भारत के कृषि उत्पाद आज दुनिया के बाजारों में उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं: भाजपा

नयी दिल्ली. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने रविवार को कहा कि भारत के कृषि उत्पाद आज दुनिया के बाजार में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं और ताजा आंकड़े बताते हैं कि 20 प्रतिशत की वृद्धि के साथ इनका निर्यात 51 अरब अमेरिकी डॉलर का हो गया है.
भाजपा मुख्यालय में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए पार्टी प्रवक्ता राजीव कुमार रूडी ने कहा कि भारतीय कृषि उत्पादों का निर्यात बाजार पहले कई प्रतिबंधों से गुजरता था, जिन्हें अब हटा दिया गया है.

उन्होंने कहा कि भारत आज दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चावल, गेहूं, गन्ना, सब्जी, फल और कपास उत्पादक बन चुका है.
उल्लेखनीय है कि भाजपा छह अप्रैल को अपने स्थापना दिवस से 20 अप्रैल तक सामाजिक न्याय पखवाड़ा मना रही है. इसके तहत पार्टी के नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं. रविवार को पार्टी ने कृषि क्षेत्र और किसानों की आय पर सरकार के कदमों को रेखांकित किया.

रूडी ने कहा, ‘‘देश में 2013 में 265 मिलियन टन खाद्यान्न का उत्पादन हुआ था. वो भी अब बढ़कर 305 मिलियन टन हो गया है. हॉर्टिकल्चर में हम 2013-14 तक 280 मिलियन टन पर थे. वो 2021-22 में बढ़कर 321 मिलियन टन हो गया है.’’ उन्होंने कहा कि किसानों की मदद करने के लिए सरकार ने लगातार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) भी बढ़ाया है. रूडी ने कहा कि वर्ष 2013 में देश में धान का जो एमएसपी था, वह 2021-22 में लगभग 43 प्रतिशत बढ़ा है जबकि गेहूं का एमएसपी 2013-14 से पूरे सात साल में लगभग 41 प्रतिशत बढ़ा है.

भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद कृषि बजट में छह गुना से अधिक वृद्धि हुई है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2013-14 में यह 21,938 करोड़ रुपये था तो 2022-23 में यह 1.32 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने किसानों के खातों में नकद हस्तांतरण और फसल बीमा योजना जैसी पहलों का भी उल्लेख किया और कहा कि इनसे किसानों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है.

उन्होंने कहा कि 11 करोड़ किसान परिवारों के खातों में 1.39 लाख करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए हैं जबकि 7.7 करोड़ किसानों को बीमा योजना से लाभ मिला है. रूडी ने कहा कि किसानों को वर्ष 2021-22 में 16.5 लाख करोड़ रुपये के संस्थागत ऋण दिए गए जबकि वर्ष 2013-14 में यह आंकड़ा 7.3 लाख करोड़ रुपये था.

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