यूक्रेन युद्ध को रोकने में असफल रही पोप की कूटनीति

वेटिकन सिटी. यूक्रेन पर रूस के हमले में पोप फ्रांसिस कोई कूटनीतिक छाप नहीं छोड़ पाए. ईस्टर पर युद्धविराम की करने की उनकी अपील का कोई असर नहीं हुआ. रूसी आॅर्थोडॉक्स चर्च के प्रमुख से उनकी तय बैठक रद्द कर दी गई. वह मास्को भी नहीं जा सकते. रूस-यूक्रेन की मित्रता प्रर्दिशत करने का उनका प्रयास भी असफल साबित हुआ.

पोप अपने नैतिक अधिकार, ‘सॉफ्ट पावर’ या मास्को से बातचीत के लिए सीधी लाइन होने की सुविधा का इस्तेमाल युद्ध को रोकने या कम से कम संघर्ष विराम के लिए भी नहीं कर सके.
फ्रांसिस इस समय एक विचित्र स्थिति में हैं जहां रूस या राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का नाम लेने से इनकार करने और रूसी आॅर्थोडॉक्स चर्च के प्रमुख के साथ अच्छे संबंध का बचाव करने को लेकर उन्हें स्पष्टीकरण देना पड़ रहा है. वह कहते हैं, पोप यह नहीं करते. रूसी आॅर्थोडॉक्स चर्च के प्रमुख ने आध्यात्मिक कारणों से युद्ध को सही ठहराया है.

फ्रांसिस यूक्रेन के लोगों को शांति का संदेश दे रहे हैं, मानवीय सहायता के साथ कार्डिनल भेज रहे हैं और कथित तौर पर मारिउपोल से लोगों को निकालने के लिए वेटिकन की ओर से पोत भेजने का भी प्रस्ताव दे रहे हैं. इसके साथ ही वह रूस के आॅर्थोडॉक्स चर्च के साथ संबंध सुधारने के प्रयास में भी रत हैं जो एक हजार से भी ज्यादा साल पहले टूट गए थे.

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