बारूदी सुरंग में विस्फोट, नौ नक्सलियों और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज

दंतेवाड़ा आईईडी विस्फोट मामले में विस्फोटक दो महीने पहले लगाया गया था : पुलिस

रायपुर. छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में बारूदी सुरंग विस्फोट की घटना में 10 पुलिसर्किमयों समेत 11 लोगों की मृत्यु के मामले में पुलिस ने दरभा डिवीजन के नौ नक्सलियों और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है. पुलिस अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.

बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने बताया कि जिले के अरनपुर थाना क्षेत्र में बुधवार को बारूदी सुरंग में विस्फोट कर सुरक्षाबल के वाहन को उड़ाने के आरोप में दरभा डिवीजन के माओवादी चैतू, देवा, मंगतू, रनसाय, जयलाल, बामन, सोमे, राकेश, भीमा और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है.

सुंदरराज ने बताया कि अरनपुर थाना क्षेत्र में नक्सली गतिविधि की सूचना पर मंगलवार 25 तारीख की रात में डीआरजी दंतेवाड़ा और छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल के संयुक्त दल को नक्सल विरोधी अभियान में रवाना किया गया था. दल जब बुधवार की सुबह लगभग 06.30 बजे क्षेत्र में था तब पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई.

उन्होंने बताया कि जब घटना स्थल की तलाशी ली गई तब सुरक्षाबलों ने वहां से दो नक्सली मिलिशिया सदस्य लखमा कवासी (30) और सन्ना उर्फ कोसा माड़वी (25) को गिरफ्तार कर लिया और इनसे नक्सल सामान बरामद किया. इस मामले में पुलिस ने दरभा डिवीजन कमेटी के माओवादी जगदीश, लख्खे, ंिलगे, सोमडू, महेश, हिड़मा, उमेश, देवे, नंद कुमार, लखमा, कोसा, मुकेश और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है.

पुलिस अधिकारी ने बताया कि मुठभेड़ के दौरान नक्सली कोसा उर्फ सन्ना के जांघ और कोहनी में गोली लगी थी, नक्सली को तत्काल उपचार की आवश्यकता थी. उन्होंने बताया कि उसके उपचार के लिए डीआरजी के दल को जिला मुख्यालय भेजा गया और डीआरजी का दल तीन वाहनों में सवार होकर अरनपुर से रवाना हुआ था. उन्होंने बताया कि जब वाहन अरनपुर से दो किलोमीटर दूर पेड़का चौक पर पहुंचा तब नक्सलियों ने बारूदी सुरंग में विस्फोट कर वाहन को उड़ा दिया और गोलीबारी की, इस घटना में डीआरजी के 10 जवानों और वाहन चालक की घटनास्थल पर ही मौत हो गई.

सुंदरराज ने बताया कि सड़क में समय- समय पर डी-माईंंिनग (बारूदी सुरंग को खोजने और उसे नष्ट करने की कार्रवाई) की जाती है और ऐसी आशंका है कि बारूदी सुरंग सड़क के काफी नीचे लगाया गया था, जिसके कारण डी-माईंंिनग के दौरान उसके संबंध में जानकारी नहीं मिली.

उन्होंने बताया कि बुधवार की घटना में शहीद हुए डीआरजी जवान और वाहन चालक को विभागीय प्रावधान तथा शासन की नक्सल पीड़ित पुनर्वास नियम के अंतर्गत अनुकंपा नियुक्ति, आर्थिक सहायता और सुविधाएं जल्द उपलब्ध कराई जाएगी. पुलिस अधिकारी ने बताया कि घटना के बाद आस-पास के क्षेत्रों में पुलिस और सीआरपीएफ के जवान लगातार खोजी अभियान पर हैं.

दंतेवाड़ा आईईडी विस्फोट मामले में विस्फोटक दो महीने पहले लगाया गया था : पुलिस

रायपुर. छत्तीसगढ़ पुलिस को संदेह है कि दंतेवाड़ा जिले में पुलिस के काफिले को निशाना बनाने के लिए नक्सलियों ने कम से कम दो महीने पहले घटनास्थल पर बारूदी सुरंग बिछाया था. पुलिस ने यह जानकारी दी. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि बुधवार को हुए विस्फोट से एक दिन पहले क्षेत्र में सुरक्षाबलों ने बारूदी सुरंगों का पता लगाने का अभियान चलाया था, लेकिन उस वक्त न तो कोई बारूदी सुरंग मिला और न ही कोई संदिग्ध वस्तु बरामद हुई.

बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी. ने बताया, ”प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि बारूदी सुरंग को कम से कम दो महीने या उससे पहले लगाया गया था. विस्फोट करने के लिए लगाए गए तार के ऊपर की मिट्टी पर घास उगी हुई थी. इससे पता चलता है कि बारूदी सुरंग को बहुत पहले लगाया गया था.’’ सुंदरराज ने कहा कि इस घटना के लिए करीब 40-50 किलोग्राम वजन के विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया. ऐसा लगता है कि सड़क के किनारे से सुरंग खोदकर इसे सड़क के नीचे तीन से चार फीट गहरे गड्ढे में रखा गया था.

मानक प्रक्रिया (एसओपी) के उल्लंघन के बारे में पूछे जाने पर पुलिस अधिकारी ने कहा कि पुलिसर्किमयों ने इसका पालन किया था.
उन्होंने कहा कि क्षेत्र में दरभा डिवीजन से जुड़े नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना मिलने के बाद अभियान शुरू किया गया था. उन्होंने बताया कि बुधवार सुबह अरनपुर से कुछ किलोमीटर दूर सुरक्षार्किमयों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई, जिसके बाद दो नक्सलियों को पकड़ा गया, जिनमें से एक घायल है.

सुंदरराज पी. ने कहा कि इसके बाद डीआरजी की एक टीम आठ वाहनों में अरनपुर से दंतेवाड़ा मुख्यालय के लिए रवाना हुई. जबकि सुरक्षार्किमयों की अन्य टीमें मुठभेड़ स्थल पर तलाशी ले रही थी. उन्होंने बताया, ‘‘पकड़े गए नक्सलियों को पहले वाहन (काफिले के) में लाया जा रहा था. दोनों गाड़ियों के बीच लंबा फासला था जिससे वह काफिले जैसा न लगे. नक्सलियों ने दूसरे वाहन को निशाना बनाया, जिसमें 10 पुलिसकर्मी सवार थे.’’ पुलिस अधिकारी ने बताया कि हमले की जगह से करीब 200 मीटर पहले, कुछ स्थानीय आदिवासी युवक बीज पंडुम त्योहार के लिए पैसा एकत्र करने के लिए राहगीरों को रोक रहे थे. बीजा पांडुम एक स्थानीय त्योहार है.

उन्होंने बताया कि वे पुलिस से पैसे नहीं मांगते हैं, लेकिन कभी-कभी सुरक्षाकर्मी स्वेच्छा से त्योहार के लिए आदिवासियों को कुछ पैसे देते हैं. उन्होंने कहा कि अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि जिस वाहन को निशाना बनाया गया था वह आदिवासियों को पैसे देने के लिए वहां रुका था या नहीं. उन्होंने कहा कि पुलिस को संदेह है कि कोई मिलिशिया सदस्य वहां स्थानीय लोगों के साथ मौजूद था जो पुलिसर्किमयों पर नजर रख रहा था और विस्फोट करने वाले नक्सलियों को सूचना दे रहा था.

आईजी ने कहा कि मामले की जांच के बाद इस संबंध में अधिक जानकारी मिल सकेगी. बीज पंडुम त्योहार मानसून की शुरुआत पर बुवाई के मौसम से पहले छत्तीसगढ़ में आदिवासियों द्वारा मनाया जाने वाला त्योहार है. हमले में नक्सलियों के किसी नेता के शामिल होने के बारे में पूछे जाने पर सुंदरराज ने कहा कि माओवादियों की दरभा डिवीजन कमेटी ने एक बयान में हमले की जिम्मेदारी ली है. इसके कमांडर जगदीश ने इलाके में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

उन्होंने कहा कि घटना के पीछे माओवादियों की मलांगिर एरिया कमेटी का हाथ हो सकता है, जो दरभा डिवीजन के तहत काम करती है लेकिन इसकी जांच की जा रही है. नाम न छापने की शर्त पर एक अन्य पुलिस अधिकारी ने कहा कि सुरक्षार्किमयों को मार्ग पर कम खतरा महसूस हुआ क्योंकि इस सड़क का इस्तेमाल लगातार किया जा रहा था. इसका निर्माण कमारगुड़ा तक पूरा हो गया है जो अरनपुर से लगभग 25 किलोमीटर दूर है. अधिकारी ने बताया कि हमले के दिन अरनपुर गांव में बाजार भी था. इससे वहां माओवादियों के मिलिशिया सदस्यों की उपस्थिति से इंकार नहीं किया जा सकता है.

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