ग्रैमी पुरस्कार जीतने का सपना दूसरी बार पूरा हुआ है: रिक केज

मुंबई. संगीतकार रिकी केज ने कहा कि उन्हें यकीन नहीं हो रहा है कि एक बार ग्रैमी पुरस्कार जीतने का उनका सपना दूसरी बार साकार हो गया है. बेंगलुरु में रहने वाले केज को रविवार को लास वेगास में ”डिवाइन टाइड्स” के लिये सर्वश्रेष्ठ नयी एल्बम के ग्रैमी पुरस्कार से नवाजा गया है.

लास वेगास से जूम कॉल पर ‘पीटीआई-भाषा’ को दिये साक्षात्कार में केज ने कहा, ”मैंने 33 साल की उम्र में अपना पहला ग्रैमी जीता था, अब मैं 40 साल का हूं. भारतीय होने के नाते, भारत में रहकर, देश में आला संगीत तैयार करना संभव नहीं लगता था. मैंने कभी दोबारा पुरस्कार जीतने के बारे में नहीं सोचा था, क्योंकि यह असंभव था.”

उन्होंने कहा, ”जब मैने पहली बार खिताब जीता था, तब सोचा था कि अब मेरा क्या लक्ष्य होगा? मैंने कोई दीर्घकालिक योजना नहीं बना रखी थी. आज जब मैंने दूसरी बार खिताब जीता तो सबकुछ सच लगने लगा है.” अमेरिका के नॉर्थ कैरोलीना में पैदा हुए केज आठ वर्ष की आयु में भारत आ गए थे. काफी कम उम्र में उन्होंने संगीत की शिक्षा हासिल की.

केज ने दंत चिकित्सा की पढ़ाई करने के लिए एक कॉलेज में दाखिला लिया और साथ ही साथ पश्चिमी शास्त्रीय व भारतीय शास्त्रीय संगीत में औपचारिक शिक्षा प्राप्त की. केज ने कहा कि दूसरी बार ग्रैमी पुरस्कार जीतने पर अलग सा महसूस हो रहा है क्योंकि वह संगीतकार के रूप में परिपक्व हो चुके हैं. इससे पहले साल 2015 में उन्होंने अपनी एल्बम ”ंिवड्स आॅफ समसारा” के लिये ग्रैमी अवॉर्ड जीता था.

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