छत्तीसगढ़ में स्थानीय लोगों ने परसा कोयला ब्लॉक में खनन कार्य शुरू करने का किया समर्थन
रायपुर. छत्तीसगढ़ में स्थानीय लोगों ने परसा ब्लॉक में कोयला खनन कार्य शुरू करने का समर्थन किया है. इस कोयला ब्लॉक से राजस्थान को बिजली उत्पादन के लिये जरूरी कोयला मिल सकेगा. सूत्रों ने कहा कि छह परियोजना में विलंब के कारण प्रभावित गांवों के स्थानीय लोगों ने मंगलवार को छत्तीसगढ़ सरकार से परसा ब्लॉक जल्द से जल्द शुरू करने का अनुरोध किया.
राजस्थान में बिजली उत्पादन इकाइयों को छत्तीसगढ़ के खदानों से कोयले का आवंटन होता है, लेकिन छत्तीसगढ़ में राज्य स्तर की मंजूरी में देरी ने उनमें से अधिकतर परियोजनाओं को रोक दिया है. राजस्थान सरकार की इकाई, पीईकेबी ब्लॉक से 1.5 करोड़ टन कोयले का उत्पादन कर रही है. उसे परसा ब्लॉक से अतिरिक्त 50 लाख टन कोयले की जरुरत को पूरा करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार से मंजूरी की प्रतीक्षा है. केंद्र ने राजस्थान को अपनी 4,300 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता को चलाने के लिए छत्तीसगढ़ स्थित तीन कोयला ब्लॉक आवंटित किए थे.
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री और अपनी पार्टी के सहयोगी भूपेश बघेल से भी अनुरोध किया है कि वे 90 लाख टन की वार्षिक उत्पादन क्षमता वाले तीसरे केंटे एक्सटेंशन ब्लॉक के लिए जल्द से जल्द जन सुनवाई की सुविधा प्रदान करें.
छत्तीसगढ़ देश का सबसे बड़ा कोयला उत्पादक राज्य है. राजस्थान सरकार ऐसे समय में आबंटित सभी ब्लॉक को विकसित करने को इच्छुक है, जब हाजिर बाजार में कोयले की कीमतें और बिजली की दरें अब तक के उच्चतम स्तर पर हैं. राजस्थान में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और बिजली की कमी से सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी की छवि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.
सूत्रों ने कहा कि ग्रामीणों के एक प्रतिनिधिमंडल ने सरगुजा के जिला कलेक्टर को अवगत कराया कि उन्होंने वर्ष 2019 में कोयला खनन के लिए अपनी जमीन इस उम्मीद के साथ दे दी थी कि परसा विकसित होने के बाद उन्हें रोजगार के अवसर मिलेंगे. हालांकि, वे खनन परियोजनाओं शुरु होने में देरी के कारण मुआवजे के पैसे खर्च करने और अपने भविष्य को दांव पर लगाने के लिए मजबूर हैं.
राजस्थान में लगभग 28,400 मेगावाट स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता है.