राहुल का मणिपुर दौरा उनके ‘गैर जिम्मेदाराना’ व्यवहार को दर्शाता है: भाजपा

नयी दिल्ली. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बृहस्पतिवार को राहुल गांधी के मणिपुर दौरे को लेकर उन पर निशाना साधाते हुए उनके इस व्यवहार को ‘गैर जिम्मेदाराना’ करार दिया और कहा कि कांग्रेस नेता की ‘जिद’ के कारण इस हिंसाग्रस्त राज्य में एक व्यक्ति की कथित तौर पर जान चली गई.

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और मणिपुर के प्रभारी संबित पात्रा ने यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि स्थानीय प्रशासन ने राज्य में मौजूदा तनाव को देखते हुए राहुल गांधी को हेलीकॉप्टर से चुराचांदपुर जाने को कहा था, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया और सड़क मार्ग से इलाके का दौरा करने चले गए. उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता के दौरे की खबर मीडिया में आने के बाद मणिपुर छात्र संघों सहित कई नागरिक समाज संगठन पिछले दो-तीन दिनों से प्रदर्शन कर रहे थे.

पात्रा ने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष की आलोचना करते हुए कहा, ”राहुल से हेलीकॉप्टर मार्ग से जाने को कहा गया था क्योंकि लोग सड़क किनारे प्रदर्शन करने को उतारू थे…राहुल मानते नहीं हैं, उन्हें मोहब्बत की दुकान खोलने की जल्दी है. जिद पर वहां चले गए. जब ऐसी स्थिति होती है तो जिद की तुलना में संवेदनशीलता कहीं अधिक महत्वपूर्ण होती है.” उन्होंने कहा, ”राहुल गांधी का व्यवहार बेहद गैर जिम्मेदाराना था. राहुल और जिम्मेदारी कभी साथ-साथ नहीं चलते. उन्होंने आज फिर यह साबित कर दिया है.” पात्रा ने कहा कि मणिपुर में 13 जून के बाद से किसी के हताहत होने की खबर नहीं है.

उन्होंने कहा, ”लेकिन बहुत दुख की बात है … आज एक व्यक्ति के मारे जाने की खबर है.” पूर्व कांग्रेस प्रमुख को मणिपुर के मुद्दे के प्रति ‘अधिक जिम्मेदार और संवेदनशील’ होना चाहिए था और स्थानीय प्रशासन की सलाह पर ध्यान देना चाहिए था. उन्होंने कहा, ”मैं हाथ जोड़कर अनुरोध करना चाहता हूं… मणिपुर में स्थिति नियंत्रण में आ रही है. हमें तुच्छ राजनीतिक लाभ के लिए नहीं लड़ना चाहिए.” इससे पहले, राहुल गांधी के काफिले को मणिपुर पुलिस ने इंफाल से 20 किलोमीटर दूर बिष्णुपुर में रोक दिया.

राहुल मणिपुर के अपने दो दिवसीय दौरे के लिए बृहस्पतिवार को इंफाल पहुंचने के बाद चुराचांदपुर जिले के लिए रवाना हुए थे, जहां उनके हिंसा के कारण विस्थापित हुए लोगों से राहत शिविरों में मिलने की योजना थी. गौरतलब है कि मणिपुर में मेइती और कुकी समुदाय के बीच मई की शुरुआत में भड़की जातीय हिंसा में 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.

मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हुई थीं. मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेइती समुदाय की है और यह मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहती है. वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और यह मुख्यत: पर्वतीय जिलों में रहती है.

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