मेवात से कोलकाता : सिविल इंजीनियर से क्रिकेटर बना शाहबाज

नयी दिल्ली/मुंबई. कोलकाता क्लब के कोच पार्थ प्रतिम चौधरी ने सैकड़ों क्रिकेटरों को नये सपनों के साथ मैदान में आते देखा लेकिन शाहबाज अहमद के आने तक उन्होंने कभी किसी ऐसे युवा को नहीं देखा था जिसकी क्रिकेट किट में इंजीनियंिरग की किताबें हुआ करती थी. चौधरी के लिये भी यह नयी बात थे. शाहबाज तब 21 साल के थे और हरियाणा के मेवात का रहने वाला यह खिलाड़ी सिविल इंजीनियंिरग में डिग्री ले रहा था.

यही शाहबाज पहले बंगाल रणजी टीम का हिस्सा बना और अब वह इंडियन प्रीमियर लीग में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर (आरसीबी) की तरफ से अपने कौशल को दिखा रहा है. उन्होंने कोलकाता नाइटराइडर्स और राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ दो महत्वपूर्ण पारियां खेली.
शाहबाज ने मंगलवार की रात मैच के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हां यह मेरा तीसरा सत्र है तथा इस पोजीशन पर खेलते हुए काफी समय हो गया है. अब अच्छा प्रदर्शन करने का समय है. ’’ शाहबाज के क्रिकेट की कहानी कोलकाता में क्लब क्रिकेट से शुरू हुई थी. वह तपन मेमोरियल क्रिकेट क्लब से जुड़े थे जिसे कि बड़ा क्लब नहीं माना जाता है.

चौधरी ने शाहबाज के साथ अपने जुड़ाव को याद करते हुए कहा, ‘‘मोहन बागान, ईस्ट बंगाल या कालीघाट की तुलना में हमारा क्लब छोटा है. हम उनकी तरह मोटी धनराशि खर्च नहीं कर सकते थे. हम अक्सर अपने सीनियर क्रिकेटरों को बाहर के लड़कों पर नजर रखने को कहते थे जो अवसर की तलाश में हों.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे ही हमारा एक क्रिकेटर प्रमोद चंदीला (वर्तमान में हरियाणा का खिलाड़ी) शाहबाज को यहां लेकर आया जो तब इंजीनियंिरग के तीसरे वर्ष का छात्र था. मुझे लगा कि जब उसके सेमेस्टर होंगे तब वह कुछ मैच छोड़ देगा.’’ अब जब शाहबाज शहर में होता है तो चौधरी के घर पर ही रुकता है.

उन्होंने कहा, ‘‘मेरे दो बेटे हैं और शाहबाज मेरा तीसरा बेटा है. वह मेरे परिवार को अहम हिस्सा है. पेशेवर क्रिकेटर बनने के बाद वह बमुश्किल ही घर जा पाया है.’’ बंगाल की टीम में शाहबाज की भूमिका विशेषज्ञ स्पिनर की रही है लेकिन आरसीबी ने उनका उपयोग मध्यक्रम के बल्लेबाज के रूप में किया जिसमें वह सफल रहे हैं.

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