सेना ने ‘कमांड साइबर ऑपरेशंस, सपोर्ट विंग्स’ को शुरू करने का किया फैसला

नयी दिल्ली. सेना ने बृहस्पतिवार को कहा कि उसने अपने ऑनलाइन नेटवर्क को आधुनिक बनाने के साथ-साथ उसकी प्रभावी सुरक्षा सुनिश्चित करने के अपने प्रयासों के तहत ‘कमांड साइबर ऑपरेशन और सपोर्ट विंग्स’ को चालू करने का फैसला किया है. यह निर्णय सेना के कमांडर के पिछले सप्ताह हुए सम्मेलन में लिया गया था.

सेना ने बृहस्पतिवार को कहा, ‘‘आधुनिक संचार प्रणालियों पर बढ़ती निर्भरता पर जोर देने वाली ‘नेट केंद्रीयता’ (जो आधुनिक संचार प्रणालियों पर बढ़ती निर्भरता से संबंधित है) की ओर तेजी से होते झुकाव के बीच, इस मंच ने नेटवर्क की सुरक्षा जरूरत की समीक्षा की और निकट भविष्य में ‘कमांड साइबर ऑपरेशंस एंड सपोर्ट विंग्स’ (सीसीओएसडब्ल्यू) को संचालित करने का निर्णय लिया.’’ सूत्रों ने बताया कि भारतीय सेना में बड़ी संख्या में प्रौद्योगिकी-सक्षम उपकरण शामिल किए जा रहे हैं, जिनमें स्वार्म ड्रोन, हथियार प्रणाली और ड्रोन रोधी उपकरण हैं.

सेना ने एक बयान में कहा, ‘‘उत्कृष्ट प्रौद्योगिकीयों तथा उपकरण को शामिल कर बलों की क्षमताओं को बढ़ाने और प्रमुख निदेशालयों और ‘टेस्ट बेड’ संरचनाओं को नामित करने का निर्णय लिया गया है.’’ इस सम्मेलन में सेना के कमांडर और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने वर्तमान और उभरते सुरक्षा परिदृश्यों का जायजा लिया और बल की अभियानगत तैयारियों और तत्परता की समीक्षा की. बयान में कहा गया है कि सेना कमांडरों के सम्मेलन में अधिकारियों के लिए एक नई तकनीकी प्रविष्टि योजना (टीईएस) को भी मंजूरी दी गई और यह जनवरी 2024 से लागू होगी.

बीटेक स्रातकों के रूप में भारतीय सेना में अधिकारियों के प्रवेश के लिए वर्तमान में पांच वर्षीय टीईएस प्रारूप का पालन किया जा रहा है. इस प्रारूप के तहत गया में स्थित ‘ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी’ (ओटीए) में एक साल का सैन्य प्रशिक्षण दिया जाता है. इसके बाद ‘कैडेट ट्रेनिंग विंग्स’ (सीटीडब्ल्यू) में तीन साल की बीटेक की डिग्री प्रदान की जाती है, इसके बाद भारतीय सेना के तीन इंजीनियरिंग कॉलेजों में एक साल की डिग्री दी जाती है.

बयान के अनुसार अब सीटीडब्ल्यू में तकनीकी प्रशिक्षण पर केंद्रित तीन साल के प्रशिक्षण के साथ चार साल का कार्यकाल तय किया गया है, इसके बाद देहरादून में भारतीय सैन्य अकादमी में एक साल का बुनियादी सैन्य प्रशिक्षण दिया जाएगा. इसके अनुसार चार वर्षीय प्रशिक्षण मॉडल के जरिये यह सुनिश्चित किया जायेगा कि युवा अधिकारी एक अतिरिक्त वर्ष के लिए देश की सेवा करने के लिए भारतीय सेना की इकाइयों में उपलब्ध हों.

 

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