हमें कम अवधि के कड़े युद्धों के लिए तैयार रहने की आवश्यकता: वायु सेना प्रमुख
नयी दिल्ली. वायु सेना प्रमुख वी. आर. चौधरी ने बृहस्पतिवार को कहा कि मौजूदा भू-राजनीतिक हालात में भारतीय वायु सेना को कम समय में तीव्र और छोटी अवधि के संचालन के लिए तैयार रहना पड़ता है। एअर चीफ मार्शल चौधरी ने एक सम्मेलन में कहा कि बल को छोटी अवधि के युद्धों और पूर्वी लद्दाख जैसे लंबे समय तक चलने वाले गतिरोध से निपटने के लिए तैयार रहने की आवश्यकता होगी।
उन्होंने कहा, ‘‘ बल, स्थान और समय की निरंतरता में, हमें छोटी अवधि के युद्धों के लिए तैयार होने के साथ-साथ पूर्वी लद्दाख में जो हम देख रहे हैं, उस तरह के लंबे समय तक चलने वाले गतिरोधों से निपटने के लिए तैयार रहने की आवश्यकता भी होगी।’’ गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच करीब दो वर्ष से पूर्वी लद्दाख में गतिरोध जारी है। हालांकि, दोनों पक्षों ने कई दौर की सैन्य तथा राजनयिक वार्ता के बाद कई क्षेत्रों से अपने-अपने सैनिकों को हटाया है।
उन्होंने कहा कि भारतीय वायु सेना के हाल के अनुभव तथा भू-राजनीतिक परिदृश्य हमें हर वक्त अभियानगत और साजोसामान की दृष्टि से तैयार रहने की जरूरत पर जोर देते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ मौजूदा भू-राजनीतिक हालात में भारतीय वायु सेना को कम समय में तीव्र एवं छोटी अवधि के अभियानों के लिए तैयार रहने की आवश्यकता होती है। कम से कम समय में उच्च तीव्रता वाले अभियानों के नए तरीकों के लिए संचालनात्मक संभार तंत्र में बड़े बदलाव करने की आवश्यकता होगी।’’
हालांकि, उन्होंने इस भू-राजनीतिक स्थिति पर विस्तृत रूप से कोई जानकारी नहीं दी, लेकिन उनके बयान को रूस-यूक्रेन युद्ध और इसके संभावित प्रभावों के संदर्भ के रूप में देखा जा रहा है। एअर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा कि ऐसे परिदृश्य में साजो सामान की मदद करना चुनौतीपूर्ण काम होगा। वायु सेना प्रमुख ने कहा कि ऐसे अभियानों के लिए ‘‘संसाधनों को जोड़ना ’’ और उनके परिवहन को मुमकीन बनाने की आवश्यकता होगी।
उन्होंने कहा, ‘‘ देश की ‘आत्मनिर्भर भारत’ की परिकल्पना को हासिल करने के लिए महत्वपूर्ण घटकों के स्वदेशीकरण के लिए एक केंद्रित कार्य योजना विकसित करने की भी जरूरत है। उन्होंने ‘‘एकीकृत सड़क और रेल प्रबंधन योजना को औपचारिक रूप देने और बड़े विमानों के उपयोग तथा कंटेनर में बड़ी मात्रा में सामग्री ले जाने की व्यवहार्यता का पता लगाने का भी आ’’ान किया।’’ सैन्य तैयारियों के विभिन्न पहलुओं को रेखांकित करते हुए वायु सेना प्रमुख ने कहा कि आगे सेवा क्षमता को ‘इन्वेंटरी मैनेजमेंट सिस्टम’ से जोड़ने के लिए काम करना होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘ कल-पुर्जों की उपलब्धता की समस्या से निपटने के लिए, मुझे लगता है कि हमें जरूरतों का पता लगाने के तरीकों और भंडारण की धारणा का पुनर्मूल्यांकन करने की जरूरत है।’’ भारत कल-पुर्जों सहित सैन्य साजो-सामान की आपूर्ति के लिए रूस पर बहुत अधिक निर्भर है। यूक्रेन में रूसी आक्रमण के मद्देनजर ऐसी आशंका है कि रूस द्वारा महत्वपूर्ण पुर्जों और अन्य उपकरणों की आपूर्ति में काफी देरी हो सकती है।
संचालन योजना में साजो-सामान की आवश्यकता पर जोर देते हुए, एयर चीफ मार्शल चौधरी ने प्रसिद्ध सैन्य रणनीतिकार सन त्जÞु का हवाला भी दिया जिन्होंने कहा था, ‘‘अव्यवस्था और व्यवस्था के बीच की रेखा रसद में है…” एयर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा कि साजो सामान को देश की आर्थिक प्रगति के लिए एक महत्वपूर्ण माध्यम के रूप में पहचाना गया है। उन्होंने कहा, ‘‘ व्यापार करने में सुगमता लाने और भारतीय आपूर्ति श्रृंखलाओं को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए इसे एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में पहचाना गया है।’’