राजनीतिक विवाद के बीच एफएसएसएआई ने दही पर क्षेत्रीय नामों के लेबल की अनुमति दी

नयी दिल्ली. भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं नियामक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने बृहस्पतिवार को अपने आदेश में संशोधन किया तथा तमिलनाडु और कर्नाटक में राजनीतिक विवाद के बीच दही के पैकेट के मुद्रित लेबल में क्षेत्रीय नामों के इस्तेमाल की अनुमति दे दी.

एफएसएसएआई ने बयान में कहा, ‘‘खाद्य कारोबार परिचालकों (एफबीओ) को अब लेबल पर कोष्ठकों में किसी अन्य प्रचलित क्षेत्रीय सामान्य नाम के साथ ‘दही’ शब्द का उपयोग करने की अनुमति है. उदाहरण के लिए, हिन्दी में ‘दही’ या कन्नड़ में ‘दही (मोसरू), तमिल में ‘दही (थायिर), तेलुगू में दही (पेरुगु),(जÞामुतदौद)’ का उपयोग किया जा सकता है.’’ किण्वित (फर्मेन्टेड) दुग्ध उत्पादों के मानकों से ‘दही’ शब्द को हटाने पर हाल ही में प्राप्त विभिन्न अभ्यावेदन के बाद आदेश को संशोधित किया गया है और केवल ‘दही’ शब्द का उल्लेख किया गया है.

एफएसएसएआई ने कहा, ‘‘किण्वित दुग्ध उत्पादों के मानकों से ‘दही’ शब्द को हटाने पर हाल ही में कई अभ्यावेदन प्राप्त हुए थे. यह निर्णय लिया गया है कि एफबीओ किसी अन्य पदनाम (प्रचलित क्षेत्रीय सामान्य नाम) के साथ लेबल पर कोष्ठक में दही शब्द का उपयोग कर सकते हैं.’’

कर्नाटक और तमिलनाडु में स्थित दुग्ध सहकारी समितियों और निजी डेयरी को जारी किए गए 10 मार्च के अपने निर्देश में, एफएसएसएआई ने कोष्ठक में प्रचलित क्षेत्रीय नामों के साथ ‘दही’ शब्द का उपयोग करने के लिए कहा था.
उन्हें उत्पाद की लेबंिलग करते समय ‘दही’ के लिए विभिन्न राज्यों में इस्तेमाल होने वाले क्षेत्रीय नामकरण का उपयोग करने के लिए कहा गया, जैसे दही (दही), दही (मोसरू), दही (जÞामुतदौद), दही (थाईर), दही (पेरुगु).

यह निर्देश कर्नाटक कोआॅपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर्स फेडरेशन (केएमएफ), बेंगलुरु रूरल एंड रामनगर डिस्ट्रिक्ट कोआॅपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर्स यूनियन लिमिटेड, तमिलनाडु कोआॅपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर्स फेडरेशन और हैटसन एग्रो प्रोडक्ट्स लिमिटेड को जारी किया गया था.

विवाद तब शुरू हुआ जब तमिलनाडु सहकारी दुग्ध उत्पादक महासंघ – जो आविन ब्रांड नाम से डेयरी उत्पाद बेचता है – ने एफएसएसएआई के निर्देशानुसार अपने मुद्रित पाउच में ंिहदी शब्द ‘दही’ का उपयोग करने से इनकार कर दिया और कहा कि यह केवल तमिल शब्द ‘थाइर’ तक ही सीमित रहेगा.

बुधवार को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने इस कदम को ‘‘ंिहदी थोपने’’ के प्रयास के रूप में बताया. डेयरी विकास मंत्री एस एम नसर ने कहा कि सरकार को अगस्त से पहले निर्देश लागू करने के लिए एक पत्र मिला था. स्टालिन ने ट्वीट में कहा, ‘‘ंिहदी थोपने की जिद हमें एक दही के पैकेट पर भी ंिहदी में लेबल लगाने के लिए निर्देशित करने की हद तक पहुंच गई है, हमारे अपने राज्यों में तमिल और कन्नड़ शब्द को हटा दिया गया है. हमारी मातृभाषाओं के लिए इस तरह का बर्ताव यह सुनिश्चित करेगा कि जिम्मेदार लोगों को दक्षिण से हमेशा के लिए भगा दिया जाए.

भाजपा की राज्य इकाई के प्रमुख के अन्नामलाई ने कहा है कि अधिसूचना क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने की केंद्र की नीति के अनुरूप नहीं थी. इस बीच, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने केएमएफ के एक लोकप्रिय ब्रांड नंदिनी के दही के पैकेट पर ‘दही’ शब्द शामिल करने पर आपत्ति जताई. ट्वीट्स की एक श्रृंखला में, जद (एस) नेता ने इसे कन्नड़भाषियों पर ‘ंिहदी थोपना’ बताया.

उन्होंने कहा, ‘‘यह जानते हुए कि कन्नड़ लोग ंिहदी थोपे जाने के खिलाफ हैं, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण के लिए यह गलत है कि वह केएमएफ को नंदिनी प्रोबायोटिक दही के पैकेट पर ंिहदी में दही छापने का आदेश दे.” उन्होंने कहा कि नंदिनी “कन्नड़ लोगों की संपत्ति, कन्नड़ के लोगों की पहचान और कन्नड़ लोगों की जीवन रेखा” है.

उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपनी मांड्या यात्रा के दौरान एक बैठक में कहा था कि नंदिनी का गुजरात के अमूल में विलय किया जाएगा. इस मुद्दे पर कर्नाटक मिल्क फेडरेशन की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई.

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