श्रीलंका के प्रमुख तमिल दल ने राष्ट्रपति राजपक्षे को अपदस्थ करने के लिए विपक्ष के समर्थन की घोषणा की

कोलंबो. श्रीलंका के प्रमुख तमिल दल ‘तमिल नेशनल एलायंस’ (टीएनए) ने रविवार को कहा कि वह राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने में विपक्ष का समर्थन करने को तैयार है. श्रीलंका की मुख्य विपक्षी पार्टी समागी जन बालवेगया (एसजेबी) ने शुक्रवार को कहा था कि राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे की सरकार सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रही जनता की ंिचताओं को दूर करने के लिए कदम उठाने में यदि विफल रहती है तो वह उसके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएगी.

विपक्षी नेता साजित प्रेमदासा ने साथ ही यह कहते हुए देश में राष्ट्रपति शासन प्रणाली को समाप्त करने का आ’’ान किया था कि सत्ता कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के बीच विभाजित होनी चाहिए. टीएनए के प्रवक्ता एम.ए. सुमंथीरन ने कहा, ”हम अविश्वास प्रस्ताव लाने और राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग चलाने के मुख्य विपक्षी दल के कदमों का समर्थन करने को मजबूर होंगे. सरकार को राजपक्षे परिवार के सत्ता छोड़ने संबंधी जनता की मांग को समझना चाहिए.”

उल्लेखनीय है कि ब्रिटेन से 1948 में स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से श्रीलंका अपने सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. श्रीलंका की जनता लंबे समय से बिजली कटौती और गैस, खाद्य पदार्थों तथा अन्य बुनियादी चीजों की कमी को लेकर हफ्तों से विरोध कर रही है. जनता के गुस्से ने लगभग सभी कैबिनेट मंत्रियों को इस्तीफा देने के लिए मजबूर कर दिया और अब श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे पर भी लगातार पद छोड़ने का दबाव बनाया जा रहा है.

राष्ट्रपति राजपक्षे ने आर्थिक संकट पर चर्चा के लिए निर्दलीय सांसदों को किया आमंत्रित

श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने 11 पार्टियों के गठबंधन को देश की खराब आर्थिक स्थिति पर चर्चा के लिए आमंत्रित किया है, जिसमें 42 निर्दलीय सांसद हैं. मीडिया में आई खबरों में यह जानकारी दी गई. यह बैठक रविवार शाम को निर्धारित की गई है और इस दौरान सांसद, राष्ट्रपति से उनके बड़े भाई और प्रधानमंत्री मंिहदा राजपक्षे को उनके पद से हटाने और द्विपीय देश में पैदा हुई अभूतपूर्व संकट से निपटने के लिए नया मंत्रिमंडल बनाने का अनुरोध करेंगे.

उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह मंिहदा के अलावा श्रीलंका के पूरे मंत्रिमंडल ने इस्तीफा दे दिया था. यह कदम ऐसे समय उठाया गया जब श्रीलंका वर्ष 1948 में ब्रिटेन से आजाद होने के बाद से सबसे खराब आर्थिक संकट से गुजर रहा है. कोलंबो पेज न्यूज पोर्टल की खबर के मुताबिक बैठक के दौरान सांसद राष्ट्रपति को उन प्रास्तावों की सूची देंगे जिनका पालन कर श्रीलंका को मौजूदा आर्थिक और राजनीति संकट से निकाला जा सकता है.

लंकादीप की खबर के मुताबिक इससे संबंधित पत्र पर श्रीलंका फ्रीडम पार्टी के अध्यक्ष मैत्रिपाला सिरिसेना, सांसद वासुदेवा नानायकारा, सांसद अनुरा प्रिदर्शना यापा और राष्ट्रपति के सहयोगी विजयदासा राजपक्षे ने 42 सांसदों की ओर से हस्ताक्षर किया है जो सरकार से इस्तीफा देकर संसद में निर्दलीय गुट के तौर पर बैठ रहे हैं. यह पत्र शुक्रवार को राष्ट्रपति को भेजा गया. यह राजनीतिक कोशिश ऐसे समय हो रही है जब देश में सडकों पर बड़े पैमाने पर सरकार विरोधी प्रदर्शन हो रहे हैं और प्रदर्शनकारी श्रीलंका के राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं.

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