साल तक चला मामला

बिलासपुर। बिलासपुर में नगर निगम के तृतीय वर्ग के कर्मचारी को दस साल की कानूनी लड़ाई के बाद हाईकोर्ट के आदेश पर अब जाकर न्याय मिला है। नगरीय प्रशासन विभाग ने कर्मचारी को प्रमोशन के साथ ही वरिष्ठता का लाभ देने का आदेश दिया है। इससे पहले विभाग के अफसर हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं कर रहे थे। जिस पर कर्मचारी को अवमानना याचिका दायर करना पड़ा।

सर्वेश तिवारी साल 1983 से नगर निगम में सहायक ग्रेड-3 के पद कार्यरत हैं। 2008 में नगर निगम ने प्रशासनिक आधार पर पद परिवर्तन करते हुए उसे 1983 से सीनियरिटी का लाभ देते हुए संविलयन कर दिया। लेकिन, नगरीय प्रशासन विभाग ने नगर निगम के इस आदेश को न मानकर 2015 में अलग से आदेश जारी कर वरिष्ठता सूची में नाम को नीचे कर दिया।

नगरीय प्रशासन विभाग के इस आदेश को चुनौती देते हुए सर्वेश तिवारी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। 2015 में दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने 2023 में याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला दिया और उसे 1983 से सहायक ग्रेड 3 में वरिष्ठ होने का आदेश दिया। लेकिन, नगर निगम व नगरीय प्रशासन विभाग ने सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ डिवीजन बेंच में अपी कर दी। मामले की सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच ने भी याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला दिया और सिंगल बेंच के आदेश को सही ठहराया।

लंबे समय तक न्यायालयीन केस के चलते याचिकाकर्ता तिवारी से जूनियर कर्मचारी प्रमोशन पाकर सहायक अधीक्षक बन गए। लेकिन, नगर निगम और नगरीय प्रशासन विभाग के अफसरों ने हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया। जिस पर उन्होंने अपने एडवोकेट विकास दुबे के माध्यम से हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर कर दी। इस पर जस्टिस पार्थ प्रतिम साहू की सिंगल बेंच ने निगम के अफसरों को अवमानना नोटिस जारी किया। तब जाकर नगर निगम प्रशासन ने अवमानना से बचने के लिए याचिकाकर्ता को प्रमोशन और सीनियरिटी का लाभ देने का आदेश जारी किया।

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