भारत 2030 तक 2,000 अरब डॉलर के निर्यात लक्ष्य को पाने की ओर बढ़ रहा: गोयल

विदेश व्यापार नीति व्यावहारिक, बढ़ेगी वैश्विक व्यापार में देश की हिस्सेदारी: उद्योग जगत

नयी दिल्ली. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को ‘गतिशील और उत्तरदायी’’ विदेशी व्यापार नीति की घोषणा की और यह भरोसा जताया कि भारत का व्यापारिक एवं सेवा निर्यात 2030 तक 2000 अरब डॉलर को पार कर जाएगा. इसका मौजूदा स्तर 765 अरब डॉलर है.

गोयल ने कहा कि मौजूदा वैश्विक परिदृश्य के लिहाज से माल निर्यात में वृद्धि अच्छी रही है जबकि सेवा निर्यात में अगले वित्त वर्ष में उछाल आने की उम्मीद है. उन्होंने कहा, ‘‘आगे जाकर हमें अपने निर्यात लक्ष्यों को पाना होगा. माल निर्यात को लेकर हमें और भी कड़ी मेहनत करनी होगी.’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए कि 2030 तक सेवा निर्यात तो 1000 अरब डॉलर को पार कर जाए और व्यापारिक निर्यात पीछे रह जाए. मुझे भरोसा है कि हम 2030 तक 2000 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर लेंगे.’’
उद्योग मंत्री ने कहा कि वाणिज्य मंत्रालय अगले चार-पांच महीनों के दौरान क्षेत्रवार या देशों के स्तर पर दुनिया में एक व्यापक पहुंच बनाने पर जोर देगा. विदेशों में भारतीय दूतावास तथा विदेश मंत्रालय इस काम में विभाग की मदद करेंगे, उसके साथ मिलकर काम करेंगे. इसमें, व्यापार, प्रौद्योगिकी, पर्यटन और निवेश पर विशेष जोर दिया जाएगा. उन्होंने भरोसा जताया, ‘‘हम माल और सेवा क्षेत्रों में 2030 तक 1000-1000 अरब डॉलर के निर्यात लक्ष्य को पा लेंगे.’’
एफटीपी 2023 में भारत से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए अनेक कदम उठाए गए हैं. विश्व व्यापार संगठन के वैश्विक व्यापार अनुमान के मुताबिक वैश्विक स्तर पर अनिश्चितताओं की वजह से 2023 में विश्व व्यापार की वृद्धि धीमी पड़कर एक प्रतिशत पर आ जाएगी.

विदेश व्यापार नीति व्यावहारिक, बढ़ेगी वैश्विक व्यापार में देश की हिस्सेदारी: उद्योग जगत
उद्योग जगत और विशेषज्ञों ने कहा है कि भारत की नई विदेश व्यापार नीति व्यावहारिक और सकारात्मक है और इसने वैश्विक व्यापार में देश की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए एक मंच तैयार कर दिया है. वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) 2023 पेश की. इसका उद्देश्य देश के निर्यात को 2030 तक 2,000 अरब डॉलर तक पहुंचाना, भारतीय रुपये को वैश्विक मुद्रा बनाना और ई-वाणिज्य निर्यात को बढ़ावा देना है.

उद्योग मंडल सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि कई अभिनव उपायों के साथ नई एफटीपी से वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात को 2,000 अरब डॉलर तक बढ़ाने में मदद मिलेगी. यह नीति हाल में निर्यात को बढ़ाने के लिए की गई कई नीतिगत घोषणाओं के अनुरूप है.

उन्होंने कहा, ”ऐसे समय में जब दुनिया मजबूत वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं की तलाश कर रही है, एफटीपी 2023 से नियामक वातावरण तैयार होगा, विश्वस्तर पर प्रतिस्पर्धी कंपनियों को बढ़ावा मिलेगा और निर्यात अधिक समावेशी होगा.” एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा कि भारत की नई विदेश व्यापार नीति वैश्विक व्यापार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए एक मंच तैयार करेगी.

उन्होंने कहा, ”तेजी से बदलते वैश्विक बाजार में, एक गतिशील नीति का पालन करने का श्रेय सरकार को जाता है, जिससे उद्योग और नीति निर्माताओं, दोनों को चुस्ती मिलेगी. विदेश व्यापार नीति में एक नई सोच स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है.” पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष साकेत डालमिया ने कहा कि विश्व निर्यात में भारत की हिस्सेदारी वस्तु निर्यात में मौजूदा 1.8 फीसदी और सेवा निर्यात में चार फीसदी से बढ़ने की काफी संभावना है.

उन्होंने कहा कि नई एफटीपी अनिश्चितताओं को दूर करेगी और भारत के व्यापार में निरंतरता और स्थिरता पैदा करेगी. उन्होंने कहा कि कई निर्यात योजनाओं को अब विश्व व्यापार संगठन के अनुरूप बनाया गया है. ईईपीसी इंडिया के चेयरमैन अरुण कुमार गरोडिया के अनुसार एफटीपी काफी व्यावहारिक और सकारात्मक है. इससे माल और सेवाओं, दोनों के निर्यात को बड़े पैमाने पर बढ़ावा मिलेगा. एमएसएमई को वैश्विक मूल्य श्रृंखला का हिस्सा बनने में मदद मिलेगी और भारतीय रुपया भी वैश्विक बनेगा.

मेडिकल टेक्नोलॉजी एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष पवन चौधरी ने कहा कि एफटीए से भारत को 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि नई नीति से व्यापार करना आसान होगा.

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