हिंदी नहीं है राष्ट्र भाषा : सोनू निगम

नयी दिल्ली. गायक सोनू निगम ने कहा है कि हिंदी राष्ट्र भाषा नहीं है तथा इसे गैर-हिंदी भाषी लोगों पर थोपने की कोशिश से देश के लोगों में आपसी मनमुटाव और दरार ही पैदा होगी. उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब कुछ दिन पहले ही हिंदी के राष्ट्रभाषा होने को लेकर बॉलीवुड अभिनेता अजय देवगन और कन्नड़ अभिनेता किच्छा सुदीप के बीच ट्विटर पर बहस हो गयी थी. अजय देवगन ने ट्वीट किया था कि, “हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा थी, है, और हमेशा रहेगी.” दरअसल, सुदीप ने ट्वीट कर कहा था कि हिंदी अब राष्ट्रभाषा नहीं है. इसी के जवाब में अजय देवगन ने ट्वीट किया था.

देवगन ने ट्विटर पर लिखा था, ” किच्छा सुदीप, मेरे भाई, आपके अनुसार अगर हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा नहीं है तो आप अपनी मातृभाषा की फÞल्मिों को हिंदी में डब करके क्यों रिलीजÞ करते हैं? हिंदी हमारी मातृभाषा और राष्ट्र भाषा थी, है, और हमेशा रहेगी. जन गण मन.” सोमवार को यहां एक कार्यक्रम में जब सोनू निगम से हिंदी भाषा को लेकर हो रही इस बहस पर उनके रुख के बारे में पूछा गया, तो गायक ने कहा कि वह हैरान हैं कि यह चर्चा का विषय है.

गायक ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि संविधान में कहीं भी यह लिखा है कि हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है. यह सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा हो सकती है, मैं इसे समझता हूं, लेकिन यह राष्ट्रभाषा नहीं है.” उन्होंने वेबसाइट ‘सिनेमा बीस्ट’ से कहा, ”ऐसा कहकर, क्या हम जानते हैं कि तमिल दुनिया की सबसे पुरानी भाषा है? संस्कृत और तमिल के बीच विवाद है. लेकिन, लोग कहते हैं कि तमिल पूरी दुनिया में सबसे पुरानी भाषा है.” भारत की कोई राष्ट्र भाषा नहीं है और हिंदी तथा कन्नड़ संविधान की आठवीं अनुसूची में सूचीबद्ध 22 भाषाओं में से हैं. हिंदी और अंग्रेजÞी दोनों आधिकारिक भाषाएं हैं.

तमिल, कन्नड़, तेलुगु, गुजराती, मलयालम और बंगाली जैसी कई भारतीय भाषाओं में गाने गा चुके सोनू निगम ने कहा कि किसी को भी दूसरों पर हिंदी नहीं थोपनी चाहिए. गायक ने कहा, ”हम ऐसा क्यों कर रहे हैं? यह चर्चा क्यों हो रही है? अपने पड़ोस (देशों) को देखो और आप यह कहकर हमारे देश के भीतर दरार पैदा कर रहे हैं कि आप भी हिंदी बोलते हैं. लेकिन, उन्हें क्यों बोलनी चाहिए? लोगों को वही बोलने दीजिए जो वे चाहते हैं, आप उनके पीछे यह कहकर क्यों पड़े हैं कि देश में केवल एक ही भाषा बोली जाएगी.”

उन्होंने कहा, ”पंजाब के लोग पंजाबी में बोल सकते हैं, तमिल लोग तमिल में बात कर सकते हैं और अगर वे सहज हैं तो वे अंग्रेजÞी में बात कर सकते हैं. हमारे सभी अदालती फैसले अंग्रेजी में दिए जाते हैं. यह क्या है? ‘हमें हिंदी बोलनी चाहिए. हमारे देश में ऐसा कुछ थोपना या यह कहना कि हम श्रेष्ठ हैं, आप हमारी भाषा सीखें, वे ऐसा कैसे कर सकते हैं?” गायक ने कहा, ”आइए देश में लोगों को और विभाजित न करें. बहुत झमेले पहले से ही चल रहे हैं, एक और मुद्दा नहीं बनाते हैं.”

इस बहस को आगे बढ़ाते हुए गीतकार मनोज मुंतशिर ने कहा, ”हिंदी फिल्म उद्योग को स्वयं इस पर विचार करना चाहिए कि हिंदी उनके दैनिक जीवन से गायब क्यों है. अंग्रेजÞी पढ़ना और जानना अच्छा है, लेकिन जिस दिन हिंदी फिल्मों के निर्माता रोजमर्रा की ंिजदगी में हिंदी बोलना शुरू कर देंगे, हमारी फिल्मों की आत्मा एक बार फिर उठ खड़ी होगी. हिंदी फिल्म उद्योग न तो समाप्त हुआ है और न ही कभी होगा. थोड़ा आत्मनिरीक्षण करने की जरूरत है और हम एक धमाके के साथ वापस आएंगे.”

अजय देवगन की टिप्पणी ने हिंदी थोपने के मुद्दे पर एक व्यापक बहस छेड़ दी थी और भारतीय जनता पार्टी के नेता एवं कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई, नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला, कांग्रेस के सिद्धरमैया और जनता दल-एस के एचडी कुमारस्वामी समेत कई अन्य लोगों ने भारत की भाषायी विविधता के समर्थन में वक्तव्य दिए थे.

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