पश्चिम बंगाल में रामनवमी पर हुई हिंसा की NIA जांच का आदेश

कोलकाता. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने हावड़ा के शिबपुर और हुगली जिले के रिषड़ा में रामनवमी उत्सव के दौरान और बाद में हुई हिंसा की राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) से जांच कराने का बृहस्पतिवार को आदेश दिया. पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता शुभेंदु अधिकारी और तीन अन्य की याचिकाओं पर यह फैसला आया है.

याचिकाओं में इन दो स्थानों पर हुई हिंसा की एनआईए से जांच की मांग की गई थी. हिंसा के दौरान कथित तौर पर बम फेंके गए थे. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश टी.एस. शिवगणनम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने राज्य पुलिस को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि इस आदेश की प्रति प्राप्त होने की तारीख से दो सप्ताह के अंदर सभी प्राथमिकी, दस्तावेज, जब्त की गई सामग्री और सीसीटीवी फुटेज तुरंत एनआईए को सौंपी जाए.

अदालत ने यह निर्देश भी दिया कि एनआईए “सभी सामग्री प्राप्त होने पर जांच शुरू करेगी और कानून के अनुसार आगे बढ़ेगी.” याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए पीठ ने कहा, “मौजूदा मामलों में, हमने प्रथम दृष्टया पाया है कि संबंधित पुलिस की ओर से जानबूझकर विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के प्रावधानों के तहत कोई मामला दर्ज नहीं करने का प्रयास किया गया है.’’ अदालत ने कहा कि उसे लगता है कि मामला प्राथमिकी दर्ज करने के चरण से आगे बढ़ चुका है, ऐसे में राज्य पुलिस को विस्फोटक पदार्थ अधिनियम या किसी अन्य अनुसूचित अधिनियम के तहत मामले दर्ज करने का निर्देश देने से कोई उपयोगी उद्देश्य पूरा नहीं होगा, इसलिए मामले की जांच एनआईए को सौंपना उपयुक्त होगा.

रामनवमी उत्सव के दौरान 30 मार्च को हावड़ा के शिबपुर इलाके में दो समूहों के बीच झड़प हो गई थी. इस दौरान कई वाहनों को आग लगा दी गई और दुकानों में तोड़फोड़ की गई. दो अप्रैल की शाम को रिषड़ा में शोभायात्रा के दौरान भी हिंसा होने की सूचना मिली थी.
दो अप्रैल को रिषड़ा में हिंसा के दौरान कथित तौर पर बम फेंके जाने से संबंधित प्राथमिकी का हवाला देते हुए, न्यायमूर्ति हिरणमय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने कहा कि पुलिस ने विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत कोई मामला दर्ज नहीं किया.

अदालत ने पुलिस की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए यह भी कहा कि रिषड़ा में स्थिति इस हद तक बिगड़ गई कि इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गईं. अदालत ने दक्षिण 24 परगना जिले में ‘डायमंड हार्बर’ के अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश से उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री को मिले एक प्रतिवेदन पर भी गौर किया.

जिला न्यायाधीश ने “रिषड़ा में रहने वाले अपने परिवार की सुरक्षा और उनके द्वारा स्थानीय पुलिस से अनुरोध किए जाने के बावजूद, पुलिस की लापरवाही और कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर भी ंिचता जताई.’’ याचिकाकर्ता ने दावा किया कि चूंकि बम फेंके गए थे, इसलिए विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, 1908 के प्रावधान लागू होने चाहिए और इसलिए एनआईए द्वारा जांच की जानी चाहिए.

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