FPI के लिए खुलासा नियमों में बढ़ोतरी का सेबी का फैसला अपराध की स्पष्ट स्वीकारोक्ति : कांग्रेस
नयी दिल्ली. कांग्रेस ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि कुछ विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के लिए बढ़ी खुलासा जरूरतों को अनिवार्य करने का सेबी का फैसला उच्चतम न्यायालय की विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के मद्देनजर बाजार नियामक द्वारा ‘अपराध की स्पष्ट स्वीकारोक्ति’ की ओर इंगित करता है.
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक बयान में कहा, ” भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की जांच का दायरा सीमित है और केवल एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की जांच से ही अडाणी ‘घोटाले’ का पूरी तरह खुलासा हो सकता है. उन्होंने कहा कि वे 14 अगस्त को आने वाली सेबी की रिपोर्ट का भी इंतजार कर रहे हैं, जो अडाणी समूह की कंपनियों में निवेश किए गए 20,000 करोड़ रुपये के ‘अपारदर्शी विदेशी फंड’ की उत्पत्ति पर महत्वपूर्ण सवालों के जवाब देगी.
उच्चतम न्यायालय की विशेषज्ञ समिति ने अडाणी ‘मेगास्कैम’ के प्रति सेबी के दृष्टिकोण के संबंध में नरम लेकिन निंदनीय भाषा का इस्तेमाल किया. इसमें दावा किया गया कि सेबी द्वारा किसी तरह की नियामकीय विफलता नहीं दिखाई गई, लेकिन नियमों के पुनर्लेखन सहित कई प्रमुख नियामकीय विफलताओं का जिक्र किया गया जिसने अपारदर्शी विदेशी निधियों को भारी मात्रा में अडाणी की कंपनियों में निवेश करने की अनुमति दी.
रमेश ने आरोप लगाते हुए कहा, ”सेबी बोर्ड की 28 जून, 2023 को हुई बैठक के बाद सख्त रिपोर्टिंग निमयों का फिर से समावेश दर्शाता है कि नियामकीय निकाय द्वारा सार्वजनिक अपराध को सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया गया .” रमेश ने ट्विटर पर बयान साझा करते हुए कहा, ”..अडाणी मेगास्कैम (महाघोटाला) को लेकर उच्चतम न्यायालय की विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट पर सेबी की ओर से की गई कार्रवाई इंगति करती है कि नियामकीय निकाय ने अपराध को स्वीकार कर लिया है.”
कांग्रेस नेता ने कहा कि सेबी ने माना है कि उसे ‘न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता की आवश्यकता जैसे नियमों की अनदेखी’ को रोकने के लिए और अधिक प्रयास करने की जरूरत है और यही आरोप अडाणी समूह के खिलाफ लगाया गया है. रमेश ने कहा कि सेबी ने उन विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के लिए स्वामित्व, आर्थिक हित और नियंत्रण के संबंध में अतिरिक्त विस्तृत स्तर के खुलासे को अनिवार्य कर दिया है, जो अपनी भारतीय संपत्ति का 50 प्रतिशत से अधिक हिस्सा एक ही कॉर्पोरेट समूह में रखते हैं या भारतीय बाजार में 25 हजार करोड़ रुपये से अधिक लगाते हैं.