‘लोकतंत्र के ताबूत में आखिरी कील’ संरक्षक के हाथों नहीं ठोकी जानी चाहिए : आनंद बोस

सिलीगुड़ी. पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव से पहले हिंसा की विभिन्न घटनाओं की पृष्ठभूमि में राज्यपाल सी वी आनंद बोस ने बृहस्पतिवार को राज्य प्रशासन को सख्त संदेश देते हुए कहा कि ‘लोकतंत्र के ताबूत में आखिरी कील’ उसके संरक्षक के हाथों नहीं ठोकी जानी चाहिए. बोस ने यहां सिलीगुड़ी र्सिकट हाउस में विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की और कहा कि इस राज्य की मौजूदा स्थिति “बहुत परेशान करने वाली” है.

बोस ने र्सिकट हाउस में कहा, “लोकतंत्र के ताबूत में आखिरी कील उसके संरक्षक के हाथों ही नहीं ठोकी जानी चाहिए. हमें इसका ध्यान रखना चाहिए.” राज्यपाल ने कहा कि वह हिंसा वाले क्षेत्रों का दौरा करते रहेंगे, ताकि उन्हें स्थिति की जानकारी मिल सके. उन्होंने कहा, ”जमीन पर जो कुछ भी हो रहा है, वह बहुत परेशान करने वाला है. अदालत ने अपनी विभिन्न घोषणाओं और टिप्पणियों में भी इसे दर्शाया है. हम निश्चित रूप से गौर करेंगे कि वर्तमान प्रवृत्ति में बदलाव हो और समाज में शांति एवं सद्भाव कायम हो.”

उन्होंने कहा, “हर नागरिक स्वतंत्र रूप से और निडर होकर अपना मतदान कर सकेगा- यह प्रतिबद्धता है और हम इसे आगे ले जाने की कोशिश कर रहे हैं. मैं क्षेत्र में जा रहा हूं. मुझे क्षेत्र में अनुभव लेना अच्छा लगता है.” पंचायत चुनावों के लिए नामांकन दाखिल किए जाने के दौरान पिछले दो हफ्तों में व्यापक हिंसा में राज्य में कम से कम आठ लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए.

राज्यपाल कार्यालय के सूत्रों ने बताया कि बैठक में विपक्ष ने सत्तारूढ. तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और समर्थकों द्वारा कथित तौर पर धमकी दिए जाने के कारण कई उम्मीदवारों के नामांकन दाखिल नहीं कर पाने को लेकर चिंता जताई. राज्य में आठ जुलाई को पंचायत चुनाव होने हैं और इसके लिए नामांकन प्रक्रिया 15 जून को समाप्त हो गई.

विपक्ष ने मांग की कि चुनाव बाद हिंसा की आशंका के मद्देनजर 11 जुलाई को मतगणना के छह सप्ताह बाद तक केंद्रीय बलों की तैनाती की जानी चाहिए. बैठक में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद राजू बिस्ता के नेतृत्व में दार्जिलिंग क्षेत्र से भाजपा के गठबंधन सहयोगियों का एक प्रतिनिधिमंडल उपस्थित था. सूत्रों ने बताया कि बैठक में बिमल गुरुंग और हमरो पार्टी के प्रमुख अजय एडवर्ड्स मौजूद नहीं थे.

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