समलैंगिक विवाह मानवता पर कलंक, न्यायालय मान्यता देता है तो फैसले को मानने की जरूरत नहीं : शंकराचार्य

जयपुर. गोवर्धन मठ पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने समलैंगिक विवाह को मानवता के लिए कलंक बताते हुए कहा कि अगर उच्चतम न्यायालय इसे कानूनी मान्यता देता भी है तो उसे फैसले को मानने की जरूरत नहीं है. शंकराचार्य ने कहा कि अगर ऐसा फैसला आता है तो प्रकृति न्यायाधीशों को दंडित करेगी. उन्होंने यहीाी कहा कि यह मामला धार्माचार्यों के अधिकार क्षेत्र में आता है, यह अदालती फैसले का विषय नहीं है.

अपने दो दिवसीय जयपुर प्रवास के दौरान यहां संवाददाताओं से बातचीत में स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा, ‘‘समलैंगिक विवाह मानवता के लिए कलंक है, अगर उच्चतम न्यायालय इसे कानूनी मान्यता देता भी है तो उसे फैसले को मानने की जरूरत नहीं है.’’

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