मणिपुर में नाटकीय घटनाक्रम: राहुल के काफिले को रोका गया, हेलीकॉप्टर से पहुंचे चुराचांदपुर
इंफाल. जातीय हिंसा से प्रभावित मणिपुर में राहुल गांधी के चुराचांदपुर के राहत शिविरों के दौरे को लेकर बृहस्पतिवार को कई नाटकीय घटनाक्रम उस समय देखने को मिले जब उनके काफिले को पुलिस ने बीच रास्ते में ही रोक दिया और कांग्रेस नेता को अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए हेलीकॉप्टर का सहारा लेना पड़ा.
गांधी ने मणिपुर की राजधानी इंफाल से 63 किलोमीटर दूर चुराचांदपुर में राहत शिविरों में शरण लिए हुए लोगों से मुलाकात की. उन्होंने कहा, ”मणिपुर में शांति का माहौल हमारी एकमात्र प्राथमिकता होनी चाहिए.” गांधी के काफिले को रोके जाने पर राजनीतिक विवाद शुरू हो गया क्योंकि कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार कांग्रेस नेता की यात्रा को विफल करने की कोशिश कर रही है. वहीं दूसरी ओर भाजपा ने दावा किया कि गांधी को हेलीकॉप्टर से जाने के लिए कहा गया था क्योंकि उनकी यात्रा का विभिन्न वर्गों ने विरोध किया था लेकिन वह सड़क मार्ग से यात्रा करने पर ”अड़े” हुए थे.
गांधी ने ट्वीट किया, ”मैं मणिपुर के अपने सभी भाइयों-बहनों को सुनने आया हूं. सभी समुदायों के लोग बहुत स्वागत और प्रेम कर रहे हैं. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार मुझे रोक रही है. मणिपुर को मरहम की जरूरत है. शांति हमारी एकमात्र प्राथमिकता होनी चाहिए.” चुराचांदपुर की अपनी यात्रा के दौरान, उन्होंने वहां एक स्कूल और एक कॉलेज में बनाये गये राहत शिविरों में रहने वाले लोगों से बातचीत की. इन राहत शिविरों में लगभग 200 लोग रह रहे हैं.
कांग्रेस नेता को रास्ते में प्रदर्शनों का हवाला देते हुए इंफाल से लगभग 20 किलोमीटर दूर बिष्णुपुर में स्थानीय पुलिस ने रोक दिया था.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ”उनकी सुरक्षा को खतरा है. हम राहुल गांधी को आगे बढ़ने देने का जोखिम नहीं उठा सकते.” बिष्णुपुर में स्थानीय पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस का इस्तेमाल किया गया. कुछ प्रदर्शनकारी चाहते थे कि गांधी को चुराचांदपुर जाने दिया जाये, जबकि अन्य ने उनकी यात्रा का विरोध किया.
गांधी के समर्थकों ने बिष्णुपुर में प्रदर्शन कर मांग की थी कि उन्हें चुराचांदपुर जाने की अनुमति दी जाये. एक महिला समर्थक ने कहा, ”यदि (केंद्रीय गृह मंत्री) अमित शाह चुराचांदपुर जा सकते हैं, तो राहुल गांधी क्यों नहीं.” बिष्णुपुर में कुछ घंटों तक फंसे रहने के बाद, गांधी इंफाल हवाई अड्डे पर लौट आए और हेलीकॉप्टर से चुराचांदपुर रवाना हुए.
हवाई अड्डे पर एक सूत्र ने बताया, ”राहुल गांधी ने चुराचांदपुर जाने के लिए राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराये गये हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया. पुलिस और प्रशासन के शीर्ष अधिकारी हेलीकॉप्टर में उनके साथ थे.” कांग्रेस ने आरोप लगाया कि केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारें गांधी की यात्रा को रोकने के लिए ”निरंकुश तरीकों” का इस्तेमाल कर रही हैं.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ट्वीट किया, ”डबल इंजन वाली विनाशकारी सरकारें राहुल गांधी की लोगों तक पहुंच को रोकने के लिए निरंकुश तरीकों का इस्तेमाल कर रही हैं. यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है और सभी संवैधानिक और लोकतांत्रिक मानदंडों को ध्वस्त करता है. मणिपुर को शांति की जरूरत है, टकराव की नहीं.” उन्होंने कहा, ”गांधी राहत शिविरों में पीड़ित लोगों से मिलने और उन्हें सांत्वना देने के लिए वहां जा रहे हैं.” कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कीशम मेघचंद्र ने आरोप लगाया कि गांधी के काफिले को रोकने का आदेश मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की ओर से आया था क्योंकि ”हर कोई उनका स्वागत कर रहा था.” भाजपा ने हालांकि आश्चर्य जताया कि गांधी चुराचांदपुर हेलीकॉप्टर से क्यों नहीं जाना चाह रहे.
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, ”राहुल गांधी की मणिपुर यात्रा का मणिपुर में कई नागरिक समाज संगठनों और छात्र संघों ने पुरजोर विरोध किया है. इसे ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने गांधी से हेलीकॉप्टर से चुराचांदपुर जाने का अनुरोध किया.” उन्होंने कहा, ”क्षुद्र राजनीतिक लाभ के लिए ”अड़ियल” रवैया अपनाने से ज्यादा महत्वपूर्ण है कि संवेदनशील स्थिति को समझा जाये.
स्थानीय पुलिस द्वारा गांधी के काफिले को रोके जाने के बाद तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने भी केंद्र पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि यह भाजपा की ”हताशा” को दर्शाता है.
टीएमसी के राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ’ब्रायन ने कहा, ”मोदी-शाह की भाजपा अब हताश है. एक महीने पहले ममता बनर्जी ने पत्र लिखकर मणिपुर जाने की इजाजत मांगी थी. उन्हें अनुमति नहीं दी गई. ठीक एक महीने बाद राहुल गांधी को भी जाने से रोक दिया गया. यह निश्चित रूप से भाजपा सरकार के आखिरी 300 दिन हैं.” पुलिस सूत्रों ने कहा कि बिष्णुपुर जिले के उटलोऊ गांव के निकट राजमार्ग पर टायर जलाए गए और काफिले पर कुछ पत्थर फेंके गए.
एक पुलिस अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ”हमें ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति की आशंका है और इसलिए एहतियातन काफिले को बिष्णुपुर में रुकने का अनुरोध किया था.” इस बीच मणिपुर में कंगपोकपी जिले के हरओठेल गांव में बृहस्पतिवार की सुबह कुछ अज्ञात ”दंगाइयों” ने बिना किसी उकसावे के गोलीबारी की जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और कुछ अन्य घायल हो गये. इस घटना के कारण क्षेत्र में तनाव व्याप्त हो गया.
सेना की स्थानीय इकाई ने ट्वीट किया कि ”अपुष्ट खबरों” से संकेत मिलता है कि घटना में कुछ लोग हताहत हुए हैं. इस बीच आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि क्षेत्र से एक शव बरामद किया गया है और कुछ अन्य को जमीन पर पड़ा देखा जा सकता है.
गौरतलब है कि मणिपुर में मेइती और कुकी समुदाय के बीच मई की शुरुआत में भड़की जातीय हिंसा में 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हुई थीं. मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेइती समुदाय की है और यह मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहती है. वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और यह मुख्यत: पर्वतीय जिलों में रहती है.