कांग्रेस बताए, क्या वह यूसीसी के साथ या इसके खिलाफ ‘सांप्रदायिक साजिश’ का हिस्सा : नकवी

नयी दिल्ली. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने विपक्षी दलों पर बुधवार को कटाक्ष करते हुए कहा कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को ”सांप्रदायिकता के कारीगरों” से मुक्त कराने का समय आ गया है क्योंकि यह किसी विशेष समुदाय के लिए नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए है. उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि कांग्रेस को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वह यूसीसी के प्रति संवैधानिक प्रतिबद्धता के साथ खड़ी है या इसके कार्यान्वयन के खिलाफ ”सांप्रदायिक साजिश” का हिस्सा है.

नकवी ने कहा, ”संविधान सभा से लेकर संसद, सड़क, नागरिक समाज, उच्चतम न्यायालय कई मौकों पर यूसीसी की संवैधानिक जरूरत को मजबूती से महसूस करते रहे… लेकिन ‘सांप्रदायिक सियासत’ ने ‘समावेशी सुधार’ को हाईजैक किया. इसका परिणाम यह रहा कि यूसीसी संविधान का हिस्सा बनने के बजाय इसके नीति निर्देशक सिद्धांतों का एक हिस्सा बनकर रह गया.” उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता पर फिर से राष्ट्रीय बहस की प्रभावी प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही ”सांप्रदायिक वोटों के सौदागरों” ने फिर से इसके खिलाफ अपना कटुतापूर्ण दुष्प्रचार शुरू कर दिया है.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को यूसीसी की पुरजोर वकालत करते हुए सवाल किया था कि ”दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चलेगा?” उन्होंने साथ ही कहा था कि संविधान में भी सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार का उल्लेख है. मोदी ने आरोप लगाया था कि विपक्ष यूसीसी के मुद्दे का इस्तेमाल मुस्लिम समुदाय को गुमराह करने और भड़काने के लिए कर रहा है.

विहिप ने समान नागरिक संहिता पर प्रधानमंत्री के बयान का समर्थन किया

विश्व हिन्दू परिषद ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान का समर्थन करते हुए बुधवार को कहा कि एक समान कानून 1400 साल पुरानी स्थिति से वर्तमान में लायेगा. विहिप ने समान नागरिक संहिता के विषय को नारी सम्मान से जोड़ते हुए सवाल किया कि जब आपराधिक कानून, संवाद कानून, कारोबार से जुड़े कानून एक समान हैं तब परिवार से जुड़े कानून अलग क्यों हों ? विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने अपने बयान में कहा, ” प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कल अपने संबोधन में समान नागरिक संहिता बनाने पर बल दिया. इसका कुछ राजनीतिक दलों और मुस्लिम धार्मिक संस्थाओं ने विरोध किया है. विश्व हिन्दू परिषद प्रधानमंत्री की बात से सहमत है.”

उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 44 में सभी सरकारों को यह निर्देश दिया गया है कि वह एक समान नागरिक संहिता बनाने का प्रयास करें. कुमार ने कहा, ”मुझे आश्चर्य है कि संविधान बनने के 73 साल बाद जो सांसद और विधायक संविधान के प्रति सच्ची निष्ठा रखने की शपथ लेते हैं, वे इसका पालन नहीं कर सके.” विहिप के कार्याध्यक्ष ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने भी सरला मुद्गल एवं अन्य के मुकदमे में कहा कि अलग अलग नागरिक संहिता ठीक नहीं है.

आलोक कुमार ने कहा कि जब देश में आपराधिक कानून एक हैं, भारतीय संविदा कानून (कॉन्ट्रैक्ट लॉ) एक हैं, वाणिज्यिक कानून एक हैं, कारोबार से जुड़े कानून एक हैं, तब परिवार संबंधी कानून अलग अलग क्यों हैं? उन्होंने कहा कि 1400 साल पुरानी स्थिति अलग थी और उस समय की परिस्थिति में बहु विवाह की प्रथा आई, वह तब की जरूरत हो सकती है. ”समय बदला है. नारी की गरिमा और समानता की बात सभी को स्वीकार करनी चाहिए. वह (नारी) पुरूष की सम्पत्ति नहीं है.” उन्होंने कहा कि ऐसे में किसी तरह के भेदभाव को समान नागरिक संहिता से दूर किया जा सकता है.

कुमार ने कहा कि तलाक के नियम सभी के लिए एक से हों और केवल मौखिक कह देने से तलाक नहीं दिया जा सकता है. उन्होंने कहा कि तलाक की स्थिति में गुजारा भत्ता की व्यवस्था की जानी चाहिए तथा बच्चों की परवरिश की चिंता की जानी चाहिए. आलोक कुमार ने कहा कि एक समान कानून हमें 1400 साल पुरानी स्थिति से वर्तमान में लायेगा. उन्होंने कहा ”ऐसी अपेक्षा की जाती है कि सभी धर्मों से अच्छी बातें ले कर एक ऐसा कानून बनेगा जो सभी के लिए जो अच्छा होगा.”

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