ब्याज दरों का नियमन दायरे से बाहर रहना प्रतिस्पर्धा को देता है बढ़ावा: शक्तिकान्त दास

नयी दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने कहा है कि ब्याज दरों को नियमन के दायरे से बाहर रखने से प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलता है और इससे ब्याज दर का प्रतिस्पर्धी निर्धारण होता है. उन्होंने कहा कि बदलती मुद्रास्फीति, ब्याज दर की स्थिति में बैंकों में प्रतिस्पर्धा होने से कर्जदाता को प्रतिस्पर्धी दर पर कर्ज मिलने की ज्यादा संभावना होती है और यह तभी होगा जब ब्याज दर नियमन के दायरे से बाहर होगी.

दास ने ‘बाई नाऊ एंड पे लैटर’ (अभी खरीदिये, बाद में भुगतान कीजिए) और क्रेडिट कार्ड पर ग्राहकों से अधिक ब्याज वसूले जाने के बीच यह बात कही. ‘बाई नाऊ एंड पे लैटर’ के मामले में चूक के मामले बढ़ रहे हैं. ऐसे मामलों में संबंधित कंपनियां 36 प्रतिशत तक ब्याज वसूल रही हैं जिससे ग्राहकों पर कर्ज का बोझ बढ़ता जाता है.

ग्राहकों की सुविधा के लिये ब्याज की अधिकतम सीमा तय करने की जरूरत के बारे में पूछे जाने पर आरबीआई गवर्नर ने कहा कि बैंकों में ब्याज व्यवस्था नियमन के दायरे से बाहर है. बदलती मुद्रास्फीति, ब्याज दर की स्थिति में बैंकों में जो प्रतिस्पर्धा होती है, उसके कारण कर्जदाता को प्रतिस्पर्धी दर पर कर्ज मिलने की ज्यादा संभावना होती है और यह तभी होगा जब ब्याज नियमन के दायरे से बाहर होगा.

उन्होंने आरबीआई मुख्यालय में पीटीआई-भाषा से खास बातचीत में कहा, ”अगर आप ब्याज की सीमा तय करेंगे तो यह दोनों तरफ काम करता है. सीमा तय करेंगे, तो सभी ब्याज दर उसी स्तर पर आ जाएंगे. किसी को भी उससे कम ब्याज पर कर्ज नहीं मिलेगा. यह जरूर है कि ब्याज उस सीमा से ऊपर नहीं जाएगा.” दास ने कहा, ”इसीलिए आरबीआई ब्याज दर का नियमन नहीं करता है.

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी केंद्रीय बैंक ब्याज दर का नियमन नहीं करते हें. इसकी वजह यह है कि बाजार में प्रतिस्पर्धा हो ताकि बैंक के ग्राहक कर्जदाताओं को प्रतिस्पर्धी ब्याज दर पर कर्ज मिले.” विकसित देशों में बैंकिंग संकट पैदा होने के बीच देश के वित्तीय संस्थानों की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर दास ने कहा, ”भारत के बैंकिंग क्षेत्र की स्थिति काफी बेहतर और मजबूत है. पिछले कई साल से जो हमारी नियामकीय व्यवस्था है, आरबीआई का जो निगरानी तंत्र का तरीका है तथा बैंकों ने भी स्वयं से जो कदम उठाये हैं, उसका यह असर है कि हमारा बैकिंग क्षेत्र स्थिर और मजबूत है.”

उन्होंने कहा, “आप कोई भी मानदंड ले लीजिए, चाहे सकल एनपीए या फिर पूंजी पर्याप्तता अनुपात (सीएआर), उसके आधार पर देखा जाए तो हमारे बैंकों की स्थिति मजबूत है. सकल एनपीए की बात करें तो पिछले दिसंबर तक के आंकड़े के अनुसार यह 4.4 प्रतिशत था. मार्च का आंकड़ा हम जल्दी जारी करेंगे, तब इसमें और कमी आने की उम्मीद है.” एक अन्य सवाल के जवाब में दास ने कहा कि कई सारे अवैध ‘फॉरेन एक्सचेंज ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म’ थे जो अनधिकृत तरीके से काम कर रहे थे. उन्होंने कहा, “हम अधिकृत फॉरेक्स डीलर या ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म की सूची वेबसाइट पर डाल रहे हैं ताकि जितने अनधिकृत मंच हैं, उसके बारे में लोगों को पता चले और वे सतर्क रहें.”

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