भाजपा सांसद ने धर्मांतरण करने वाले आदिवासियों को आरक्षण का लाभ न देने के लिए शुरू किया अभियान

झाबुआ. मध्य प्रदेश के रतलाम-झाबुआ संसदीय क्षेत्र से भाजपा सांसद गुमान सिंह डामोर ने रविवार को कहा कि वह धर्मांतरण करने वाले अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लोगों को आरक्षण के लाभों से वंचित करने की मांग को लेकर समूचे प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से रैलियां कर रहे हैं.

स्वयं एसटी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले डामोर ने कहा, ‘‘हम मध्य प्रदेश के ऐसे 22 जिलों सहित सभी आदिवासी बहुल जिलों में डीलिंिस्टग (सूची से नाम हटाने संबंधी) रैलियों का आयोजन कर रहे हैं. संविधान के अनुच्छेद 342 में अनुसूचित जनजाति को आरक्षण के बारे में उल्लेख किया गया है, लेकिन अन्य धर्म अपनाने वालों के बारे में कुछ भी उल्लेख नहीं किया गया है.’’ उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 341 में अनुसूचित जाति (एससी) को आरक्षण का उल्लेख किया गया है और यह कहता है कि यदि इस जाति के लोग अन्य धर्म अपनाते हैं तो उन्हें आरक्षण के लाभ से वंचित किया जाएगा, लेकिन एसटी आरक्षण के बारे में ऐसा कोई उल्लेख नहीं है.

डामोर ने कहा, ‘‘हमारी मांग है कि अन्य धर्मों में परिर्वितत होने वाले एसटी के लोगों को आरक्षण लाभ (सरकारी नौकरियों और प्रवेश में) से वंचित किया जाना चाहिए. मैंने झाबुआ, अलीराजपुर और रतलाम में तीन रैलियां कीं, ताकि ऐसे लोगों का नाम आरक्षण मिलने वाली सूची से हटाने के बारे में जन जागरूकता पैदा की जा सके जो धर्म परिवर्तन के बाद भी आरक्षण के लाभ का आनंद ले रहे हैं.’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह (धर्म परिवर्तन करने पर) जो आरक्षण समाप्त होना है, इसके लिए हमें लोकसभा और राज्यसभा में विधेयक पारित करवाने पडेंगे. इसके लिए वातावरण बनाया जा रहा है. इसके पहले 1970 में भी ऐसे प्रयास हुए थे, परंतु उस समय प्रयास सफल नहीं हो पाए.’’ उन्होंने कहा कि लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि पूरे देश में जनजागृति आई है और इसके कारण ‘‘हमें पूरा विश्वास है कि लोकसभा और राज्यसभा में विधेयक पारित हो जाएगा.’’

मध्य प्रदेश युवक कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. विक्रांत भूरिया ने शनिवार रात को अपने ट्विटर हैंडल पर डामोर के इस बयान का वीडियो साझा करते हुए लिखा, ‘‘गुमान ंिसह आप स्वयं एसटी की आरक्षित सीट से सांसद हैं. शर्म आनी चाहिए. लानत और धिक्कार है.’’’ भूरिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज ंिसह चौहान से मांग की है कि कृपया स्पष्ट करें कि क्या आप इस बयान के समर्थन में हैं? और यदि नहीं तो आप इस बयान के लिए अपने भाजपा सांसद पर कड़ी कार्रवाई कीजिये.

उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा सांसद के इस बयान से साफ समझ में आता है कि भाजपा का आदिवासी व वंचित वर्ग के प्रति प्रेम केवल एक ढकोसला है.’’ डामोर ने रविवार को ट्वीट किया, ‘‘मेरे बयान को ट्विटर पर काट कर आधा अधूरा दिखाया जा रहा है. मेरे द्वारा आरक्षण समाप्त करने की बात नहीं कही गई है. मैं कानूनी सलाह लेने के बाद उनके खिलाफ कार्रवाई करूंगा.’’ डामोर के बयान पर झाबुआ ईसाई डायोसीस के जनसंपर्क अधिकारी रौकी शाह ने कहा है कि डीलिंिस्टग को ईसाइयों के साथ जोड़कर कुछ लोग अपने निजी स्वार्थ के उद्देश्य को प्राप्त करना चाहते हैं, जो वास्तव में आदिवासियों के लिए रचा जा रहा एक बहुत बड़ा षड्यंत्र है.

शाह ने कहा कि हमारे संविधान में आदिवासियों के लिए आरक्षण प्राप्त करने की एक परिभाषा है. उस परिभाषा के अंतर्गत ही सभी आदिवासियों को आरक्षण मिला हुआ है और वही संविधान हमें यह बता रहा है कि आदिवासी के किसी भी धर्म को मानने से उसका आरक्षण समाप्त नहीं हो सकता है.

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