अध्यक्ष का चुनाव नहीं लड़ूंगा, मुख्यमंत्री पद के बारे में फैसला सोनिया करेंगी: गहलोत
नयी दिल्ली/जयपुर. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जयपुर में कांग्रेस विधायक दल की बैठक नहीं हो पाने और संबंधित घटनाक्रम के लिए बृहस्पतिवार को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से माफी मांगी और कहा कि वह अब अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ेंगे. सोनिया गांधी के आवास ‘10 जनपथ’ पर उनसे मुलाकात के बाद गहलोत ने यह भी कहा कि उनके मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के बारे में फैसला सोनिया गांधी करेंगी. पार्टी की राजस्थान इकाई में संकट पैदा होने के बाद गहलोत पहली बार दिल्ली पहुंचे हैं.
उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं पिछले 50 वर्षों से कांग्रेस का वफादार सिपाही रहा हूं…जो घटना दो दिन पहले हुई उसने हम सबको हिलाकर रख दिया. मुझे जो दुख है वो मैं ही जान सकता हूं. पूरे देश में यह संदेश चला गया कि मैं मुख्यमंत्री बने रहना चाहता हूं इसलिए यह सब हो रहा है.’’
गहलोत ने कहा, ‘‘ दुर्भाग्य से ऐसी स्थिति बन गई कि प्रस्ताव पारित नहीं हो पाया. हमारी परंपरा है कि एक लाइन का प्रस्ताव पारित किया जाता है. दुर्भाग्य से ऐसी स्थिति बन गई कि प्रस्ताव पारित नहीं पाया. मैं मुख्यमंत्री हूं और विधायक दल का नेता हूं, यह प्रस्ताव पारित नहीं हो पाया. इस बात का दुख मुझे हमेशा रहेगा. मैंने सोनिया जी से माफी मांगी है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ मैंने तय किया है कि इस माहौल के अंदर अब चुनाव नहीं लड़ूंगा. यह मेरा फैसला है.’’ गहलोत के अनुसार, राहुल गांधी यात्रा पर निकले हैं और वह शांति, सद्भाव और भाईचार का संदेश दे रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने राहुल जी से कहा था कि वह चुनाव लड़े. उन्होंने अस्वीकार कर दिया. फिर मैंने कहा था कि चुनाव लड़ूंगा. अब मैं चुनाव नहीं लड़ूंगा.’’ उनके मुख्यमंत्री पद पर बने रहने से जुड़े सवाल पर गहलोत ने कहा कि इस बारे में फैसला सोनिया गांधी करेंगी.
गहलोत के चुनावी दौड़ से बाहर होने के बाद अब पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह इस चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की तैयारी में हैं. सिंह ने बृहस्पतिवार को पार्टी अध्यक्ष पद के चुनाव का नामांकन पत्र लिया और कहा कि वह संभवत: शुक्रवार को नामांकन दाखिल करेंगे.
लोकसभा सदस्य शशि थरूर 30 सितंबर को दोपहर में अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करेंगे. कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए घोषित कार्यक्रम के अनुसार, अधिसूचना 22 सितंबर को जारी की गई और नामांकन पत्र दाखिल करने की प्रक्रिया 24 सितंबर से आरम्भ हुई, जो 30 सितंबर तक चलेगी. नामांकन पत्र वापस लेने की अंतिम तिथि आठ अक्टूबर है. एक से अधिक उम्मीदवार होने पर 17 अक्टूबर को मतदान होगा और परिणाम 19 अक्टूबर को घोषित किये जाएंगे.
वैसे, कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव पर राजस्थान में उत्पन्न राजनीतिक संकट की छाया पड़ी है. गत रविवार की शाम जयपुर में विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी, लेकिन गहलोत समर्थक विधायक इसमें शामिल नहीं हुए थे. पार्टी पर्यवेक्षकों मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन ने इसे मंगलवार को ‘घोर अनुशासनहीनता’ करार दिया था और गहलोत के करीबी तीन नेताओं के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की थी. इसके कुछ देर बाद ही पार्टी की अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति की ओर से उन तीन नेताओं को ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी कर दिये गये.
राजस्थान: राजनीतिक सरगर्मी के बीच नेताओं में ‘वफादारी’ दिखाने के लिए जुबानी जंग
क्षेत्रफल के लहिाज से देश के सबसे बड़े राज्य राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस में जारी राजनीतकि गतरिोध के बीच स्थानीय नेताओं में पार्टी के भीतर बने धड़ों के प्रति वफादारी दिखाने की होड़ मची है. इन नेताओं में ‘खुद को आलाकमान का वफादार’ बताने की होड़ सी मची है. राजस्थान पर्यटन विकास नगिम (आरटीडीसी) के अध्यक्ष और गहलोत के वफादार धर्मेंद्र राठौड़ ने बृहस्पतिवार को सचनि पायलट खेमे के माने जाने वाले विधायक वेद प्रकाश सोलंकी पर निशाना साधा.
राठौड़ ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “मैं यह साबित करने के लिए साक्ष्य दूंगा कि कौन गद्दार है और कौन वफादार . यह सबके सामने आएगा. सोलंकी ने जिला परिषद चुनाव के दौरान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां से एक होटल में मुलाकात की थी.” उन्होंने सोलंकी की भाजपा अध्यक्ष पूनयिां के साथ बैठक का एक वीडियो दिखाया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि यह जिला परिषद चुनावों के दौरान सदस्यों की खरीद फरोख्त की साजिश थी.
जिला परिषद चुनाव के प्रभारी रहे, मंत्री गोंिवद राम मेघवाल ने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने पार्टी को नुकसान पहुंचाने में सोलंकी की भूमिका के बारे में शिकायत की थी लेकिन राजस्थान प्रभारी अजय माकन ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की. उन्होंने कहा कि सोलंकी ने पार्टी को धोखा दिया जिससे जयपुर में कांग्रेस की जगह भाजपा ने जिला प्रमुख का चुनाव जीता.
उल्लेखनीय है कि विधायक सोलंकी ने कल राठौड़ को कांग्रेस और भाजपा का ‘दलाल’ तक कह दिया था. सोलंकी ने कहा था, “कौन धर्मेंद्र? धर्मेंद्र राठौड़ भाजपा और कांग्रेस के पंजीकृत दलाल हैं. हर कोई जानता है कि वह कांग्रेस और भाजपा के बीच दलाल कैसे काम करता है.” उन्होंने आगे कहा, “हम आलाकमान के साथ हैं. कौन ईमानदार है, कौन झूठा है, कौन गद्दार है, कौन क्या है… सभी जानते हैं . धर्मेंद्र राठौड़ के बारे में बात करने का मतलब समय बर्बाद करना है.‘’ दौसा विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस विधायक मुरारी लाल मीणा ने उनकी टिप्पणी को लेकर स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा पर निशाना साधते हुए कहा कि 2020 के राजनीतिक घटनाक्रम में सचिन पायलट के साथ मानेसर गए विधायकों के खिलाफ असंसदीय भाषा का इस्तेमाल किया जा रहा है, वह खराब है.
मीणा ने कहा, “जिस तरह से हमारे लिए देशद्रोही और असंसदीय भाषा का इस्तेमाल किया जा रहा है, वह गलत है.” उन्होंने कहा कि विधायक 2020 में एक महीने तक दिल्ली में रहे, लेकिन उन्होंने कांग्रेस आलाकमान के बारे में एक शब्द भी नहीं कहा. मीणा ने कहा, ’हम घर पर बैठ सकते हैं, लेकिन भाजपा के साथ नहीं जा सकते. हमें दुख है कि हमारे लिए देशद्रोही शब्द का इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन अब यह बताया जाना चाहिए कि आलाकमान को कौन धोखा दे रहा है .’’ उन्होंने यह भी कहा कि अगर स्थिति बनती है तो वह मध्यावधि चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं. उल्लेखनीय है क िमौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बृहस्पतिवार को नई दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की. वहीं सचनि पायलट भी दिल्ली में हैं.